समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा प्रहार करते हुए रविवार को कहा कि चीन से आने वाले सामानों पर भारत की निर्भरता लगातार बढ़ रही है, जिसका बुरा असर हमारे उद्योगों, कारखानों और दुकानों के घटते कारोबार पर पड़ रहा है।
सपा प्रमुख यादव ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘यही है तथाकथित आत्मनिर्भरता, स्वदेशी और चीनी सामान के बहिष्कार के भाजपाई जुमलों का चिंताजनक सच।’’
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उन्होंने इसे विस्तार से समझाते हुए कहा, ‘‘चीन से आने वाले सामानों पर जिस तरह भारत की निर्भरता बढ़ती जा रही है, उसका बुरा असर हमारे उद्योगों, कारखानों और दुकानों के लगातार घटते जा रहे काम-कारोबार पर पड़ा है। इससे बेरोजगारी भी बेतहाशा बढ़ रही है।’’
यादव ने आगाह करते हुए कहा, ‘‘भाजपा चीनी चाल की क्रोनोलॉजी समझे।’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘पहले चीन अपना माल भारत के बाजारों में भर देगा जिससे चीन पर निर्भरता इतनी बढ़ जाएगी कि उनकी हर गलत हरकत को नजरअंदाज करने के लिए भाजपाई मजबूर हो जाएंगे।’’
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यादव ने दावा किया, ‘‘उसके बाद चीन हमारे उत्पादों और उद्योगों को धीरे-धीरे बंद करवाने के कगार तक ले जाएगा और उसके बाद मनमाने दाम पर हर चीज की आपूर्ति करेगा।उसके बाद महंगाई-बेरोजगारी बढ़ाएगा।’’
भविष्य के खतरों को लेकर उन्होंने आगाह किया, ‘‘जब महंगाई और बेरोजगारी ज्यादा होगी तो सरकार के खिलाफ जनता का आक्रोश भी बढ़ेगा और बिना बहुमत की भाजपा की सरकार और भी कमजोर होकर लड़खड़ा जाएगी।’’
सपा प्रमुख ने कहा, ‘‘फिर खुद ही लड़खड़ाती भाजपा सरकार चीन के अतिक्रमण को चुनौती नहीं दे पाएगी… उसके बाद हमारी जमीन पर चीन अपना कब्जा और बढ़ाएगा।… इसके बाद भाजपा दोहराएगी कि ‘न कोई… न कोई…!’’
यादव ने कहा, ‘‘अगर ये बात ‘ड्रोनवालों’ को समझ नहीं आ रही है तो उत्तर प्रदेश में विराजमान ‘बुलडोजर’ वाले प्रवासी जी ही ये सच्चाई समझकर जवाब दें कि चीन ने हमारी कितनी जमीन हड़प ली है, क्योंकि उनका मूल निवास स्थान भी चीन के कब्जे का शिकार हुआ है।’’
सपा अध्यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘भाजपाई बस देश का क्षेत्रफल बता दें, मतलब ये बता दें कि भाजपा सरकार के आने के समय देश की कुल भूमि जितनी थी, क्या अब भी उतनी ही है या चीनी कब्जे के बाद घट गई है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘दिल्ली वाले न सही, तो लखनऊ वाले ‘पलायन स्पेशलिस्ट’ ही बता दें कि हमारी कितनी जमीन का पलायन हो गया है, वैसे जनता बखूबी समझती है कि जमीन का पलायन कभी होता नहीं है, जो जमीन चली जाए वो कहीं और चलकर नहीं आती।