जिसके घर शीशे के हो वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते हैं। आज यही कहावत अमेरिका पर फिट बैठती है। चीन के तियानजिन शहर में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आपस में गर्मजोशी से मिले, तस्वीरें खिचवाई और मुस्कुराते दिखे तो पहली बार अमेरिका की बेचैनी साफ साफ नजर आई। अमेरिका की घबराहट इतनी बढ़ गई है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की तरफ से तुरंत बयान सामने आ गया और वो भारत के साथ व्यापार को डिजास्टर बताया है। लेकिन असलियत यही है कि ये अमेरिका की मजबूरी है। भारत की कूटनीति की जीत है। तिनजियांग में आयोजित एससीओ शिखर सम्मेलन केवल डिप्लोमैटिक मीटिंग नहीं थी। यहां मंच पर बड़ी तस्वीरें सामने आई। मोदी और शी जिनपिंग की मुस्कुराहट, मोदी पुतिन की कार की सवारी, तीनों नेताओं का एक साथ खड़ा होना। ये नजारा सिर्फ तस्वीरें नहीं बल्कि ग्लोबल जियोपॉलिटिक्स की नई पटकथा बयां करती है।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 1 सितंबर को दावा किया कि भारत ने सभी टैरिफ को ‘शून्य’ करने की पेशकश की है और कहा कि ‘अब बहुत देर हो चुकी है।’ ट्रंप ने भारत की व्यापार प्रथाओं पर भी निशाना साधा और लंबे समय से चले आ रहे आर्थिक संबंधों को “पूरी तरह से एकतरफा आपदा” बताया। भारत सरकार ने अभी तक उनके इस दावे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिसमें उन्होंने स्पष्ट रूप से दोनों पक्षों के बीच व्यापार समझौते के लिए रुकी हुई बातचीत के बारे में कहा है। यह अमेरिकी वित्त मंत्री स्कॉट बेसेंट द्वारा यह तर्क दिए जाने के बमुश्किल एक हफ़्ते बाद आया है कि भारत पर उच्च टैरिफ दरें “न केवल भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद के कारण हैं, बल्कि व्यापार समझौते के लिए बातचीत में कितना लंबा समय लगा है, इस पर भी हैं।
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ट्रम्प ने ट्रुथ सोशल पर अपने पोस्ट में कहा कि बहुत कम लोग यह समझते हैं कि हम भारत के साथ बहुत कम व्यापार करते हैं, लेकिन वे हमारे साथ बहुत अधिक व्यापार करते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि इसका कारण यह है कि भारत ने अब तक हम पर इतने ऊँचे टैरिफ लगाए हैं कि हमारे व्यवसाय भारत में बिक्री नहीं कर पा रहे हैं। यह पूरी तरह से एकतरफ़ा आपदा रही है!