जरा सोचिए कि अगर दो देश एक दूसरे से असहमत हो तो क्या एक दूसरे के सामान पर टैक्स लगा देंगे? क्या व्यापार का ये तरीका सही है। ब्रिक्स की इमरजेंसी वर्चुअल समिट में भारत ने यही सवाल उठाया है। भारत ने कहा है कि जबरदस्ती व्यापार को मुश्किल बनाने से कोई फायदा नहीं होगा। भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ब्रिक्स समिट में शामिल हुए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डि सिल्वा भी मौजूद थे। भारत की तरफ से भी पहले इस समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जाना था। लेकिन आखिर में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसमें शामिल होकर अपनी बात रखी। इस समिट का मकसद अमेरिका की टैरिफ नीतियों से पैदा हुई व्यापारिक चुनौतियों पर चर्चा करना था। अमेरिका ने भारत और ब्राजील जैसे देशों पर 50 प्रतिशत का टैरिफ लगाया है।
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इसी बैठक में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि दुनिया की मौजूदा स्थिति वास्तविक चिंता का कारण बन गई है। अलग-अलग वैश्विक चुनौतियों के सामने बहुपक्षीय प्रणाली विफल होती दिख रही है। वैश्विक व्यापार प्रणाली खुले, निष्पक्ष दृष्टिकोण पर आधारित होना चाहिए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का नाम लिए बिना जयशंकर ने कहा कि बाधाएं बढ़ाने, लेन-देन को मुश्किल बनाने से कोई मदद नहीं मिलेगी। व्यापार को हमेशा सुगम बनाना चाहिए।
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चीन ने ट्रम्प की चुनौतियों से निपटने के लिए एकजुट होने का आह्नान
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका की व्यापार चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होने पर जोर दिया। जिनपिंग ने कहा, ‘कुछ देशों द्वारा शुरू किए गए व्यापार युद्ध और टैरिफ युद्ध विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित करते हैं और नियमों को कमजोर करते हैं।