पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को स्वीकार किया कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद अंतरराष्ट्रीय दबाव, खासकर संयुक्त राज्य अमेरिका के दबाव और विदेश मंत्रालय के रुख के कारण पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया था। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि हालाँकि बदला लेने का विचार मेरे मन में आया था, लेकिन सरकार ने सैन्य कार्रवाई नहीं करने का फैसला किया। हालांकि, उनका यह बयान भाजपा को रास नहीं आया और उन्होंने इस स्वीकारोक्ति को बहुत देर से लिया गया बताया।
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एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में पी. चिदंबरम, जिन्होंने 175 लोगों की जान लेने वाले समन्वित आतंकवादी हमलों के कुछ ही दिनों बाद केंद्रीय गृह मंत्री का पदभार संभाला था। उन्होंने कहा, पूरी दुनिया दिल्ली में यह कहने आई थी कि युद्ध शुरू मत करो। उन्होंने बताया कि कोंडोलीज़ा राइस, जो उस समय अमेरिकी विदेश मंत्री थीं, उनके पदभार ग्रहण करने के दो-तीन दिन बाद उनसे और प्रधानमंत्री से मिलने आईं। उन्होंने कहा कृपया प्रतिक्रिया न दें। मैंने कहा कि यह एक ऐसा निर्णय है जो सरकार लेगी। बिना कोई आधिकारिक रहस्य उजागर किए, मेरे मन में यह विचार आया कि हमें बदले की कार्रवाई करनी चाहिए।
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कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री और “अन्य महत्वपूर्ण लोगों” के साथ संभावित जवाबी कार्रवाई पर चर्चा की थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने हमले के दौरान भी इस पर चर्चा की थी और विदेश मंत्रालय तथा आईएफएस के प्रभाव में यह निष्कर्ष निकाला गया था कि भारत को इस स्थिति पर शारीरिक प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि पूर्व गृह मंत्री ने स्वीकार किया है कि देश पहले से ही जानता था कि मुंबई हमलों को “विदेशी ताकतों के दबाव के कारण गलत तरीके से संभाला गया था।