16 बच्चे और एक दवा जिसने उन्हें मौत के घाट उतार दिया – मध्य प्रदेश में कफ सिरप त्रासदी ने दवा परीक्षण प्रक्रियाओं में भारी खामियों को उजागर किया है, जिसके कारण बच्चों की मौत हुई और उनके परिवार बिखर गए। जबकि सरकारें और प्रशासनिक तंत्र इस त्रासदी पर देर से प्रतिक्रिया देते हुए प्रतिबंध लगा रहे हैं और स्टॉक जब्त कर रहे हैं, परिवार इस कड़वी सच्चाई को स्वीकार करने की कोशिश कर रहे हैं कि उन्होंने अपने बच्चों को जो दवा खिलाई थी, वह जहर थी।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने घोषणा की है कि वह मध्य प्रदेश में 16 बच्चों की मौत से जुड़े विवादास्पद कफ सिरप से जुड़े चिकित्सक डॉ. प्रवीण सोनी की गिरफ्तारी के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क करेगा। एक सूत्र ने इंडिया टुडे को यह जानकारी दी। आईएमए ने सवाल उठाया है कि डॉ. सोनी को ही ज़िम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इलाज के नियमों का पालन किया गया था और दोष सिर्फ़ डॉक्टर पर नहीं मढ़ा जाना चाहिए। एसोसिएशन डॉ. सोनी की रिहाई के लिए ज़ोर दे रहा है।
कर्नाटक सरकार ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में कुछ खास कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत की खबरों के बाद सभी प्रवर्तन अधिकारियों को इन पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया है।
खाद्य सुरक्षा एवं औषध प्रशासन (एफएसडीए) ने पांच अक्टूबर को जारी एक परिपत्र में कहा है कि तमिलनाडु स्थित एक दवा इकाई द्वारा निर्मित ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप (बैच संख्या एसआर-13) के सेवन से मध्य प्रदेश में हुई मौत की हालिया घटनाओं के मद्देनजर तमिलनाडु औषध नियंत्रण विभाग ने राज्य में उक्त बैच की दवाओं की खरीद, बिक्री और सेवन पर प्रतिबंध लगा दिया है।
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इसके अलावा, राजस्थान में केसन्स फार्मा, जयपुर द्वारा निर्मित डेक्सट्रोमेथॉर्फन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप आईपी के सेवन से कुछ बच्चों की मौत की खबरें आई हैं।
परिपत्र में कहा गया है, ‘‘कर्नाटक राज्य के सभी प्रवर्तन अधिकारियों को निर्माताओं की उपरोक्त दवाओं/बैच संख्या और इसी तरह के घटक वाली दवाओं पर कड़ी निगरानी रखने का निर्देश दिया जाता है। अगर किसी थोक व्यापारी, वितरक, खुदरा विक्रेता या सरकारी संस्थान के पास ये उत्पाद पाए जाते हैं तो उनसे परीक्षण और विश्लेषण के लिए नमूने लेने चाहिए और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 के अनुसार आवश्यक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए।’’
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कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर चिंताओं के बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने रविवार को सभी दवा निर्माताओं द्वारा संशोधित अनुसूची एम का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया और चेतावनी दी कि उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मंत्रालय ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक बुलाई ताकि दवा गुणवत्ता मानदंडों के अनुपालन की समीक्षा की जा सके।