Friday, August 8, 2025
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गंगा यमुना और शारदा समेत कई प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित जल भरण क्षेत्र में व्यापक वर्षा होने से गंगा, यमुना और शारदा समेत राज्य की अनेक प्रमुख नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बना हुआ है। उफनती नदियों की बाढ़ से राज्य के अनेक जिलों के सैकड़ों गांवों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। बलिया में बाढ़ के पानी में डूबने से एक लड़के की मौत हो गयी।
मौसम विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, प्रदेश में मानसून सक्रिय है और अगले एक सप्ताह के दौरान पूरे राज्य में बारिश का सिलसिला कमोबेश जारी रह सकता है।

केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को गंगा नदी कछला ब्रिज (बदायूं), गाजीपुर, छतनाग और फाफामऊ (प्रयागराज), बलिया, मिर्जापुर और वाराणसी में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। इसी तरह, घाघरा नदी अयोध्या और एल्गिन ब्रिज (बाराबंकी) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, यमुना नदी नैनी (प्रयागराज) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। वहीं, भिनगा (श्रावस्ती) और राप्ती बैराज (श्रावस्ती) में राप्ती नदी का जलस्तर अब भी लाल निशान से ऊपर बना हुआ है। शारदा नहर पलियाकलां (लखीमपुर खीरी) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है मगर अब इसका जलस्तर कम हो रहा है।
नदियों की बाढ़ से राज्य के अनेक जिलों में जनजीवन पर बुरा असर पड़ा है।

प्रयागराज से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले कई दिनों से जारी भारी बारिश के चलते खतरे के निशान से ऊपर पहुंचने के बाद गंगा और यमुना का जलस्तर बुधवार से कम शुरू हो गया है मगर सदर तहसील के 107 वार्ड और मुहल्ले अब भी बाढ़ के पानी से घिरे हैं।
अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) विनीता सिंह ने बताया कि नदियों का जलस्तर नीचे आने से लोग राहत महसूस कर रहे हैं, मगर सदर तहसील के अंतर्गत आने वाले 107 वार्ड एवं मोहल्ले बाढ़ से प्रभावित हैं जिनमें राजापुर, बेली कछार, चांदपुर सलोरी, गोविंदपुर, छोटा बघाड़ा और बड़ा बघाड़ा प्रमुख रूप से प्रभावित हैं।
बलिया जिले में गंगा और सरयू नदी के जलस्तर में वृद्धि के कारण बाढ़ प्रभावित गांवों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

बलिया से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, हल्दी थाना क्षेत्र के पश्चिम टोला हल्दी गांव में आज बाढ़ के पानी में नहाने के दौरान 11 वर्षीय बालक युवराज गुप्ता की डूबने से मौत हो गई। उसके शव को गोताखोरों व पुलिस की सहायता से निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।
जिला प्रशासन के बाढ़ नियंत्रण कक्ष के प्रभारी द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े के अनुसार गंगा नदी का बृहस्पतिवार को सुबह आठ बजे जल स्तर 59 मीटर 86 सेंटीमीटर रहा, जो खतरे के निशान से दो मीटर 25 सेंटीमीटर अधिक है। सरयू नदी तुर्तीपार में खतरे के निशान से 14 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है।
जिला प्रशासन के अनुसार, बाढ़ से बलिया जिले के बलिया सदर और बैरिया तहसील मुख्य रूप से प्रभावित हैं।

बैरिया तहसील के कुल 17 राजस्व गांवों की तकरीबन 25 हजार की आबादीबाढ़ से प्रभावित है। वहीं, बलिया सदर तहसील क्षेत्र के 58 राजस्व गांव प्रभावित हुए हैं। साथ ही बलिया नगर पालिका क्षेत्र में कुल पांच वार्ड भी प्रभावित हुए हैं।
वाराणसी से प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, गंगा का जलस्तर हालांकि घट रहा है मगर इसकी बाढ़ से कुल 28 वार्ड प्रभावित हैं।
अधिकारियों के मुताबिक बुधवार को महापौर अशोक तिवारी के साथजिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने मोटर बोट से हरिश्चंद्र घाट, हर्षद घाट, रविदास घाट, सामने घाट, ज्ञान प्रवाह आदि प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करके बाढ़ राहत के लिए किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया।

अधिकारियों ने बताया कि महापौर और जिलाधिकारी ने काशी इंट्रीगेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर पहुंचकर वहां से बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का जायजा लिया तथा कंट्रोल रूम के लोगों को निर्देशित किया कि वे पूरी तरह सतर्क रहकर 24 घंटे बाढ़ प्रभावित क्षेत्र पर नजर रखें।
कौशांबी से प्राप्त रिपोर्ट में पिछले कुछ दिनों से लगातार हो रही बारिश के चलते गंगा और यमुना का जलस्तर बढ़ने से कुछ गांवों तक पहुंचने के मार्ग में पानी भर गया है। जिला प्रशासन ने ग्रामीणों के आवागमन के लिए नावों की व्यवस्था की है।

उप जिलाधिकारी (चायल) आकाश सिंह ने बताया कि चायल तहसील के कटैया और बड़हरी गांव के रास्तों में पानी भर जाने से जिला प्रशासन ने ग्रामीणों के आवागमन के लिए नाव की व्यवस्था की है।
उनके मुताबिक, बाढ़ चौकियों पर ‘एंटी वेनम इंजेक्शन’ और प्राथमिक चिकित्सा सामग्री उपलब्ध कराई गई है। हालांकि बाढ़ प्रभावित लोग, बाढ़ चौकियों में जाने के बजाय आसपास के ग्राम वासियों के घर में रह रहे हैं।
इसी तरह, मंझनपुर तहसील क्षेत्र के पभोसा, चक पिन्हा, भवनसुरी, मल्हीपुर और सिंघवल गांव के रास्ते यमुना नदी का बाढ़ का पानी भरने से प्रशासन द्वारा यहां भी नाव की व्यवस्था की गई है।

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