आंध्र प्रदेश में भारी बारिश के कारण कल्वाकुंटा बांध से पानी छोड़ा गया है। इसी तरह, पोन्नई एनीकट नदी से सुबह 4 बजे तक 6,500 घन फीट पानी छोड़ा गया। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि पानी का प्रवाह और बढ़ सकता है। इसके चलते, वेल्लोर और रानीपेट जिलों में पोन्नई नदी के किनारे रहने वाले ग्रामीणों को नदी के किनारे न जाने की सलाह दी गई है।
जिले के एक शीर्ष अधिकारी ने चेतावनी जारी करते हुए कहा कि गांवों में रहने वाले लोगों को नहाने सहित किसी भी उद्देश्य के लिए नदी का उपयोग नहीं करना चाहिए।
वेल्लोर के जिलाधिकारी वी आर सुब्बुलक्ष्मी ने बाढ़ की चेतावनी जारी करते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में कलावगुंटा बांध से शनिवार सुबह पौने आठ बजे तक लगभग 540 क्यूसेक पानी छोड़ा गया।
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उन्होंने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा कि पड़ोसी राज्य में बांध के जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश को देखते हुए सुबह आठ बजे से पानी का बहाव बढ़ाया जा रहा है।
अधिकारी ने कहा, इसलिए पोन्नई नदी के किनारे रहने वाले लोगों को सावधानी बरतने और किसी भी उद्देश्य के लिए नदी के पास जाने से बचने की सलाह दी जाती है, चाहे वह स्नान करना हो, कपड़े धोना हो या नदी पार करना हो।
इसके अलावा उन्होंने अभिभावकों से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि बच्चे नदी के निकट न जाएं।
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वहीं दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में अगले दो से तीन दिनों तक हल्की बारिश होने की संभावना है और इसके बाद राज्य में शुष्क मौसम रहेगा। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शनिवार सुबह तक कोलकाता सहित दक्षिण बंगाल के कुछ हिस्सों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलने और गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि उप-हिमालयी क्षेत्र के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश या गरज के साथ छींटे पड़ने की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह से राज्य में मुख्यतः शुष्क मौसम रहने की संभावना है।
पिछले सप्ताहांत उत्तर बंगाल में मूसलाधार बारिश के कारण कई स्थानों पर भूस्खलन और बाढ़ आने से 32 लोगों की मौत हो गई। शुक्रवार को सुबह 8:30 बजे तक 24 घंटों में राज्य में सबसे अधिक (23 मिलीमीटर) बारिश पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कलाईकुंडा में दर्ज की गई। पूर्व मेदिनीपुर के कांथी में 22 मिमी और उत्तर 24 परगना जिले के दमदम में 18 मिमी बारिश दर्ज की गई। आईएमडी के अनुसार, इस अवधि के दौरान उत्तर बंगाल के जिलों में कोई बारिश नहीं हुई।