वरिष्ठ भारतीय राजनीतिज्ञ, वकील और राज्यसभा सांसद पी चिदंबरम आज यानी की 16 सितंबर को अपना 80वां जन्मदिन मना रहे हैं। उन्होंने यूपीए सरकार के दौरान केंद्रीय वित्तमंत्री और गृह मंत्री के रूप में लंबा कार्यकाल पूरा किया था। बता दें कि एक अनुभवी नीति निर्माता और कानूनी विशेषज्ञ के तौर पर पी चिदंबरम ने भारत के आर्थिक और आंतरिक सुरक्षा ढांचे को आकार देने में अहम भूमिका निभाई थी। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर पी चिदंबरम के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और शिक्षा
तमिलनाडु के गांव कनाडुकथन में 16 सितंबर 1945 को पी चिदंबरम का जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम पलानीअप्पन चिदंबरम है। उन्होंने अपनी शुरूआती शिक्षा मद्रास क्रिश्चियन सेकेंडरी स्कूल से पूरी की। इसके बाद चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज से विज्ञान में सांख्यिकी विषय के साथ स्नातक किया। पी चिदंबरम ने बोस्टन के हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से बिजनेस मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
वकालत करते थे चिदंबरम
पी चिदंबरम शुरूआती दौर में चेन्नई कोर्ट में वकालत करते थे। वहीं साल 1984 में पी चिदंबरम वरिष्ठ वकील के रूप में नामित हुए थे। वह कई राज्यों के हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में बतौर वकील काम कर चुके हैं।
अनुभवी राजनेता है चिदंबरम
बता दें कि पी चिदंबरम एक मंझे हुए और अनुभवी राजनेता हैं। हालांकि कई मौकों पर उनके निर्णयों की जमकर आलोचना भी की गई है। जब जनलोकपाल आंदोलन चरम पर था, तो उस समय पी चिदंबरम देश के गृहमंत्री थे। ऐसे में जब दिल्ली पुलिस ने कानून व्यवस्था को बिगाड़े जाने का हवाला देकर अन्ना हजारे को गिरफ्तार कर तिहाड़ भेजा, तो पी चिदंबरम पर उंगली उठी। उस समय कहा गया कि इस अप्रिय स्थिति के लिए देश के गृह मंत्री पी चिदंबरम जिम्मेदार हैं। इसके अलावा रामलीला मैदान में योगगुरु रामदेव के समर्थकों पर हुई लाठीचार्च पर भी पी चिदंबरम पर सवाल उठाए गए थे।
उतार-चढ़ाव भरा रहा सियासी जीवन
बता दें कि साल 1972 में पी चिदंबरम ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की सदस्यता ग्रहण की। फिर साल 1973 में वह तमिलनाडु में युवा कांग्रेस अध्यक्ष और तमिलनाडु कांग्रेस प्रदेश समिति के महासचिव भी रह चुके हैं। इसके बाद साल 1984 में उन्होंने शिवगंगा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव जीते और सक्रिय राजनीति में आए। इसके बाद उन्होंने लगातार 6 बार इस सीट से जीत हासिल की।
कई पदों पर किया काम
राजीव गांधी सरकार में पी चिदंबरम ने कार्मिक मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय में उप मंत्री के रूप में कार्य किया। फिर साल 1986 में वह लोक शिकायत के साथ कार्मिक मंत्रालय में मंत्री पद पर रहे। साल 1986 में उनको केंद्रीय गृह मंत्रालय में आंतरिक सुरक्षा मंत्री का पदभार दिया गया। फिर साल 1991 में राज्य मंत्री के पद पर वाणिज्य मंत्रालय का स्वतंत्र प्रभारी बनाया गया। वहीं साल 1995 में वह दोबारा इस पद पर आसीन रहे।
इसके बाद साल 2004 में पी चिदंबरम को मनमोहन सरकार में दोबारा वित्त मंत्रालय सौंपा गया। इस पद पर पी चिदंबरम 2008 तक रहे। साल 2008 में दिल्ली में हुए आतंकवाद धमाकों के बाद तत्कालीन गृहमंत्री शिवराज पाटिल द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद पी चिदंबर को गृहमंत्री बनाया गया था।
विवादों से रहा पुराना नाता
पी चिदंबरम का विवादों से कभी नाता छूट ही नहीं पाया। संसद में चिदंबरम पर हिंदीभाषी सासंद और हिंदुओं के खिलाफ टिप्पणी करने जैसे कई आरोप लगे। इसके अलावा उन पर आरोप भी लहा कि वह राजीव गांधी ट्रस्ट के निदेशकों में से एक हैं।