मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में दूषित कफ सिरप पीने से 11 बच्चों की मौत के मामले में अधिकारियों ने कार्रवाई करते हुए डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार कर लिया है। डॉक्टर सोनी ने ही इन बच्चों को कोल्ड्रिफ कफ सिरप लिखा था।
पुलिस ने डॉ. सोनी और सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन फार्मास्युटिकल्स के संचालकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। यह मामला परासिया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी अंकित साहलम की शिकायत पर औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 27(ए) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 105 और 276 के तहत दर्ज किया गया है। जांच में सामने आया है कि डॉ. सोनी ने अधिकांश प्रभावित बच्चों को यही कोल्ड्रिफ कफ सिरप दिया था।
सिरप में जहरीला रसायन मिला
शुक्रवार को जारी हुई एक प्रयोगशाला रिपोर्ट में इस सिरप को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ। रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप में 48.6% डायथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) मौजूद था। यह एक अत्यधिक जहरीला रसायन है, जिसका सेवन करने पर किडनी फेल हो सकती है और मौत हो सकती है।
तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित इस सिरप को तमिलनाडु औषधि नियंत्रण निदेशालय की 2 अक्टूबर की रिपोर्ट में भी “अमानक और दोषपूर्ण (एनएसक्यू)” पाया गया था।
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सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध
दूषित पदार्थ की पुष्टि होते ही, मध्य प्रदेश सरकार ने शनिवार को तत्काल प्रभाव से कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया। सरकार ने आदेश दिया है कि सिरप की बिक्री, वितरण और निपटान पर तुरंत रोक लगाई जाए और अगली सूचना तक सभी उपलब्ध स्टॉक को सील कर दिया जाए। यह प्रतिबंध श्रीसन फार्मास्युटिकल्स द्वारा निर्मित अन्य उत्पादों पर भी बढ़ा दिया गया है।
कंपनी पहले से ही तमिलनाडु के अधिकारियों की जांच के दायरे में है, जिन्होंने 1 अक्टूबर को प्रारंभिक रिपोर्टों के बाद इसी तरह का प्रतिबंध लगाया था।
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रमुख सचिवों (स्वास्थ्य), स्वास्थ्य सचिवों और औषधि नियंत्रकों के साथ जल्द ही एक वीडियो कॉन्फ्रेंस करेंगे। इस बैठक का उद्देश्य कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग और दवाओं की गुणवत्ता एवं सुरक्षा सुनिश्चित करने पर चर्चा करना है।