Saturday, October 4, 2025
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BJP बंदूक के बल पर लोगों को राष्ट्रगान के लिए खड़ा कर रही है, Mehbooba Mufti ने फिर दिया विवादित बयान

महबूबा मुफ्ती की बयानबाज़ी का हमेशा से एक ही उद्देश्य रहता है कि राष्ट्र की मुख्यधारा से कश्मीर को लगातार काटे रखा जाये और हर राष्ट्रीय प्रतीक पर सवाल उठाये जाएं। उनका ताज़ा आरोप कि भाजपा “बंदूक के बल पर” लोगों को राष्ट्रगान के लिए खड़ा कर रही है, न केवल अतिशयोक्ति है बल्कि यह एक सोची-समझी नकारात्मक राजनीति का हिस्सा भी है। सच यह है कि राष्ट्रगान किसी भी देश के लिए केवल संगीत या शब्दों का समूह नहीं होता, बल्कि उसकी आत्मा, उसकी साझा पहचान और उसकी संप्रभुता का प्रतीक होता है। जब कुछ लोग जानबूझकर उसके सम्मान में खड़े होने से इंकार करते हैं, तो यह लोकतंत्र की स्वतंत्रता नहीं बल्कि उसकी मर्यादा का अपमान है। ऐसे में पुलिस यदि अनुशासन बनाए रखने की कोशिश करती है, तो उसे “बंदूक की राजनीति” कहकर खारिज करना अपने-आप में राष्ट्रविरोधी मानसिकता का प्रमाण है।
महबूबा मुफ्ती का यह बयान उस मनोवृत्ति का आईना है जो हर राष्ट्रीय पहल को दमन और हर अनुशासनात्मक कार्रवाई को दखल मानती है। विडंबना यह है कि वह खुद मानती हैं कि उनके छात्र जीवन में राष्ट्रगान पर खड़ा होना सहज था। इसलिए सवाल उठता है कि फिर आज यह सहजता क्यों लुप्त हो रही है? क्या इसके पीछे दशकों तक चले अलगाववादी एजेंडे और वही राजनीतिक छूट नहीं है, जिसका लाभ महबूबा जैसे राजनीतिज्ञ उठाते रहे हैं?

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सार्वजनिक मैदानों और युवाओं के खेल स्थलों को बचाने की चिंता उचित हो सकती है, लेकिन जब वही मंच राष्ट्रगान और राष्ट्रीय भावनाओं पर चोट पहुंचाने का माध्यम बन जाए तो समस्या और गहरी हो जाती है। महबूबा मुफ्ती को यह समझना होगा कि युवाओं को नशे और भटकाव से बचाने का सबसे बड़ा उपाय उन्हें राष्ट्रीय धारा से जोड़ना है। इसमें कोई दो राय नहीं कि महबूबा की राजनीति अब केवल नकारात्मकता और आरोपों पर आधारित रह गई है। वह हर राष्ट्रीय प्रयास को “विफलता” कहकर पेश करती हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि उनकी अपनी विचारधारा ही विफल हो चुकी है। कश्मीर आज आगे बढ़ना चाहता है, जबकि महबूबा मुफ्ती उसे अतीत की अंधेरी गलियों में खींचने पर तुली हैं। राष्ट्रगान का सम्मान लोकतंत्र की मजबूरी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की मर्यादा है। महबूबा मुफ्ती को यह बुनियादी अंतर समझना ही होगा।
हम आपको बता दें कि टीआरसी फुटबॉल मैदान में मंगलवार शाम राष्ट्रगान के दौरान बैठे रहे कई युवाओं को पुलिस द्वारा हिरासत में लिये जाने संबंधी सवाल के जवाब में महबूबा मुफ्ती ने विवादित बयान दिया था। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा ने बघाट-ए-बरजुल्ला स्थित एक निजी स्कूल- ‘मुस्लिम एजुकेशनल ट्रस्ट’ (एमईटी) के खेल के मैदान का दौरा करने के दौरान यह बयान दिया था। ऐसी खबरें थीं कि पुलिस इस मैदान का उपयोग शहीद स्मारक बनाने के लिए करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा, ‘‘मैं डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) से इस मामले में हस्तक्षेप करने और एमईटी स्कूल के मैदान को छोड़ने की अपील करती हूं ताकि युवा और स्थानीय लोग खेल तथा विवाह जैसी अन्य सामुदायिक गतिविधियों के लिए सार्वजनिक स्थान का उपयोग जारी रख सकें। अगर यह मैदान भी छीन लिया गया तो युवा भटक सकते हैं और नशे या अन्य अवांछित गतिविधियों का शिकार हो सकते हैं।”
हम आपको बता दें कि महबूबा ने शहर के चट्टाबल क्षेत्र में एक डेयरी फार्म ग्राउंड का भी दौरा किया जहां उन्होंने स्थानीय लोगों से बातचीत की। स्थानीय लोगों की मांग है कि इस डेयरी फार्म ग्राउंड को उनके लिए खुले रहने दिया जाए क्योंकि उनके पास यह मैदान एकमात्र खेल मैदान है। महबूबा मुफ्ती ने कहा, ‘‘इस जगह का इस्तेमाल कई दशकों से खेल गतिविधियों के लिए किया जाता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ‘मन की बात’ में पुलवामा में रात्रिकालीन क्रिकेट प्रतियोगिता की सराहना की थी। मैं सेना के कोर कमांडर से अपील करती हूं कि कृपया वह यह सुनिश्चित करें कि इस क्षेत्र के युवा इस खेल मैदान से वंचित न रहें।’’ 
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