अहमदाबाद के बावला रोड,एस.जी. हाईवे के पास स्थित एन.एम. पडलिया फार्मेसी कॉलेज में ‘विश्व शिक्षक दिवस’ कॉलेज के अध्यक्ष एव मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेल की अध्यक्षता में मनाया गया। इस कार्यक्रम में गुजरात के पूर्व गृहमंत्री एव वर्तमान मे गुजरात भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष गोरधनभाई झडफिया मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे जिन्हे मगनभाई पटेलने पुष्पगुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। आज के कार्यक्रम में संस्था के प्रमुख और मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेल को मुख्य अतिथि गोरधनभाई झडफिया,कॉलेज के प्रिंसिपल जीतूभाई भंगाले और यश खलाने द्वारा ‘शिक्षा के भीष्म पितामह’ पुरस्कार प्रदान किया गया, जिसमें कॉलेज के स्टाफ और छात्र-छात्राओं भी शामिल थे।
शिक्षक दिवस के इस कार्यक्रम में कॉलेज के ११ विद्यार्थियोंने शिक्षकों की विभिन्न भूमिकाएं निभाईं, जिनमें संस्था के प्रमुख एवं मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेल की भूमिका यश खलाने निभाई थी,जिसमे वे संस्था के भ्रमण के दौरान प्रिंसिपल,शिक्षक एवं लैब प्राध्यापकों को किस प्रकार से सलाह एव मार्गदर्शन देते हैं, इसका आबेहूब अवलोकन प्रस्तुत किया था। यह देखकर मगनभाई पटेल अत्यंत प्रभावित हुए और उपस्थित सभी लोगोंने तालिओं की गड़गड़ाहट से सराहना की। इसके अलावा कॉलेज के प्रिंसिपल की भूमिका यश पटेलने निभाई,जबकि ९ विभिन्न संकायों की भूमिका कॉलेज के विद्यार्थियोंने निभाकर मनोरंजन प्रदान किया। संस्था के मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेलने प्रिंसिपल जितेंद्रभाई भंगाले, तमाम शिक्षकगण और प्राध्यापकों को पुरस्कार देकर सम्मानित किया।
यहां बताना आवश्यक है कि एन.एम.पाडलिया फार्मेसी कॉलेज अहमदाबाद के अर्बन क्षेत्र में बावला रोड, एस.जी. हाईवे के पास स्थित है, जिसमें छात्र बी.फार्म,एम.फार्म तक की पढ़ाई करते हैं और गाइड के माध्यम से पी.एच.डी भी कराया जाता हैं। गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (जीटीयू) की लगभग ८० कॉलेजों में से देश में प्रथमकक्षा की इस कॉलेज में बुनियादी ढांचा, स्टाफ,आधुनिक उपकरणों से युक्त बड़ी लैब, बड़ा मैदान,आधुनिक उपकरणों से युक्त क्लासरूम,फार्मेसी के विशेषज्ञ प्रोफेसर,फैकल्टीजवाली इस कॉलेज में सप्ताह में दो से तीन बार विभिन्न सेमिनार आयोजित किए जाते हैं, जिसमें विभिन्न महाविद्यालयों के डीन,वैज्ञानिक और विशेषज्ञ सेमिनार में वक्ता के रूप में आते हैं और अपनी राय व्यक्त करते हुए कहते हैं कि ‘यह न केवल गुजरात में बल्कि देश में भी प्रथम श्रेणी का कॉलेज है’। इस कॉलेज का एम.फार्म का परिणाम पिछले १२ वर्षों से १००% आ रहा है। इस कॉलेज में एम.फार्म की फीस ५९,००० रुपये है। देश के किसी भी अन्य फार्मेसी कॉलेज की फीस इतनी कम नहीं है और न ही इस कॉलेज जैसा बुनियादी ढांचा या स्टाफ है। इस कॉलेज में लगभग ८०% से ९०% छात्र धोलका और बावला जैसे ग्रामीण क्षेत्रों से आते हैं, जिनमें से अधिकांश बख्शीपंच परिवारों से हैं और करीब ३०% मुस्लिम परिवारों से हैं।हिंदू,मुस्लिम,सिख,ईसाई किसी भी भेदभाव के बिना अहमदाबाद के अर्बन क्षेत्र में स्थित यह कॉलेज देश का प्रथम श्रेणी का महाविद्यालय वास्तव में ज्ञान का मंदिर कहा जा है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ.जितेंद्र भंगालेने मगनभाई पटेल के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा कि मैं उन्हें अपना शिक्षक और गुरु मानता हूं। उन्होंने न केवल संस्थाओं को, बल्कि पीढ़ियों को भी आकार दिया है,उनका नेतृत्व भीष्म पितामह की भावना को दर्शाता है,वे शिक्षा पीढ़ी के सच्चे शिल्पकार हैं। उनके नेतृत्व और दूरदर्शितामें उदारता और समाज सेवा के प्रति अथक समर्पण है।भीष्म पितामह का जीवन हमें सेवा, समर्पण और दृढ़ता की शिक्षा देता है और इसीलिए हम न केवल एक व्यक्ति को बल्कि एक शैक्षणिक संस्थान, मगनभाई पटेल (बापा) को ‘शिक्षा के भीष्म पितामह’ पुरस्कार से सम्मानित कर रहे हैं, जो हम सभी के लिए अत्यंत हर्ष और गौरव की बात है। इस अवसर पर स्क्रीन पर मगनभाई पटेल की सेवा की झलक भी दिखाई गई, जिसकी सभी उपस्थित लोगों ने सराहना की।
इस अवसर परकॉलेज के मेनेजिंग ट्रस्टी मगनभाई पटेलने अपने भाषण में कहा कि शिक्षक दिवस सिर्फ़ एक दिन नहीं, बल्कि हमारे जीवन में शिक्षकों के महत्व को याद दिलाने का एक अवसर है। वे ज्ञान की ज्योत प्रज्वल्लित करते हैं,हमें सत्य का ज्ञान देते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनने में मदद करते हैं। हमारे जीवन की पहली शिक्षक हमारी ‘मां’ है,जो हमें १२ वर्ष की आयु तक अन्य धर्मों के रीति-रिवाजों, परंपराओं, संस्कृति और विशेष रूप से हिंदू संस्कृति की शिक्षा देती है। इसके अलावा जब हम बाल्यावस्था में छोटी-छोटी चींटियां, मक्खियां या कीड़े मारते है तब हमारी मां आसमान की तरफ ऊंगली उठाकर कहती हैं,’बेटा इसे मारना नहीं चाहिए भगवान देख रहा है,यह पाप माना जाएगा।’जब हम पांच साल के होते हैं, तब हम पड़ोसी के घर से कोई खिलौना या कोई और चीज़ लाते हैं, तब भी वे कहती हैं, ‘बेटा, यह तुम्हारा नहीं है, जाकर वापस दे दो, इसे चोरी कहते हैं,’ और तब भी वे आसमान की तरफ उंगलियां उठाकर कहती हैं, ‘भगवान इसे देख रहा हैं, यह पाप माना जाएगा।’ इसी प्रकार, जीवन के कई अन्य पहलुओं में, ‘मां’ ही एकमात्र व्यक्तित्व है जो किसी व्यक्ति के चरित्र को आकार देती है। मां हमें दैनिक जीवन की क्रिया भी सिखाती है जैसे शरीर की स्वच्छता, स्वास्थ्य की संभाल,कब सोना है, कब जागना है, बचपन में कब खेलने के लिए बाहर जाना है, अपने नाखूनों और बालों की अच्छी देखभाल करना तथा अपने से बड़ों का सम्मान करना और झुककर ‘जय कृष्ण’ कहना जैसे संस्कार भी सिखाती है। एक बच्चे के जीवन के सभी बुनियादी पहलुओं का ध्यान केवल एक मां ही रखती है, जैसे कि उसे स्कूल छोड़ना, उसे पढ़ाई के लिए ले जाना, तथा उसके स्कूल शिक्षक से उसकी पढ़ाई और अन्य मामलों के बारे में जानकारी लेना और एक ‘मां’ १२ वर्षों तक बच्चे की नींव में भारतीय संस्कृति की नींव रखती है, जो आगे चलकर संस्कृति और सभ्यता की इमारत खड़ी करती है, जिसके बाद बच्चे को समाज और आसपास की परिस्थिति के अनुसार ढाला जाता है। इस प्रकार ‘मां’ ही व्यक्ति के जीवन की सच्ची शिक्षिका और जीवन के अंधकार से प्रकाश की ओर ले जानेवाली सच्ची गुरु होती है।
मगनभाई पटेल ने अपने भाषण में आगे कहा कि शिक्षा व्यक्ति को चरित्रवान बनाती है। जो व्यक्ति जीवन में धर्म, सत्य और नीति का पालन करता है, वह सबसे महान है।शिक्षक केवल पाठ्यपुस्तकों से ज्ञान प्रदान करनेवाले ही नहीं हैं, बल्कि वे विद्यार्थियों के जीवन को आकार देनेवाले शिल्पकार भी हैं।वे ज्ञान के साथ-साथ संस्कार, संस्कृति और सही दिशा भी प्रदान करते हैं। एक अच्छा शिक्षक छात्रों को सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रेरित करता है। वे समाज निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
आज के शिक्षक दिवस के इस कार्यक्रम में मगनभाई पटेल को ‘शिक्षा के भीष्म पितामह’ से सम्मानित किया गया, जिसका प्रमाण यह है कि देश-दुनिया के सुप्रसिद्ध कथावाचक प.पू. द्वारकादासजी महादय जैसे आध्यात्मिक महानुभावो के साथ-साथ अनेक सामाजिक एवं धार्मिक संगठन भी अपने अनेक प्रमुख कार्यक्रमों में मगनभाई पटेल को ‘शिक्षा के भीष्म पितामह’ कहकर संबोधित करते हैं और वे कहते रहते हैं कि मगनभाई पटेल जिन्होंने अनेक लोगों को उद्यमी बनाया है, केंद्र और राज्य सरकारों की अनेक समितियों में उच्च पदों पर रहते हुए देश के लिए जो कार्य किया है तथा अनेक संगठनों में उच्च पदों पर रहते हुए भी वे उदारतापूर्वक दान देकर जो कार्य कर रहे हैं, वह अकल्पनीय है और इसीलिए अनेक सामाजिक संगठनोंने उन्हें सच्चे अर्थों में ‘भामाशाह’ की उपाधि से भी सम्मानित किया है। मगनभाई पटेल किसी भी सामाजिक,धार्मिक,स्वास्थ्य संबंधी,राजनीतिक या औद्योगिक कार्यक्रमों में मुख्य अतिथि या अध्यक्ष के रूप में उपस्थित होते हैं और देश के सुदूर भागों के लोगों के आंसू पोंछने की उनकी पद्धति को लोगों ने स्वीकार किया है और इसी कारण उन्हें ‘भीष्म पितामह’ या ‘भामाशा’ के रूप में सम्मानित किया जाता है।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित गुजरात के पूर्व गृहमंत्री गोरधनभाई झडफियाने अपने भाषण में कहा कि मैंने एक ग्रामीण स्कूल में पढ़ाई की है और उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त कर मैंने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया है, जिसका श्रेय मेरे शिक्षकों को जाता है। गोरधनभाईने ग्रामीण क्षेत्रों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और कृषि में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग चिंता का विषय है। तकनीकी अभाव के कारण आज ग्रामीण क्षेत्रों में केवल १०% उत्पादक कृषि ही हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर बड़े पैमाने में पलायन, उद्योगों का अभाव, रोज़गार की कमी आदि के कारण आज भी हमारे देश का ग्रामीण क्षेत्र अविकसित अवस्था में हैं और इसके लिए, विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के साथ-साथ सरकार को भी क्रांति लाने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, और हम सभी को भी ये प्रयास करने होंगे। ग्रामीण क्षेत्रों को विकसित करने के लिए यदि डेयरी उद्योग, कुटीर उद्योग, प्राकृतिक खेती, कृषि आधारित उद्योगों को छोटे स्तर पर सहकारी आधार पर विकसित किया जाए तो निश्चित मूल्य संवर्धन हो सकता है, ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों की ओर पलायन कम होगा तथा देश के दूरदराज के गांवों का भी निश्चित रूप से विकास हो सकता है। विश्व शिक्षक दिवस भारत में हर साल ५ सितंबर को राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है। वर्ष १९६२ में उनके छात्रों ने उनके जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा जिसे शिक्षकों के योगदान के लिए स्वीकार कर लिया गया।
इस दिवस की शुरुआत १९९४ में यूनेस्को द्वारा की गई थी। यह उत्सव यूनेस्को और अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा शिक्षकों की स्थिति से संबंधित १९६६ की सिफारिश पर हस्ताक्षर किए जाने की वर्षगांठ के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। ये सिफ़ारिशें शिक्षकों के अधिकारों, ज़िम्मेदारियों, उनकी रोज़गार की शर्तों और सतत शिक्षा के लिए मानक निर्धारित करती हैं। विश्व शिक्षक दिवस का मुख्य उद्देश्य दुनिया भर के शिक्षकों के कार्यों की सराहना करना, उनकी समस्याओं की ओर ध्यान आकर्षित करना और शिक्षा के क्षेत्र में उनकी भूमिका को बेहतर बनाना है। यूनेस्को के अनुसार, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अधिकार योग्य और प्रशिक्षित शिक्षकों के बिना प्राप्त नहीं किया जा सकता।यह दिन शिक्षकों को उनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन के लिए आभार व्यक्त करने तथा विद्यार्थियों के विकास में उनके योगदान को स्वीकार करने का अवसर है।इस अवसर पर शिक्षण स्टाफ के साथ-साथ गैर-शिक्षण स्टाफ के इस कार्यक्रम में डॉ. भूमि रावल, डॉ. नुसरत शेख, सूरज चौहान, डॉ. विश्व पटेल, नेहल त्रंबडिया, चेली साधवानी, कृष्णा तरेंटिया, अंसारी गजाला आदि प्राध्यापकों और शिक्षकों को विभिन्न पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित थे। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन सेमेस्टर-3 में अध्ययनरत छात्रा खुशी मालीने किया था।