Monday, October 20, 2025
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महाराष्ट्र में छिड़ा ‘मराठा vs OBC’ का नया विवाद, आरक्षण को लेकर आखिर क्यों खिच गई हैं तलवारें?

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर नया टकराव सामने आ गया है। सरकार ने  मराठा आंदोलनकारी नेता मनोज जरांगे की 8 में से 6 मांगें मान लीं और मराठाओं को मराठा-कुणबी जाति प्रमाणपत्र देने का निर्णय लिया। इससे मराठा समुदाय को ओबीसी कोटे में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। जरांगे ने  कहा कि अब मराठवाड़ा और पश्चिम महाराष्ट्र के मराठा समुदाय को आरक्षण मिलेगा।

ओबीसी नेता भुजबल कैबिनेट बैठक से रहे नदारद

सरकार के फैसले से मराठा समुदाय में संतोष है, जबकि ओबीसी समाज में नाराजगी दिख रही है। ओबीसी नेता और मंत्री छगन भुजबल कैबिनेट बैठक से अनुपस्थित रहे और दोहराया कि यदि मराठाओं को ओबीसी कोटे में शामिल किया तो बड़ा आंदोलन होगा। ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके ने चेतावनी दी कि सरकार के पास मराठाओं को कुणबी प्रमाणपत्र देने का अधिकार नहीं है और ओबीसी समुदाय सड़कों पर उतरकर इसका विरोध करेगा।
मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच, महाराष्ट्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक कैबिनेट उपसमिति का गठन किया है। सूत्रों के अनुसार, यह उपसमिति ओबीसी आबादी के सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक विकास से संबंधित कार्यक्रमों और योजनाओं पर काम करेगी। वरिष्ठ भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले को उपसमिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 

मराठा आरक्षण विवाद

महाराष्ट्र सरकार द्वारा ओबीसी कल्याण पर एक कैबिनेट उपसमिति का गठन मराठा आरक्षण की मांगों को लेकर चल रहे तीव्र विरोध प्रदर्शन की पृष्ठभूमि में हुआ है। यह कदम मराठा कार्यकर्ता मनोज जरांगे द्वारा मुंबई में अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल समाप्त करने के फैसले के ठीक बाद उठाया गया है। आज़ाद मैदान में पाँच दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे मराठा नेता मनोज जरांगे ने राज्य द्वारा प्रमुख मांगों पर सहमति जताने के बाद प्रदर्शनकारियों की “जीत” की घोषणा की। समर्थकों से घिरे जरांगे ने मंगलवार शाम वरिष्ठ मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल द्वारा दिए गए जूस को पीकर अपना अनशन समाप्त किया। सरकार ने मराठवाड़ा क्षेत्र के पात्र मराठा परिवारों को ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आने वाले कुनबी जाति प्रमाण पत्र प्रदान करने का आश्वासन दिया। जाति प्रमाण पत्र की घोषणा के अलावा, राज्य सरकार आरक्षण विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने पर भी सहमत हुई है। इससे पहले, प्रदर्शनकारियों ने ओबीसी श्रेणी के तहत नौकरियों और शिक्षा में 10% आरक्षण की मांग की थी। 
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