Thursday, October 16, 2025
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Prabhasakshi NewsRoom: दो साल की तबाही के बाद शांति ने जैसे ही दी दस्तक, वैसे ही झूम उठे गाज़ा और इज़राइल के लोग

गाज़ा और इज़राइल में आज ऐसी खुशी देखी जा रही है जो पिछले दो वर्षों में शायद किसी ने नहीं देखी थी। इस खुशी का कारण वह घोषणा है जिसने मध्य-पूर्व की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की मध्यस्थता में हुए युद्धविराम और बंधक सौदे पर बनी सहमति का पूरी दुनिया में स्वागत किया जा रहा है। हम आपको बता दें कि इस युद्ध ने अब तक 67,000 से अधिक जानें लीं और इस पूरे क्षेत्र की भूराजनीतिक संरचना को बदल डाला है।
यह समझौता अगर पूरी तरह लागू होता है तो यह गाज़ा-इज़राइल संघर्ष के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा शांति प्रयास होगा। पिछले कई प्रयास जहाँ असफल हो गए, वहाँ यह पहल उम्मीद की एक नयी लौ लेकर आई है। हम आपको बता दें कि मिस्र में चले अप्रत्यक्ष वार्तालाप के बाद इस समझौते की घोषणा हुई और इसके साथ ही गाज़ा की सड़कों से लेकर तेल अवीव के चौकों तक, आम नागरिकों के बीच उत्सव जैसा माहौल बन गया। संघर्षविराम की घोषणा के बाद तेल अवीव के “होस्टेज स्क्वेयर” पर परिजनों की भीड़ उमड़ पड़ी। एक माँ ने कहा— “हमारे बच्चे ट्रम्प के बिना वापस नहीं आते, हम उनके आभारी हैं।”
गाज़ा के लोगों के लिए यह क्षण लंबे भयावह दौर के बाद एक दुर्लभ राहत है। बमों की गूँज से टूटी सड़कों पर अब बच्चों की हँसी लौटती दिख रही है, जबकि इज़राइल में बंधक परिवार अपने प्रियजनों की वापसी की प्रतीक्षा में मोमबत्तियाँ जला रहे हैं। लेकिन दोनों ओर यह भी गहरी समझ है कि युद्धविराम केवल शुरुआत है— वास्तविक शांति तभी संभव है जब न्याय, सम्मान और सुरक्षा समान रूप से मिलें। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, गाज़ा के दक्षिणी शहर ख़ान यूनुस के लोगों ने कहा कि ईश्वर का धन्यवाद कि खूनख़राबा रुक गया। केवल हम ही नहीं, पूरी गाज़ा, सारे अरब और दुनिया भर के लोग इस शांति से खुश हैं।” यही भावनाएँ इज़राइल में भी देखी गईं, जहाँ बंधक परिवारों ने पटाखे छोड़े और राहत की साँस ली।
फिर भी, इस खुशी के पीछे अनिश्चितता की गहरी परछाई है। हम आपको बता दें कि ट्रम्प की 20-सूत्रीय “शांति रूपरेखा” का यह केवल पहला चरण है, जिसकी विस्तारपूर्ण रूपरेखा अभी सामने नहीं आई है। बुधवार देर रात ट्रम्प ने ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा था— “इज़राइल और हमास दोनों ने हमारे शांति समझौते के पहले चरण को मंज़ूरी दी है। इसका अर्थ है कि सभी बंधक शीघ्र रिहा होंगे और इज़राइल अपनी सेनाएँ सहमति की रेखा तक पीछे हटाएगा।”
इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “राजनयिक सफलता और राष्ट्रीय नैतिक विजय” बताया। उनका कहना है कि सभी बंधक अपने घर लौटेंगे और यह समझौता “मजबूत, स्थायी और चिरस्थायी शांति” की दिशा में पहला कदम है। ट्रम्प के लिए यह एक राजनीतिक उपलब्धि भी है क्योंकि उन्होंने चुनावी अभियान के दौरान वादा किया था कि वह गाज़ा और यूक्रेन दोनों संघर्षों में शांति लाएँगे।
परंतु युद्धविराम की इस सुबह के साथ ही कई प्रश्न अनुत्तरित हैं। जैसे- गाज़ा में युद्ध के बाद की प्रशासनिक व्यवस्था कौन संभालेगा? हमास का भविष्य क्या होगा? क्या वह अपने हथियार छोड़ेगा या इज़राइली सेनाओं की मौजूदगी तक उसका प्रतिरोध जारी रहेगा? इन सवालों के उत्तर ही आने वाले हफ्तों में इस “शांति” की स्थिरता तय करेंगे।
उधर, हमास ने भी अपने बयान में कहा है कि यह समझौता “हमारे लोगों के बलिदानों का फल है” और वह तब तक अपने “राष्ट्रीय अधिकारों, स्वतंत्रता और आत्मनिर्णय” की लड़ाई नहीं छोड़ेगा जब तक फिलिस्तीनी स्वाधीन राज्य की स्थापना नहीं होती।
दूसरी ओर, गाज़ा प्रशासन के अनुसार, 7 अक्टूबर 2023 से अब तक 67,000 से अधिक लोग मारे गए हैं और पूरा क्षेत्र मलबे में तब्दील हो चुका है। वहीं इज़राइली आँकड़ों के मुताबिक 1,200 नागरिक मारे गए थे और 251 को बंधक बनाकर गाज़ा ले जाया गया था। इनमें से 20 अब भी जीवित हैं। अब उम्मीद है कि अगले 72 घंटों में जीवित बंधकों की रिहाई शुरू होगी।
हम आपको यह भी बता दें कि ट्रम्प की योजना के अगले चरण में गाज़ा की प्रशासनिक देखरेख एक अंतरराष्ट्रीय निकाय करेगा, जिसमें ट्रम्प स्वयं और ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर भी शामिल होंगे। हालाँकि अरब देशों ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी शांति योजना का अंतिम लक्ष्य एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य होना चाहिए— जिसे नेतन्याहू सिरे से अस्वीकार करते हैं।
बहरहाल, आज गाज़ा और इज़राइल दोनों में खुशी है, पर यह खुशी अभी अधूरी है। यह राहत की साँस है, जीत की नहीं। क्योंकि किसी भी युद्ध की असली जीत तब होती है जब वह दुबारा न लौटे। इस समझौते ने दोनों जनता को यही संदेश दिया है कि रक्तपात की जगह संवाद ले सकता है, यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति सच्ची हो। युद्ध की राख से उठती यह शांति की चिंगारी भले ही छोटी हो, पर यह मध्य-पूर्व की सबसे लम्बी रात के बाद पहली सच्ची सुबह है।
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