फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस जूनियर की भारत यात्रा न केवल द्विपक्षीय संबंधों की दृष्टि से ऐतिहासिक रही, बल्कि यह एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बदलते रणनीतिक संतुलन की पृष्ठभूमि में भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस यात्रा के दौरान भारत और फिलीपींस ने अपने संबंधों को Strategic Partnership के स्तर पर ले जाने का निर्णय किया, जिससे स्पष्ट होता है कि दोनों देश अब केवल पारंपरिक मैत्री तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि साझा हितों की रक्षा हेतु ठोस रणनीतिक सहयोग की दिशा में अग्रसर हैं।
हम आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग को ‘गहरे आपसी विश्वास का प्रतीक’ बताया है। भारत और फिलीपींस के बीच थल, वायु और नौसेना के बीच स्टाफ-टू-स्टाफ बातचीत के लिए Terms of Reference को अपनाया गया है। यह रक्षा संवाद को संस्थागत स्वरूप देता है। इसके साथ ही, Indian Coast Guard और Philippine Coast Guard के बीच समुद्री सहयोग को लेकर भी समझौता हुआ है।
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विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि भारत की नौसेना के तीन युद्धपोत फिलीपींस में अभ्यास में भाग ले रहे हैं और भारतीय हाइड्रोग्राफिक पोत भी इस अभ्यास का हिस्सा है। इसके अतिरिक्त, फिलीपींस को Information Fusion Centre, Indian Ocean Region से जोड़ने का भारत का प्रस्ताव क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा में साझेदारी को और सुदृढ़ करेगा।
हम आपको बता दें कि भारत और फिलीपींस ने अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग के लिए Statement of Intent पर हस्ताक्षर किए हैं, जो ISRO और Philippine Space Agency के बीच सहयोग का मार्ग प्रशस्त करेगा। यह समझौता दोनों देशों की तकनीकी क्षमताओं को साझा करने और शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए अंतरिक्ष के उपयोग को बढ़ावा देगा। इसके अतिरिक्त, डिजिटल टेक्नोलॉजी, डेटा सुरक्षा और साइबर ढांचे को सुदृढ़ करने के लिए Philippines Sovereign Data Cloud Infrastructure की स्थापना में भारत सहायता करेगा। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में Joint Research से लेकर AI और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग तक सहयोग को गति मिलेगी।
हम आपको बता दें कि भारत-फिलीपींस द्विपक्षीय व्यापार ने 3 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया है। दोनों पक्षों ने India-ASEAN Free Trade Agreement की समीक्षा को प्राथमिकता देने और एक Preferential Trade Agreement (PTA) की दिशा में बातचीत प्रारंभ करने का निर्णय लिया है। यह पहल खास तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि फिलीपींस न केवल ASEAN में भारत का Country Coordinator है बल्कि 2026 में ASEAN की अध्यक्षता भी करेगा। इस भूमिका के माध्यम से भारत अपनी Act East Policy को और सुदृढ़ कर सकता है।
हम आपको बता दें कि भारत और फिलीपींस के बीच प्राचीन सांस्कृतिक संबंध हैं, जिनका उदाहरण फिलीपींस की “महाराडिया लवाना” (रामायण की एक काव्यात्मक प्रस्तुति) है। इस संबंध को और सशक्त करने हेतु सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसके अलावा, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारत ने फिलीपीनो नागरिकों को एक वर्ष के लिए फ्री ई-टूरिस्ट वीज़ा की सुविधा दी है, जबकि फिलीपींस ने भारतीय पर्यटकों को वीज़ा-फ्री एंट्री दी है। साथ ही, दिल्ली-मनीला के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू करने की योजना भी पर्यटन और जन-जन के जुड़ाव को सशक्त बनाएगी।
हम आपको यह भी बता दें कि राष्ट्रपति मार्कोस की यात्रा भारत-फिलीपींस राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगाँठ के अवसर पर हुई। इस ऐतिहासिक क्षण को चिह्नित करते हुए स्मारक डाक टिकट जारी किया गया जिसमें दोनों देशों के राष्ट्रीय पुष्प दर्शाए गए। इसके साथ ही भारत और फिलीपींस ने आतंकवाद के विरुद्ध संयुक्त संघर्ष को बल दिया है। Mutual Legal Assistance और सज़ा प्राप्त व्यक्तियों के हस्तांतरण पर हुए समझौते द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को संस्थागत बनाते हैं।
देखा जाये तो भारत और फिलीपींस के संबंध अब सामान्य मैत्री से ऊपर उठकर रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हो गए हैं। यह साझेदारी न केवल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शक्ति संतुलन के दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका को और प्रभावशाली बनाने में भी सहायक सिद्ध होगी। जैसे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा– “India and the Philippines are friends by choice, and partners by destiny.” यह केवल भूतकाल की मित्रता नहीं, बल्कि भविष्य का वादा है। बाइट।
देखा जाये तो दोनों देशों की ओर से द्विपक्षीय संबंधों को Strategic Partnership के स्तर तक उन्नत करने का ऐतिहासिक निर्णय केवल द्विपक्षीय सहयोग को सुदृढ़ करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक नए सामरिक संतुलन की दिशा में भी संकेत करता है। खासकर उस पृष्ठभूमि में जब चीन की आक्रामक गतिविधियों ने इस क्षेत्र में अनेक छोटे और मझोले देशों की सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है।
हम आपको बता दें कि भारत और फिलीपींस के बीच रक्षा सहयोग का एक अहम पड़ाव रहा है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल प्रणाली की फिलीपींस को बिक्री। यह भारत का पहला बड़ा रक्षा निर्यात है, जो तकनीकी परिष्कार, रणनीतिक विश्वसनीयता और वैश्विक रक्षा बाज़ार में भारत की बढ़ती साख का परिचायक है। अब जब दोनों देशों के संबंधों को रणनीतिक साझेदारी का दर्जा मिल गया है, तो यह स्वाभाविक है कि सामुद्रिक सुरक्षा, इंटेलिजेंस साझा करना, संयुक्त सैन्य अभ्यास और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग और गहराएगा।
विशेष रूप से दक्षिण चीन सागर में चीन की बढ़ती आक्रामकता के मद्देनज़र, भारत-फिलीपींस की यह साझेदारी चीन के लिए एक सामरिक संदेश भी है कि क्षेत्रीय शक्तियाँ अब समन्वय कर अपनी सामूहिक सुरक्षा क्षमताएँ विकसित कर रही हैं। इससे ASEAN क्षेत्र में सामरिक संतुलन बनाए रखने में भी मदद मिलेगी और अन्य देशों को भी भारत के साथ सहयोग की दिशा में प्रोत्साहन मिलेगा।
हम आपको बता दें कि ब्रह्मोस मिसाइल की बिक्री ने भारत को रक्षा निर्यातक राष्ट्र के रूप में एक नई पहचान दी है। इस साझेदारी से भारत के रक्षा उद्योग के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे उभरते बाज़ारों में प्रवेश के अवसर मिलेंगे। फिलीपींस के साथ सफल डिलीवरी और प्रशिक्षण का अनुभव अन्य देशों को भी प्रेरित कर सकता है। साथ ही, “मेक इन इंडिया” और “आत्मनिर्भर भारत” अभियानों को ठोस वैश्विक समर्थन मिलेगा। रक्षा क्षेत्र में यह साझेदारी सार्वजनिक और निजी भारतीय रक्षा कंपनियों के लिए R&D, ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी और संयुक्त उत्पादन के क्षेत्रों में भी लाभकारी साबित हो सकती है।
बहरहाल, भारत-फिलीपींस रणनीतिक साझेदारी केवल एक द्विपक्षीय उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की एक सक्रिय, उत्तरदायी और विश्वसनीय शक्ति के रूप में उभरने की प्रक्रिया का हिस्सा है। यह न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा संतुलन को मज़बूत करेगी, बल्कि भारत को वैश्विक रक्षा बाज़ार में एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।