Monday, October 20, 2025
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Nepal Potests | नेपाल सोशल मीडिया प्रतिबंध! युवा प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा घायल

नेपाल जेनरेशन Z विरोध प्रदर्शन समाचार: नेपाल में सोमवार (8 सितंबर) को राजधानी काठमांडू में घुस आए प्रदर्शनकारियों पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों की कार्रवाई में चौदह लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए। हज़ारों युवा, जिन्हें ‘जेनरेशन Z प्रदर्शनकारी’ कहा जा रहा है, सरकार द्वारा कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के विरोध में संसद के बाहर इकट्ठा हुए थे, जिनमें से कई स्कूल यूनिफॉर्म में थे। कुछ लोग संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज किया। काठमांडू के बड़े हिस्से में अब कर्फ्यू लगा हुआ है। यह पहली बार था जब नेपाल के युवा, ‘जेनरेशन Z’, इस तरह सड़कों पर उतरे। आयोजकों ने राजनीतिक दलों और उनकी युवा शाखाओं से दूर रहने को कहा।

युवा प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में 19 लोगों की मौत

नेपाल में सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाए जाने के विरोध में राजधानी काठमांडू और कुछ अन्य इलाकों में सोमवार को युवाओं ने हिंसक प्रदर्शन के दौरान कम से कम 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
नेपाल के गृह मंत्री रमेश लेखक ने देश में मौजूदा हालात को लेकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
हालात बिगड़ने के बाद नेपाली सेना को राजधानी काठमांडू में तैनात किया गया। सेना के जवानों ने नए बानेश्वोर में संसद परिसर के आसपास के रास्तों पर नियंत्रण कर लिया है।

के पी शर्मा ओली ने मौतों पर दुख व्यक्त किया 

प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने मौतों पर दुख व्यक्त किया और आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन में कुछ अवांछित तत्वों की घुसपैठ” हुई, जिसके कारण सरकार को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान से बचाने के लिए बल प्रयोग करना पड़ा।
उन्होंने कहा, “सरकार का इरादा सोशल मीडिया साइटों पर प्रतिबंध लगाने का नहीं, बल्कि उन्हें नियंत्रित करने का था। उन्होंने यह भी घोषणा की कि एक जांच समिति गठित की जाएगी जो 15 दिनों में रिपोर्ट देगी।

इससे पहले, काठमांडू में ‘जेन ज़ी’ के बैनर तले स्कूली छात्रों समेत हजारों युवा संसद भवन के सामने इकट्ठा हुए और प्रतिबंध को तुरंत हटाने की मांग करते हुए सरकार विरोधी नारे लगाए।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार युवाओं का प्रदर्शन उस समय हिंसक हो गया जब कुछ प्रदर्शनकारी संसद परिसर में घुस गए, जिसके बाद पुलिस को भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले और रबर की गोलियों का इस्तेमाल करना पड़ा।

नेपाल पुलिस के प्रवक्ता विनोद घिमिरे ने कहा कि काठमांडू के विभिन्न हिस्सों में रैली के दौरान हिंसक झड़पों में 17 लोगों की मौत हो गई जबकि पूर्वी नेपाल के सुनसरी जिले में पुलिस की गोलीबारी में दो प्रदर्शनकारियों की भी मौत हो गई।
ये प्रदर्शन पोखरा, बुटवल, भैरहवा, भरतपुर, इटाहरी और दामक जैसे क्षेत्रों में भी हुए।
नेपाली कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि गठबंधन सरकार में नेपाली कांग्रेस पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले गृह मंत्री लेखक ने नैतिक आधार पर इस्तीफा दे दिया है।
लेखक ने शाम को प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली को उनके आवास, बालुवाटर में आयोजित कैबिनेट बैठक में अपना इस्तीफा सौंप दिया।

अस्पताल के अधिकारियों के हवाले से काठमांडू पोस्ट अखबार ने बताया कि नेशनल ट्रॉमा सेंटर में आठ लोगों की मौत हुई। एवरेस्ट अस्पतालमें तीन, सिविल अस्पताल में तीन, काठमांडू मेडिकल कॉलेज में दो और त्रिभुवन टीचिंग अस्पताल में एक व्यक्ति की मौत हुई।
द हिमालयन टाइम्स अखबार के अनुसार, सिविल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर सहित कई अस्पतालों में मरीजों के लिए जगह की कमी है और वे उन्हें दूसरे अस्पतालों में रेफर करना शुरू कर दिया है।
हिंसा के बाद, स्थानीय प्रशासन ने राजधानी के कई हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया। काठमांडू के अलावा, ललितपुर जिले, पोखरा, बुटवल और सुनसरी जिले के इटाहरी में भी कर्फ्यू लगा दिया गया।
मुख्य जिला अधिकारी छबि लाल रिजाल ने एक नोटिस में कहा, ‘‘प्रतिबंधित क्षेत्र में लोगों के आवागमन, प्रदर्शन, बैठक, सभा या धरना-प्रदर्शन की अनुमति नहीं होगी।’’

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स्थानीय प्रशासन ने बाद में ये प्रतिबंधात्मक आदेश राष्ट्रपति भवन, उपराष्ट्रपति आवास और प्रधानमंत्री कार्यालय के आसपास के विभिन्न क्षेत्रों में भी लागू कर दिए।
नेपाल सरकार ने अनिवार्य पंजीकरण प्रक्रिया का पालन नहीं करने पर चार सितंबर को फेसबुक, व्हाट्सऐप और एक्स सहित 26 सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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सरकार ने अपना रुख स्पष्ट किया है कि सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध उन्हें विनियमित करने के लिए लगाया गया है, लेकिन आम जनता में धारणा यह है कि इससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला होगा और सेंसरशिप की नौबत आ सकती है।
ओली ने देश में अपंजीकृत सोशल मीडिया मंचों पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए रविवार को कहा कि “राष्ट्र को कमजोर किए जाने के प्रयास कभी बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे।

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