तमिलनाडु के करूर में अभिनेता विजय की राजनीतिक रैली में हुई भगदड़ की केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) से जाँच कराने की माँग वाली विजय की तमिलगा वेत्री कझगम (टीवीके) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 13 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगा। 29 सितंबर की इस घटना में 41 लोगों की मौत हो गई थी और भीड़ प्रबंधन तथा जाँच पारदर्शिता को लेकर चिंताएँ पैदा हो गई थीं। सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह भगदड़ की सीबीआई जाँच की माँग वाली याचिका पर आदेश पारित करेगा। अदालत ने तमिलनाडु सरकार से भी इस पर जवाब दाखिल करने को कहा। याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें जाँच एजेंसी को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया गया था और विशेष जाँच दल (एसआईटी) से जाँच कराने का आदेश दिया गया था, जिस पर टीवीके ने आरोप लगाया था कि यह पक्षपातपूर्ण हो सकता है।
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न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने सवाल उठाया कि मद्रास उच्च न्यायालय की चेन्नई पीठ की एकल पीठ ने इस मामले का संज्ञान क्यों लिया और आदेश क्यों पारित किया। हालाँकि करूर, जहाँ भगदड़ हुई थी, उसके अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन मामले की सुनवाई उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ कर रही थी। टीवीके की ओर से अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने दावा किया कि उच्च न्यायालय ने पक्षकारों की राय सुने बिना ही अपना फैसला सुना दिया। उच्च न्यायालय में दायर याचिका का उद्देश्य बहुत सीमित था।
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सुब्रमण्यम ने कहा सरकार को रोड शो के लिए एक प्रोटोकॉल बनाने का निर्देश दिया जाना चाहिए। उच्च न्यायालय के आदेश में कई आरोप लगाए गए हैं। मदुरै पीठ को इस मामले की सुनवाई करनी चाहिए थी क्योंकि वह इस मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर पहले ही विचार कर चुकी है। वकील बिना कोई हलफनामा दाखिल किए पेश हुए। यह भगदड़ है। यह एक मानवीय त्रासदी है। यह आरोप कि अभिनेता विजय को पक्ष नहीं बनाया गया, पूरी तरह से झूठा है।