अभिनेता शरद केलकर भारतीय मनोरंजन जगह की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिनकी एक्टिंग और आवाज ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। आज यानी की 07 अक्तूबर को शरद केलकर अपना 49वां जन्मदिन मना रहे हैं। हालांकि शरद केलकर के लिए यह सफर इतना भी आसान नहीं रहा है। जब शरद केलकर मुंबई आए थे, तो वह हकलाते थे और उनको यह भी नहीं पता था कि अभिनय कैसे करते हैं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अभिनेता शरद केलकर के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…
जन्म और परिवार
मध्य प्रदेश के ग्वालियर में 07 अक्तूबर 1976 को शरद केलकर का जन्म हुआ था। शरद केलकर ने अपनी शुरूआती पढ़ाई पूरी करने के बाद मार्केटिंग से एमबीए किया। लेकिन उनका मन शुरूआत से ही एक्टिंग में बसा था। इसलिए उन्होंने यहीं से आगे बढ़ने का फैसला किया।
ऐसे शुरू किया था करियर
शरद केलकर ने साल 2004 में टीवी शो ‘आक्रोश’ से अपने करियर की शुरूआत की थी। लेकिन अभिनेता को असली पहचान ‘सिंदूर तेरे नाम का’ और ‘सात फेरे’ जैसे शो से मिली थी। फिर साल 2009 में उन्होंने ‘बैरी पिया’ में ठाकुर दिग्विजय सिंह का किरदार निभाया था। इस किरदार से वह रातों-रात फेमस हो गए। साल 2010 में अभिनेता को बेस्ट निगेटिव एक्टर का खिताब मिला था।
अभिनेता की होस्टिंग और अभिनय क्षमता काफी बेहतरीन है। उन्होंने ‘रॉक-एन-रोल फैमिली’ और ‘पति पत्नी और वो’ जैसे शो में दमदार होस्टिंग की है। साल 2011 में टीवी शो ‘उतरन’ में सत्या का ग्रे शेड वाला किरदार निभाया। वह हर किरदार को जीवंत कर सकते हैं।
फिल्मी सफर
साल 2014 में शरद केलकर ने मराठी ब्लॉकबस्टर ‘लई भारी’ से फिल्मी दुनिया में एंट्री की। बॉलीवुड में फिल्म ‘हाउसफुल 4’ में शरद की कॉमिक टाइमिंग और ‘तान्हाजी’ में शिवाजी महाराज के रोल ने अभिनेता की रेंज दिखा दी। फिल्म ‘बाहुबली’ में शरद केलकर के वॉयसओवर ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
‘शिवाजी महाराज’ का किरदार
बता दें कि फिल्म ‘तान्हाजी’ से जुड़ा एक दिलचस्प किस्सा है। इस प्रतिष्ठित किरदार को निभाने के लिए अभिनेता शरद केलकर को सिर्फ 4 दिन का समय मिला था। इस कम समय में शरद ने महाराज के शौर्य, गरिमा और शालीनता को पूरी तरह से आत्मसात किया। शरद केलकर ने इस किरदार को सिर्फ एक राजा के तौर पर नहीं बल्कि एक पिता, गुरु और दूरदर्शी नेता के रूप में देखा।
आलोचकों और दर्शकों दोनों को शरद केलकर का यह रोल काफी पसंद आया। अभिनेता के आंखों में दिखाई देने वाला दृढ़ विश्वास और शालीनता ने शिवाजी महाराज के रोल को सजीव कर दिया था। शरद केलकर न सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता बल्कि होस्टिंग और वॉयसओवर की फील्ड में भी मिसाल हैं।