महाकुंभ 2025: वसंत पंचमी के अवसर पर अमृत स्नान के लिए प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। महाकुंभ में बढ़ती भीड़ के कारण वाराणसी और अयोध्या के मंदिरों में दर्शन के समय में बदलाव किया गया है। वाराणसी में ‘काशी विश्वनाथ मंदिर’ और अयोध्या में ‘राम मंदिर’ में श्रद्धालुओं के लिए दर्शन का समय बढ़ा दिया गया है। ताकि अधिक से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए आ सकें। दूसरी ओर, मुख्य घाटों पर होने वाली गंगा आरती की अवधि एक घंटे से घटाकर 10 मिनट कर दी गई है, ताकि अधिक भीड़ एकत्र न हो।
क्या परिवर्तन किये गये?
एक रिपोर्ट के अनुसार, जिला प्रशासन ने गंगा आरती के समय के साथ-साथ मंदिरों में दर्शन के समय में भी बदलाव किया है। वाराणसी के पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने कहा, ‘वाराणसी में श्रद्धालुओं की संख्या अब प्रतिदिन 30-40 लाख तक पहुंच गई है। जो कि महाकुंभ के कारण है। कई तीर्थयात्री दूसरे राज्यों से हैं। महाकुंभ में आने से पहले कई श्रद्धालु कुंभ के साथ-साथ वाराणसी, मिर्जापुर, अयोध्या और चित्रकूट जाने की योजना बनाते हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘काशी विश्वनाथ मंदिर में नियमित दर्शन का समय सुबह 4:00 बजे से रात 11:00 बजे तक है, जिसमें सुबह 3 बजे मंगला आरती भी शामिल है। भीड़ को कम करने के लिए मंदिर में दर्शन का समय अब सुबह 4:00 बजे से बढ़ाकर 1:00 बजे कर दिया गया है। घाट पर प्रतिदिन शाम को होने वाली गंगा आरती की अवधि एक घंटे से घटाकर 10 मिनट कर दी गई है। यह आरती अब प्रतीकात्मक रूप से केवल 10 मिनट तक ही आयोजित की जाएगी।
अयोध्या में भी परिवर्तन हुए।
उधर, अयोध्या राम मंदिर में दर्शन के समय को लेकर भी बदलाव किया गया है। अयोध्या के संभागीय आयुक्त गौरव दयाल ने कहा, “श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए रामलला मंदिर में दर्शन का समय बढ़ा दिया गया है।” सामान्य दिनों में भक्तों के लिए दर्शन का समय सुबह 7:00 बजे से रात 9:00 बजे तक है। लेकिन अब यह समय बदलकर सुबह 5:00 बजे से रात 11:00 बजे तक कर दिया गया है।
उन्होंने आगे कहा, ‘महाकुंभ से पहले मंदिर में प्रतिदिन आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 70-80 हजार थी। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 3 से 4 लाख हो गई है। लेकिन अगर अयोध्या में प्रतिदिन आने वाले कुल श्रद्धालुओं की बात करें तो यह संख्या अब 10-15 लाख है।
इससे पहले मंदिर ट्रस्ट ने एक बयान जारी कर आसपास के जिलों के लोगों से अपील करते हुए कहा, “आप अगले 15-20 दिनों तक अयोध्या न आएं, ताकि दूसरे राज्यों के तीर्थयात्री शांतिपूर्वक दर्शन कर सकें।”