अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने का निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए कूटनीतिक और आर्थिक दोनों ही स्तरों पर बड़ी चुनौती है। अब तक मोदी और ट्रंप की नज़दीकी “दोस्ती” भारत-अमेरिका संबंधों की सबसे बड़ी ताक़त मानी जाती रही है। लेकिन ट्रंप के सख्त फैसले ने दिखा दिया कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार संबंध दोस्ती नहीं, बल्कि हितों पर आधारित होते हैं। भारत के सामने जो संकट खड़ा है यदि उसका जिक्र करें तो आपको बता दें कि लगभग $60 बिलियन (करीब 5 लाख करोड़ रुपये) का निर्यात सीधा प्रभावित होगा, जिसमें टेक्सटाइल, हीरे-जवाहरात, श्रिम्प और कारपेट जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्र शामिल हैं। इससे लाखों नौकरियों पर असर पड़ सकता है। ट्रंप के टैरिफ के चलते अमेरिकी बाज़ार में भारत की जगह चीन, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देश ले सकते हैं इससे भारत की जीडीपी ग्रोथ दर में गिरावट की आशंका है।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का अनुमान है कि प्रभावित क्षेत्रों में निर्यात में 70% तक की गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों नौकरियों पर खतरा मंडराने लगेगा। आर्थिक विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भारत की जगह अब चीन, वियतनाम, मैक्सिको, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देश अमेरिकी मार्केट में हिस्सेदारी ले सकते हैं। लंबे समय में ये देश भारत के पारंपरिक बाजार को स्थायी रूप से हथिया सकते हैं। विश्लेषकों का यह भी मानना है कि भारत की जीडीपी FY2025 में $4,270 बिलियन थी और सामान्य हालात में 6.5% की दर से बढ़ने की संभावना थी। लेकिन अमेरिकी निर्यात में गिरावट से यह बेसलाइन घटकर $4,233 बिलियन रह जाएगी। परिणामस्वरूप FY2026 में वृद्धि घटकर 5.6% रह सकती है— यानी 0.9 प्रतिशत अंकों की गिरावट।
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देखा जाये तो ट्रंप का यह कदम मोदी के लिए निश्चित रूप से झटका है, लेकिन मोदी की खासियत यही रही है कि वे संकटों को अवसर में बदलते हैं। यदि भारत इस स्थिति से सीख लेकर अपने व्यापारिक रिश्तों में विविधता लाता है और घरेलू बाज़ार को सशक्त करता है, तो आने वाले वर्षों में यह संकट भारत की आर्थिक आत्मनिर्भरता का आधार भी बन सकता है।
अब सवाल उठता है कि मोदी इस संकट से देश को उबारेंगे तो जवाब यह है कि रणनीति बन चुकी है तभी प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और सरकारी अफसरों का आत्मविश्वास देखते बन रहा है। हम आपको बता दें कि बाज़ारों का विविधीकरण किया जा रहा है और यूरोप, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और ASEAN देशों में नए निर्यात अवसर खोजे जा रहे हैं। साथ ही “मेक इन इंडिया” और “वोकल फॉर लोकल” के जरिए डोमेस्टिक मार्केट को मजबूत किया जा रहा है। इसके अलावा, यूरोपीय संघ और खाड़ी देशों के साथ तेजी से व्यापारिक समझौते करने की कवायद शुरू हो गयी है। वहीं खासकर टेक्सटाइल और जेम्स-एंड-ज्वेलरी सेक्टर को विशेष राहत पैकेज दिये जाने की संभावना जताई जा रही है।
बहरहाल, ट्रंप का यह कदम भारत के लिए तात्कालिक तौर पर बड़ा आघात है। लेकिन अगर मोदी सरकार तेज़ी से वैकल्पिक बाज़ार और घरेलू प्रोत्साहन नीति पर काम करती है, तो यह संकट भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा और आत्मनिर्भरता की मजबूती भी दे सकता है।