इस बार संयुक्त राष्ट्र में हुआ सम्मेलन भारत के लिए बहुत खास रहा। इस बार सम्मेलन में हर तरफ भारत के ही चर्चे थे। कोई भारत की तेल खरीदारी को लेकर चिंता जाहिर कर रहा था। भारत की बढ़ती ताकत के लिए जमकर सराहना कर रहे थे। खास बात ये कि इस बार के सम्मेलन में भारत और चीन एक दूसरे के बहुत करीब आ गए। इतने करीब की चीन अब भारत को संयुक्त राष्ट्र में बदलावों को लेकर खुला समर्थन देने लगा है। भारत लंबे वक्त से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बदलावों की मांग कर रहा है। लेकिन हर बार भारत की इस मांग मं अड़ंगा लगाने वाला चीन बनता आया है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। चीन ने तो इस बार भारत को खुला समर्थन दे दिया।
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भारत जो संयुक्त राष्ट्र में बदलावों की मांग करता आया। अब चीन ने भी खुले तौर पर ऐलान कर दिया है कि वो भारत की इस मांग में उसके साथ खड़ा है। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र से अलग भारत ने एक बड़ी कूटनीतिक जीत हासिल की थी। भारत ने ब्रिक्स देशों के साथ एक ऐतिहासिक बैठक की और इस बैठक की अध्यक्षता करके भारत ने साफ कर दिया कि कैसे अमेरिका की जमीन पर ब्रिक्स देश मजबूत होने की ताकत रखते हैं। यूएन को सीधी चुनौती देने की हिम्मत रखते हैं। इसके बाद ब्रिक्स देशों का ज्वाइंट स्टेटमेंट सामने आया। इस स्टेटमेंट में 2023 जोहान्सबर्ग-II घोषणा-पत्र के तहत ब्रिक्स और विकासशील देशों के समर्थन से परिषद में सुधार और प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है।
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ब्रिक्स देशों की तरफ से खुले तौर पर एक पत्र जारी किया गया। इस स्टेटमेंट में कुल 20 से ज्यादा प्वाइंट शामिल किए गए। इसमें 14 नंबर वाला प्लाइंट सबसे खास था। 2023 जोहान्सबर्ग-इलोइस घोषणापत्र को मान्यता देते हुए, मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार के लिए अपना समर्थन दोहराया, जिसमें इसकी सुरक्षा परिषद भी शामिल है ताकि इसे और अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्वपूर्ण, प्रभावी और कुशल बनाया जा सके और परिषद की सदस्यता में विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जा सके ताकि यह मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का पर्याप्त रूप से जवाब दे सके और ब्रिक्स देशों सहित अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के उभरते और विकासशील देशों को अंतर्राष्ट्रीय मामलों में, विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र में इसकी सुरक्षा परिषद में अधिक भूमिका निभाने के लिए समर्थन दे सके।
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मंत्रियों ने एजुलविनी सहमति और सिरते घोषणापत्र में प्रतिबिंबित अफ्रीकी देशों की अनुमानित आकांक्षाओं को मान्यता दी। मंत्रियों ने इस बात पर बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद सुधार का उद्देश्य वैश्विक दक्षिण की आवाज को बुलंद करना है। 2022 बोइजिंग और 2023 जोहान्सबर्ग-इल नेताओं की घोषणाओं को याद करते हुए, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों के रूप में चीन और रूस ने सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में अधिक बड़ी भूमिका निभाने के लिए ब्राजील और भारत की आकांक्षाओं के प्रति अपना समर्थन दोहराया।