Sunday, August 3, 2025
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वो दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल हवा में गायब हो जाए…सुप्रीम कोर्ट ने आखिर क्यों कही ये बात

हिमाचल प्रदेश में तेज़ी से बढ़ रहे पारिस्थितिक असंतुलन का संज्ञान लेते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आगाह किया कि अगर यही हालात रहे तो राज्य जल्द ही हवा में गायब हो सकता है। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मामले में हिमाचल की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है, जिसका राज्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ रहा है। हम राज्य सरकार और भारत संघ को यह समझाना चाहते हैं कि राजस्व कमाना ही सब कुछ नहीं है। पर्यावरण और पारिस्थितिकी की कीमत पर राजस्व नहीं कमाया जा सकता। अगर हालात आज की तरह ही चलते रहे, तो वह दिन दूर नहीं जब पूरा हिमाचल प्रदेश देश के नक्शे से गायब हो जाएगा। पीठ ने कहा कि भगवान न करे ऐसा न हो।  

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शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियाँ 28 जुलाई को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार की जून 2025 की अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें कुछ क्षेत्रों को “हरित क्षेत्र” घोषित किया गया था। शीर्ष अदालत ने इस मामले में हस्तक्षेप न करने का भी फैसला किया, यह देखते हुए कि अधिसूचना का स्पष्ट उद्देश्य उन क्षेत्रों में निर्माण को प्रतिबंधित करना था। पीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश राज्य में स्थिति बद से बदतर होती जा रही है। गंभीर पारिस्थितिक असंतुलन और अन्य पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण पिछले कुछ वर्षों में गंभीर प्राकृतिक आपदाएँ आई हैं। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि ये आपदाएँ न केवल प्राकृतिक थीं, बल्कि इसके लिए मनुष्य भी जिम्मेदार थे।

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हिमाचल प्रदेश में आई आपदा के लिए केवल प्रकृति को दोष देना उचित नहीं है। पहाड़ों और मिट्टी के लगातार खिसकने, सड़कों पर भूस्खलन, मकानों और इमारतों के ढहने, सड़कों के धंसने जैसी घटनाओं के लिए प्रकृति नहीं, बल्कि मनुष्य ही जिम्मेदार है। हाल ही में हुई मानसूनी बारिश ने हिमाचल प्रदेश में भारी तबाही मचाई है। बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क हादसों में अब तक 100 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य भर में बादल फटने की घटनाएँ भी आम हो गई हैं। इस तबाही के कारण राष्ट्रीय राजमार्ग और 290 अन्य सड़कें बंद हो गई हैं। बाढ़ में कई घर बह गए हैं। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुखू ने राज्य में इस तरह की आपदा के कारणों का पता लगाने के लिए वैज्ञानिकों की एक टीम गठित की है।
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