नई दिल्ली। दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी ने मानसिक शक्ति फाउंडेशन के सहयोग से विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर एक विचारोत्तेजक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का मुख्य विषय था — “सेवाओं तक पहुँच: आपदा और आपात स्थितियों में मानसिक स्वास्थ्य”।
कार्यक्रम का शुभारंभ अकादमिक प्रमुख डॉ. सरोज मलिक द्वारा किया गया, जिन्होंने मुख्य वक्ता का हार्दिक स्वागत किया और कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। इसके पश्चात् डॉ. संजीव राय, रजिस्ट्रार, दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी, ने माननीय वक्ता डॉ. अमरेश श्रीवास्तव, प्रोफेसर एमेरिटस, मनोरोग विभाग, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी (कनाडा) एवं मानसिक शक्ति फाउंडेशन के संस्थापक, का स्वागत करते हुए उन्हें श्रोताओं से परिचित कराया। अपने उद्बोधन में डॉ. राय ने डॉ. श्रीवास्तव के अनुभवों का उल्लेख करते हुए प्रतिभागियों को उनसे प्रेरणा लेने और उनके ज्ञान से लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
अपने प्रेरणादायक संबोधन में डॉ. श्रीवास्तव ने यह रेखांकित किया कि मानसिक स्वास्थ्य एक मौलिक मानव अधिकार है और आपदा, संकट या सामाजिक अस्थिरता के समय मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं तक समान पहुँच और भी अधिक आवश्यक हो जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्राकृतिक या मानव-निर्मित दोनों प्रकार की आपदाएँ भावनात्मक तनाव को गहराई से प्रभावित करती हैं, इसलिए यह अनिवार्य है कि हम समुदाय-आधारित मानसिक स्वास्थ्य प्रणालियों को सशक्त करें और आपातकालीन स्थितियों में मनोवैज्ञानिक प्राथमिक सहायता को शामिल करें।
इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के शिक्षकों, शोधार्थियों एवं शिक्षक-प्रशिक्षुओं ने भाग लिया। सभी प्रतिभागियों ने तनाव प्रबंधन, आघात से उबरने तथा भावनात्मक सहनशीलता जैसे विषयों पर आयोजित संवादात्मक एवं सहभागिता सत्रों में सक्रिय भागीदारी की। मानसिक शक्ति फाउंडेशन के विशेषज्ञों ने अनुभवात्मक कार्यशालाओं के माध्यम से प्रतिभागियों को मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के व्यावहारिक उपायों से अवगत कराया। कार्यक्रम के अंत में डॉ. नसरुद्दीन ने उपस्थित सभी अतिथियों, वक्ताओं और प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में विश्विद्यालय के वित्त नियंत्रक श्री प्रकाश जी और फैकल्टी मेम्बर डॉ. आर. पी. सिंह, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. जयशंकर शुक्ल और डॉ. अनुराग मिश्र की भूमिका भी सराहनीय रही। कार्यक्रम का समापन सामूहिक संकल्प के साथ हुआ — कि हम सभी मिलकर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाएँगे, सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित करेंगे और मानसिक रोगों से जुड़ी सामाजिक पूर्वाग्रहों की दीवारों को तोड़ेंगे।