केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश से सभी प्रकार के नशीले पदार्थों का सफाया करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मादक द्रव्य निरोधक कार्यबल (एएनटीएफ) के प्रमुखों के दूसरे राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि नशीली दवाओं के खतरे के खिलाफ कार्रवाई के पैमाने में बदलाव किया जाए ताकि आने वाले दिनों में और अधिक सफलताएँ मिलें।
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अमित शाह ने कहा कि मोदी जी ने 2047 में एक महान भारत के निर्माण की संकल्पना प्रस्तुत की। एक ऐसा भारत जो पूर्णतः विकसित होगा। अगर हमें ऐसा भारत बनाना है, तो अपनी युवा पीढ़ी को नशे से बचाना बेहद ज़रूरी है। क्योंकि किसी भी महान राष्ट्र की संकल्पना, उसकी नींव उस देश की युवा पीढ़ी होती है। अगर हमारी आने वाली पीढ़ियाँ खोखली हो जाएँगी, तो देश भटक जाएगा… दुर्भाग्य से, वे दोनों क्षेत्र जहाँ से दुनिया भर में नशे की आपूर्ति होती है, हमारे नज़दीक ही हैं… इसलिए यही समय है कि हम इसके खिलाफ मजबूती से लड़ें।
शाह ने कहा कि तीन तरह के कार्टेल होते हैं, एक वो कार्टेल जो देश के सभी एंट्री पॉइंट्स पर काम करता है, दूसरा वो कार्टेल जो एंट्री पॉइंट से राज्य तक डिस्ट्रीब्यूशन का कार्टेल है और तीसरा वो कार्टेल जो राज्यों में पान की दुकान या गली के नुक्कड़ पर ड्रग्स बेचने तक काम करता है। इन तीनों तरह के कार्टेल्स पर कड़ा प्रहार करने का समय आ गया है। मेरा मानना है कि ऐसा तभी हो सकता है जब यहां बैठे लोग तय कर लें कि ये लड़ाई हमारी लड़ाई है।
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अमित शाह ने कहा कि भगोड़ों का निर्वासन और प्रत्यर्पण, ये दोनों ही बातें बहुत महत्वपूर्ण हैं। अब समय आ गया है कि जो लोग विदेश में बैठकर यहाँ नशे का कारोबार कर रहे हैं, उन्हें हमारे कानून के दायरे में लाया जाए। सीबीआई ने इसमें बहुत अच्छा काम किया है। मैं सभी एएंडटीएफ अध्यक्षों से अनुरोध करता हूँ कि वे सीबीआई निदेशक से संपर्क करें और प्रत्यर्पण के लिए एक ऐसी व्यवस्था स्थापित करें, जो न केवल नशे, आतंकवाद, गिरोहों, बल्कि हर चीज़ के लिए उपयोगी हो। यह बहुत ज़रूरी है और जिस तरह प्रत्यर्पण ज़रूरी है, उसी तरह व्यावहारिक दृष्टिकोण के साथ निर्वासन भी ज़रूरी है। जिन लोगों को आपने यहाँ जेल में रखा है, वे किसी न किसी तरह से यहाँ से कारोबार को बढ़ावा दे रहे हैं। गृह मंत्रालय की ओर से कुछ दिशा-निर्देश दिए गए हैं। इस प्रक्रिया के प्रति उदार दृष्टिकोण अपनाया जाना चाहिए, उन्हें निर्वासित करने की व्यवस्था का रास्ता सुनिश्चित किया जाना चाहिए। गृह विभाग इसके लिए एक एसओपी भी जारी करने वाला है।