हाल ही में हुए एससीओ समिट ने एशिया की राजनीति और वैश्विक समीकरण को हिलाकर रख दिया। जब दुनिया की नजरें चीन और भारत की तनातनी पर टिकी थी। तभी अचानक रूस ने ऐसा दांव खेला, जिसने सभी को चौंका दिया। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत को संभावित ऑफर दिया। एसयू-57 फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट और इसके लिए रूस भारत में इन विमानों के निर्माण के लिए निवेश भी करेगा। ये सिर्फ एक सौदा नहीं बल्कि भारत रूस रक्षा साझेदारी का नया अध्याय है, जो सीधे अमेरिका के एफ 35 प्रोग्राम को चुनौती देता है। दरअसल, भारत और रूस की दोस्ती की नींव ही रक्षा सहयोग पर टिकी रही है। 1960 में भारत ने मिग 21 खरीदा और यहीं से साझेदारी की शुरूआत हुई। 1980 में मिग 29 और एसयू 27 के अपग्रेड वर्जन ने भारतीय वायुसेना को ताकत दी। 2000 में ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट शुरू हुआ। ये भारत रूस का सबसे सफल रक्षा उदाहरण बन गया। फिर भारत ने रूस से एस 400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदा।
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इसी भरोसे का नतीजा है कि रूस अब भारत में एसयू57 के निर्माण के लिए निवेश की स्टडी कर रहा है। वहीं दूसरी तरफ भारत और रूस नई दिल्ली को रूसी एस-400 सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणालियों की अतिरिक्त आपूर्ति के लिए बातचीत कर रहे हैं, यह जानकारी टीएएसएस ने एक वरिष्ठ रूसी रक्षा निर्यात अधिकारी के हवाले से दी। रूस की संघीय सैन्य-तकनीकी सहयोग सेवा के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने कहा कि भारत के पास पहले से ही हमारी एस-400 प्रणाली है।” उन्होंने आगे कहा, “इस क्षेत्र में भी हमारे सहयोग का विस्तार करने की संभावना है। इसका मतलब है कि नई आपूर्तियाँ भी होंगी। फिलहाल, हम बातचीत के चरण में हैं।
एस-400 ने पाकिस्तान को चौंका दिया
एस-400 प्रणाली ने पाकिस्तान को चौंका दिया और उसकी वायु सेना को भारी नुकसान पहुँचाया। इसने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में किए गए आतंकी हमले के बाद भारत के ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय आसमान की रक्षा करते हुए कई लड़ाकू विमानों को मार गिराया।
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ट्रम्प के दबाव के बीच रियायती तेल सौदे पर चर्चा
इस बीच, रॉयटर्स ने सितंबर के अंत और अक्टूबर में कार्गो लोडिंग के प्रस्तावों से परिचित लोगों के हवाले से बताया कि यूराल क्रूड का एक बैरल अब ब्रेंट क्रूड की तुलना में 3-4 डॉलर सस्ता है। पिछले सप्ताह यह छूट लगभग 2.50 डॉलर और जुलाई में लगभग 1 डॉलर थी।
एस-400 की आपूर्ति पटरी पर
रूस द्वारा 2026 और 2027 में भारत को अंतिम दो एस-400 इकाइयाँ देने की उम्मीद है। भारत और रूस ने 2018 में पाँच इकाइयों के लिए 5.5 बिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से तीन पहले ही वितरित की जा चुकी हैं। शुगायेव ने दोहराया इस क्षेत्र में भी हमारे सहयोग का विस्तार करने की संभावना है। इसका मतलब है नई आपूर्तियाँ। फ़िलहाल, हम बातचीत के चरण में हैं।
भारत-रूस व्यापार पर अमेरिकी दबाव
कमी वाले तेल और अधिक एस-400 आपूर्ति की ये दो पेशकशें ऐसे समय में आई हैं जब भारत मास्को के साथ अपने तेल और हथियारों के व्यापार को लेकर अमेरिका के दबाव का सामना कर रहा है। पिछले महीने, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ लागू हुए, जिनमें से आधे टैरिफ का श्रेय उन्होंने नई दिल्ली द्वारा रूसी तेल की निरंतर खरीद को दिया। अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया है कि 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद भारतीय आयात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।