निजी स्कूलों में फीस को विनियमित करने वाले अपने विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए, दिल्ली सरकार ने सोमवार को विधानसभा में बहुप्रतीक्षित मसौदा विधेयक पेश किया। ‘दिल्ली स्कूल शिक्षा (फीस निर्धारण एवं विनियमन में पारदर्शिता) विधेयक, 2025 को पेश करते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि शिक्षा बेचने की चीज़ नहीं है। यह विधेयक शिक्षा के व्यावसायीकरण को रोकने के लिए लाया गया है। हम यह विधेयक उन माफियाओं के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए ला रहे हैं जो शिक्षा बेच रहे हैं।
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नए विधेयक का उद्देश्य अल्पसंख्यक संस्थानों सहित सभी निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ उन स्कूलों के लिए भी एक समान शुल्क विनियमन सुनिश्चित करना है जिन्हें कोई सरकारी भूमि आवंटित नहीं की गई है। अब तक, दिल्ली में शुल्क विनियमन केवल दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा आवंटित भूमि पर संचालित निजी स्कूलों पर लागू होता था। यह विधेयक स्कूलों को बकाया या विलंबित शुल्क के लिए छात्रों को परेशान करने से भी रोकता है, जिसमें नाम काटना, परिणाम रोकना, कक्षाओं में प्रवेश से वंचित करना या सार्वजनिक रूप से अपमानित करना शामिल है।
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दिल्ली की नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा कि दिल्ली विधानसभा में जो बिल पेश किया गया है, वो एक धोखा है। ये प्राइवेट स्कूल मालिकों को बचाने के लिए है। ये उनकी बेलगाम फीस वृद्धि पर सरकारी मुहर लगाने का बिल है। ये बिल अप्रैल में पेश होना था और अब अगस्त आ गया है। प्राइवेट स्कूलों ने फीस के लिए अभिभावकों को डराया-धमकाया। अब ये बिल क्यों लाया जा रहा है? बीजेपी और प्राइवेट स्कूल मिले हुए हैं और अभिभावकों से बढ़ी हुई फीस लेकर उस पर कानूनी मुहर लगाना चाहते हैं। हम इसे सड़कों पर ले जाएंगे। हम कोर्ट जाएंगे। हम इस मुद्दे को संसद में भी उठाएंगे क्योंकि दिल्ली के अभिभावक बढ़ी हुई फीस से बेहद परेशान हैं। वो देख रहे हैं कि बीजेपी प्राइवेट स्कूल मालिकों के साथ मिली हुई है।