Monday, October 20, 2025
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Ganges, Yamuna, Sutlej, Beas, Ravi, Ghaggar, Ghaghara समेत कई नदियां उफान पर, बाढ़ से कई जगह हाल बेहाल

देश में इस बार मानसून राहत से ज़्यादा आफ़त बनकर सामने आया है। जहाँ बारिश खेतों और जलस्रोतों के लिए जीवनदायिनी मानी जाती है, वहीं इस वर्ष इसका रूप विध्वंसक साबित हो रहा है। पंजाब बाढ़ से जूझ रहा है, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में भूस्खलन और तबाही की तस्वीरें सामने आ रही हैं, उत्तराखंड में भी भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान हो चुका है। दिल्ली और हरियाणा में बारिश ने ज़िंदगी की रफ़्तार थाम दी है, ट्रैफिक जाम और जलभराव ने लोगों की परेशानियाँ बढ़ा दी हैं।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की नई चेतावनी ने लोगों की चिंता और गहरी कर दी है, क्योंकि कई और राज्यों में भारी वर्षा का अनुमान है। यह स्थिति हमें याद दिलाती है कि जलवायु परिवर्तन अब कोई दूर की आशंका नहीं, बल्कि आज की सच्चाई है। तेज़ बारिश, असामान्य बाढ़ और बार-बार आने वाली प्राकृतिक आपदाएँ हमारी तैयारियों और व्यवस्था की पोल खोल देती हैं। ज़रूरत इस बात की है कि आपदा प्रबंधन तंत्र को मज़बूत किया जाए, शहरी क्षेत्रों में जलनिकासी व्यवस्था पर गंभीरता से काम हो और पहाड़ी राज्यों में निर्माण कार्यों को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नियंत्रित किया जाए। यह समय केवल राहत और बचाव तक सीमित रहने का नहीं है, बल्कि दीर्घकालिक रणनीति बनाने का है ताकि हर साल मानसून “आपदा” का पर्याय न बन जाए।

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वहीं बाढ़ और भारी वर्षा से उत्पन्न हालात का जिक्र करें तो आपको बता दें कि यमुना नदी का जलस्तर मंगलवार को खतरे के निशान को पार करने के साथ ही दिल्ली के यमुना पार इलाके के कुछ हिस्सों में पानी घरों में घुसने लगा। नदी सुबह खतरे के निशान को पार कर गई, जिससे राष्ट्रीय राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा पैदा हो गया। रात भर हुई बारिश के बाद दिल्ली के कई इलाकों में सड़कों पर पानी और घरों में पानी भरा हुआ दिखाई दिया। मयूर विहार और यमुना पार क्षेत्र के आसपास के इलाकों में भी जलभराव देखा गया। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के पुराने रेलवे पुल पर मंगलवार सुबह यमुना नदी का जलस्तर खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार कर 205.80 मीटर तक पहुंच गया। अधिकारी नावों से घोषणाएं कर रहे हैं तथा नदी के किनारे रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने का अनुरोध कर रहे हैं।
वहीं, जम्मू में भारी बारिश के पूर्वानुमान के मद्देनजर प्राधिकारियों ने सभी सरकारी और निजी स्कूलों को बंद रखने की अवधि एक और दिन के लिए बढ़ा दी, जबकि जम्मू विश्वविद्यालय ने भी सभी परीक्षाएं चार सितंबर तक स्थगित कर दी। मौसम विभाग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘कठुआ, जम्मू, उधमपुर और रियासी में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है, जबकि जम्मू क्षेत्र के डोडा, सांबा, राजौरी, पुंछ, रामबन और किश्तवाड़ तथा दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग और कुलगाम में मध्यम से भारी बारिश हो सकती है। यह बारिश मुख्य रूप से दो सितंबर की देर रात या तीन सितंबर की सुबह से तीन सितंबर दोपहर तक हो सकती है।’’ उन्होंने कहा कि कई संवेदनशील स्थानों पर बादल फटने, अचानक बाढ़ आने, भूस्खलन या पहाड़ियों से पत्थर गिरने तथा नदियों और नालों में जल स्तर बढ़ने की संभावना है।
दूसरी ओर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भूस्खलन से सात लोगों की मौत हो गई, जबकि बाढ़ प्रभावित पंजाब में सोमवार को फिर मूसलाधार बारिश हुई, जिसके कारण राज्य के सभी स्कूल और कॉलेज बंद कर दिए गए। वहीं जम्मू-कश्मीर के कटरा कस्बे में भारी वर्षा के बीच माता वैष्णो देवी मंदिर की तीर्थयात्रा लगातार आठवें दिन स्थगित रही। पिछले मंगलवार को यात्रा मार्ग पर भूस्खलन में 34 लोगों की मौत हो गई थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर बल दिया। उन्होंने सोमवार को जम्मू के सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र का ताबड़तोड़ दौरा किया। उनके साथ उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर भाजपा के वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
उधर, पिछले 24 घंटों में हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में भूस्खलन की अलग-अलग घटनाओं में 35-वर्षीय एक व्यक्ति और उसकी बेटी सहित पांच लोगों की मौत हो गई। राज्य में कई स्थानों पर भारी बारिश हुई। शिमला-कालका रेलमार्ग पर भूस्खलन के बाद छह ट्रेनें रद्द कर दी गई हैं और राज्य में पांच राष्ट्रीय राजमार्गों सहित 793 सड़कें बंद हैं। स्थानीय मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी करते हुए मंगलवार तक छह जिलों के कुछ इलाकों में अत्यधिक भारी बारिश की चेतावनी दी है।
राजस्थान में भी कई हिस्सों में भारी बारिश हुई, जिससे अजमेर के निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई और अन्य जगहों पर सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। राज्य में सबसे अधिक 211 मिमी बारिश पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर के चामू इलाके में दर्ज की गई। अजमेर में रविवार रात लगातार हुई बारिश से निचले इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति पैदा हो गई, जिससे कई सड़कें जलमग्न हो गईं और लोग अपने घरों में फंस गए।
उधर, सेना द्वारा जम्मू, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में राहत एवं बचाव अभियान शुरू किए जाने के बाद 5,000 से अधिक नागरिकों और 300 अर्धसैनिक बलों के जवानों को जलमग्न क्षेत्रों से बचाया गया है। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने पंचकूला के चंडीमंदिर स्थित सेना के पश्चिमी कमान मुख्यालय में मीडिया को बाढ़ प्रभावित राज्यों में व्यापक मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियानों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर लगी बाड़ को भी नुकसान पहुंचा है, न केवल पंजाब में, बल्कि जम्मू में भी। उन्होंने बताया कि चूंकि राहत एवं बचाव कार्यों के लिए विमानों को अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब उड़ान भरने की आवश्यकता होती है, इसलिए भारत और पाकिस्तान के बीच हवाई गतिविधि के बारे में जानकारी दी जा रही है जिससे लोगों को निकाला जा सके।
एक अधिकारी ने बताया कि तत्काल राहत पहुंचाने के लिए सेना विमानन और भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर सहित कुल 47 टुकड़ियों को सक्रिय किया गया है। अधिकारी ने कहा कि साथ ही इंजीनियर, चिकित्सा और संचार संसाधनों का भी इस्तेमाल किया जा रहा है।
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