Monday, October 20, 2025
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जापान में राजनीतिक संकट क्यों गहराया! पीएम शिगेरू इशिबा ने पद छोड़ने के पीछे ये थे कारण, सरकार की स्थिरता पर सवाल

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने जुलाई में हुए संसदीय चुनाव में भारी हार की जिम्मेदारी लेने के लिए उनकी पार्टी की ओर से बढ़ती मांग के बाद रविवार को पद छोड़ने की मंशा जाहिर की। जापान के सरकारी टेलीविजन ‘एनएचके’ की खबर से यह जानकारी मिली। पिछले साल अक्टूबर में पदभार ग्रहण करने वाले इशिबा ने अपनी ही पार्टी के भीतर अधिकतर दक्षिणपंथी विरोधियों की मांगों को एक महीने से अधिक समय तक नजरंदाज किया।
 

क्यों देने जा रहे हैं जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा अपने पद से इस्तीफा?

 
इशिबा का यह कदम ऐसे समय सामने आया है, जब उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) नेतृत्व चुनाव कराने को लेकर निर्णय करने वाली है। यदि इसे मंजूरी मिल जाती है, तो यह उनके खिलाफ एक प्रकार का अविश्वास प्रस्ताव होगा। प्रधानमंत्री रविवार को देर शाम संवाददाता सम्मेलन कर सकते हैं। ‘एनएचके’ के अनुसार, इशिबा पार्टी में और फूट न हो, इसके लिए पद से इस्तीफा देना चाहते हैं।
 
जुलाई में, इशिबा के सत्तारूढ़ गठबंधन को 248 सदस्यीय उच्च सदन में संसदीय चुनाव में बहुमत हासिल नहीं हो सका, जिससे उनकी सरकार की स्थिरता और अधिक कमजोर हो गई। यह फैसला उन्होंने शनिवार को कृषि मंत्री शिंजिरो कोइजुमी और अपने मार्गदर्शक माने जाने वाले पूर्व प्रधानमंत्री योशिहिदे सुगा से मुलाकात के बाद लिया। सुगा ने सोमवार को होने वाले मतदान से पहले इशिबा से इस्तीफे की सलाह दी थी। इससे पहले इशिबा ने पद पर बने रहने पर ज़ोर दिया था और कहा था कि जापान जब अमेरिका के शुल्क और अर्थव्यवस्था पर उसके असर, बढ़ती कीमतों, चावल नीति में सुधार और क्षेत्र में बढ़ते तनाव जैसी बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है, ऐसे समय में राजनीतिक परिवर्तन से बचना जरूरी है। चुनाव में हार के बाद नेतृत्व परिवर्तन या इशिबा के इस्तीफे की मांगें जोर पकड़ने लगी थीं।
 

चुनावी हार

ईशिबा का इस्तीफ़ा जुलाई के चुनावों में एलडीपी को मिली करारी हार के बाद आया है। ईशिबा की एलडीपी के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने निचले सदन और उच्च सदन, दोनों में अपना बहुमत खो दिया। एलडीपी 248 सीटों वाले उच्च सदन में बहुमत हासिल करने में विफल रही।
 

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जैसे-जैसे सरकार के प्रति जनता का असंतोष बढ़ता गया, ईशिबा को अपनी पार्टी के भीतर से चुनावी हार की ज़िम्मेदारी लेने की बढ़ती माँगों का सामना करना पड़ा। हालाँकि उन्होंने एक महीने से भी ज़्यादा समय तक एलडीपी के भीतर दक्षिणपंथी गुटों के दबाव का विरोध किया, लेकिन उनके नेतृत्व को लेकर पार्टी के आंतरिक मतभेद लगातार बढ़ते रहे, जिसके कारण अंततः उन्होंने इस्तीफ़ा देने का फ़ैसला किया।

एलडीपी जल्द नेतृत्व चुनाव पर फैसला करेगी

ईशिबा का इस्तीफ़ा एलडीपी द्वारा जल्द नेतृत्व चुनाव कराने के फ़ैसले से ठीक एक दिन पहले आया है। अगर यह फ़ैसला मंज़ूर हो जाता, तो यह प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव के रूप में सामने आता।
पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नोरिहिसा तमुरा ने रविवार को एनएचके के एक टॉक शो में कहा कि पार्टी में विभाजन को रोकने और आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि इशिबा सोमवार को होने वाले मतदान से पहले इस विवाद को “सुलझा” लें और उनसे इस्तीफा देने का आग्रह करें। तमुरा ने कहा कि पार्टी पहले ही आर्थिक उपायों पर ज़रूरी काम और अगले संसदीय सत्र में विपक्ष का समर्थन हासिल करने के तरीकों पर काम करने से विचलित हो चुकी है।
गौरतलब है कि इशिबा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जापान पर अमेरिकी प्रशासन द्वारा लगाए गए टैरिफ़ को 25% से घटाकर 15% करने में भी सफलता प्राप्त की। इशिबा ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने मुख्य व्यापार वार्ताकार, रयोसेई अकाज़ावा से ट्रंप को एक पत्र भिजवाया है, जिसमें उन्होंने जापान-अमेरिका गठबंधन के “स्वर्णिम युग” के निर्माण के लिए उनके साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की है और अमेरिकी नेता को जापान आने का निमंत्रण दिया है।
 

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इशिबा के शीर्ष सहयोगी, एलडीपी महासचिव हिरोशी मोरियामा, जो प्रधानमंत्री के पदभार ग्रहण करने के बाद से मुख्य विपक्षी नेताओं के साथ बातचीत करके विधेयक पारित कराने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, ने भी चुनाव में हार के बाद 2 सितंबर को पद छोड़ने की इच्छा जताई है, हालाँकि इशिबा ने उन्हें इस्तीफ़ा देने की अनुमति नहीं दी है। मोरियामा का जाना प्रधानमंत्री के लिए एक बड़ा झटका होता।
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