एक तरफ जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस को धमका रहे हैं। वहीं अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 2 रूस के नजदीकी क्षेत्रों में परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने का आदेश दिया है। ट्रम्प ने टूथ पर लिखा कि रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्रों मेदवेदेव के अत्यधिक भड़काऊ बयानों को देखते हुए, मैंने एहतियातन दो परमाणु पनडुब्बियों को उपयुक्त क्षेत्रों में तैनात करने का आदेश दिया है। शब्द मायने रखते हैं और अक्सर अनचाहे नतीजों की ओर ले जाते हैं। मतलब साफ है कि रूस और अमेरिका के बीच तनातनी अपने चरम पर है। लेकिन इन सब के बीच रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए एक टेंशन बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। पहले तो ये दावा यूक्रेन की तरफ से किया गया था। लेकिन रूस के कई अधिकारियों और डॉक्टर्स ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है। जिसके बाद से रूस में तनाव का माहौल है।
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दरअसल, खबर रूसी सेना को लेकर है। सेना के जवानों में जिस तरह से एचआईवी एड्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। उसने रूस की टेंशन बढ़ा दी है। इसी के साथ साथ वहां जितने फोर्स तैनात हैं, उन सब जवानों में अब एक दुविधा की स्तिथि आ गई है। ये वो दौड़ है जब रूस यूक्रेन से लड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप रूस को शांति वार्ता की मेज पर लाना चाहते हैं। इसके लिए वो लगातार रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बयानबाजी कर रहे हैं और यहां तक की पुतिन को धमकाने से भी नहीं चूक रहे हैं। लेकिन ट्रंप की धमकियों से बेपरवाह पुतिन अपना आक्रमण लगातार जारी रखे हुए हैं। कीव के ऊपर मॉस्को की तरफ से मिसाइल दागे जा रहे हैं। अमेरिकी धमकियों का जवाब धमकी से दिया जा रहा है। जिससे साफ है कि रूस किसी भी तरह से झुकने और युद्ध को रोकने के लिए फिलहाल तैयार नजर नहीं आ रहा है।
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ऐसे में सेना के जवानों में एचआईवी एड्स पाया जाता है या फिर वो संक्रमित पाए जाते हैं तो निश्चित तौर पर ये पुतिन के लिए किसी बहुत बड़े झटके से कम नहीं है। या फिर ये कह सकते हैं कि मैदान ए जंग में जो युद्ध लड़ी जा रही है उससे कहीं ज्यादा ये खतरनाक है। रूस की सेना एचआईवी एड्स के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि बड़ी संख्या में जवान प्रभावित हो रहे हैं, जिसकी वजह से पुतिन भी अब टेंशन में आ गए हैं। आपको बता दें कि रूस वैसे तो पहले से ही उन देशों में शामिल है, जहां पर एचआईवी संक्रमण दर विश्वभर में सबसे ज्यादा है। लेकिन यूक्रेन युद्ध ने इस स्थिति को और भी ज्यादा भयानक बना दिया है। रिपोर्ट्स बताते हैं कि युद्ध के शुरू होने के बाद से रूसी सैनिकों में एचआईवी संक्रमण की दर 20 से 40 गुणा तक बड़ गई है।
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युद्ध क्षेत्र में स्वास्थ्य संसाधनों की कमी और लापरवाही की वजह से जिस तरीके से रूस की सेना के जवान एचआईवी पॉजिटिव हो रहे हैं। निश्चित तौर पर ये बेहद गंभीर विषय है। एक रिपोर्ट तो ये भी बताती है कि रूस सीधे जेलों से सैनिकों की भर्ती कर रहा है, जिनमें पहले से एचआईवी पॉजीटिव कैदी भी शामिल हैं। ये कदम सैन्य संख्या को बढ़ाने के प्रयास में लिया गया हो सकता है। लेकिन इसके दूरगामी परिणाम बहुत भयानक हो सकते हैं। जिसका जिक्र यूक्रेनी अधिकारी भी कर रहे हैं कि रूसी भर्ती नए सैनिकों में से 20 फीसदी एचआईवी पॉजिटिव हैं। ये प्रभाव केवल सैन्य क्षेत्र तक सीमित नहीं है। बल्कि पूरा हेल्थ सिस्टम कैसे फ्लॉप हो रहा है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।
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असुरक्षित यौन संबंध इसकी बड़ी वजह बताया जा रहा है। युद्ध क्षेत्र में सैनिकों के बीच असुरक्षित यौन संबंध, विशेष रूप से पुरुषों के बीच यौन संपर्क, एचआईवी के प्रसार का एक प्रमुख कारण है। यह प्रथा सोवियत सेना की विरासत से जुड़ी बताई जाती है। ड्रग्स और साझा सुई का उपयोग भी एक वजह है। कुछ सैनिक एक ही सिरिंज से ड्रग्स का उपयोग कर रहे हैं, जिससे एचआईवी का खतरा बढ़ रहा है। युद्ध के तनाव से राहत पाने के लिए वहां पर ड्रग्स का उपयोग बढ़ रहा है।