जेएसएल रियल्टी मामले में कथित तौर पर सत्ता के दुरुपयोग के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा एक जाँच अधिकारी को फटकार लगाने के बाद, जाँच आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) से मुंबई अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दी गई है। यह स्थानांतरण आदेश महाराष्ट्र पुलिस महानिदेशक द्वारा जारी किया गया। मुख्य न्यायाधीश चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ आईआईएफएल द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जब उसने पाया कि वही जाँच अधिकारी, जिसे पहले गलत गिरफ्तारी के लिए आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था, अभी भी मामले को देख रहा है।
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अदालत ने इससे पहले आरोपी ममता सिंह को अंतरिम राहत दी थी, जिन्हें आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने 10 सितंबर को गिरफ्तार किया था। पीठ ने सिंह की गिरफ्तारी से जुड़ी विसंगतियों पर प्रकाश डाला और कहा कि उनका बयान 18 जून को दर्ज किया गया था, लेकिन उन्हें लगभग तीन महीने बाद बिना किसी स्पष्ट कारण के गिरफ्तार किया गया। अदालत ने सवाल किया कि सिंह को अपने दिव्यांग बच्चे के जन्मदिन की पार्टी के दौरान क्यों गिरफ्तार किया गया और अन्य आरोपियों के विपरीत उन्हें आगे नोटिस क्यों नहीं दिए गए।
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पीठ ने कहा देरी से हुई गिरफ्तारी के कारणों को बताने में विफलता जांच के आचरण पर गंभीर सवाल उठाती है। अधिकारी की कार्रवाई पक्षपातपूर्ण प्रतीत होती है और इसमें पारदर्शिता का अभाव है, जिसमें याचिकाकर्ता के परिसर में की गई तलाशी का कोई रिकॉर्ड नहीं है। अदालत ने इस बात पर ज़ोर दिया कि गिरफ़्तारी का अधिकार निरंकुश नहीं है और इसका प्रयोग दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 41(1)(बी)(ii) के तहत प्रक्रियाओं का पालन करते हुए किया जाना चाहिए। आगे अपराध रोकने, सबूतों से छेड़छाड़ करने या गवाहों को प्रभावित करने से रोकने के लिए गिरफ़्तारी ज़रूरी होनी चाहिए।