Monday, October 20, 2025
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भगवाकरण पर स्टालिन का हल्ला बोल: ‘ओरानियिल’ से 10 लाख परिवार जुड़े, केंद्र पर सीधा निशाना

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने शुक्रवार को कहा कि राज्य के दस लाख से ज़्यादा परिवार पार्टी के आउटरीच अभियान ओरानियिल तमिलनाडु में शामिल हो चुके हैं। डीएमके की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, “ओरानियिल तमिलनाडु राज्य की भूमि, भाषा और सम्मान की रक्षा के लिए समर्पित एक पहल है। X पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में, मुख्यमंत्री ने कहा कि 15 सितंबर को, जो पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय सीएन अन्नादुरई की जयंती है, लोग ज़िले भर के 68,000 से ज़्यादा बूथों पर इस अभियान का समर्थन करने का संकल्प लेंगे।
 

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सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा है, “तमिलनाडु की मिट्टी – भाषा – सम्मान की रक्षा के लिए हमारे #OraniyilTamilNadu आंदोलन में दस लाख से ज़्यादा परिवार शामिल हुए हैं। तमिलनाडु के नेता, महान विद्वान अन्ना की जयंती (15 सितंबर) पर, ये सभी एकजुट होकर, ज़िले भर के 68,000 से ज़्यादा बूथों पर यह संकल्प लेंगे।” स्टालिन ने तमिलनाडु की ज़मीन और लोगों की सुरक्षा के लिए इस कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसमें उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया है कि केंद्र सरकार ने लोगों के कल्याण और उनकी संस्कृति के ख़िलाफ़ काम किया है और राज्य को पर्याप्त धनराशि उपलब्ध कराने में विफल रही है। जनता तक यह संदेश पहुँचाने के लिए, DMK ने अपना राज्यव्यापी संपर्क अभियान ओरानियिल तमिलनाडु शुरू किया है।
1 जुलाई से शुरू हुआ यह अभियान सभी ज़िलों में सफलतापूर्वक चलाया जा रहा है और अभी भी जारी है। 20 और 21 सितंबर को, इस कार्यक्रम में DMK की ज़िला-स्तरीय बैठकें शामिल होंगी। पूरे तमिलनाडु में कई जनसभाएँ आयोजित की जाएँगी और मुख्यमंत्री स्टालिन अंतिम बैठक में भाग लेंगे और समापन भाषण देंगे। गौरतलब है कि डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 में प्रस्तावित त्रिभाषा नीति का विरोध किया है, जिसमें तीन भाषाओं को पढ़ाने की सिफारिश की गई है।
 

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त्रिभाषा विवाद ने 2020 की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के कार्यान्वयन को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच गतिरोध पैदा कर दिया है। डीएमके सरकार ने त्रिभाषा नीति को “भगवाकरण नीति” करार दिया है, जिसका उद्देश्य भारत के विकास के बजाय हिंदी को बढ़ावा देना है। डीएमके सरकार राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के विरोध में भी मुखर रही है।
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