दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को केंद्र से उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा जिसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष पद सहित रिक्तियों का मुद्दा उठाया गया है। न्यायालय ने इसे एक महत्वपूर्ण मुद्दा बताया। मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ को सूचित किया गया कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष का पद 22 अप्रैल से रिक्त है, जब अंतिम अधिकारी का कार्यकाल समाप्त हुआ था।
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केंद्र की ओर से पेश वकील ने अदालत से अधिकारियों से निर्देश प्राप्त करने के लिए समय देने का आग्रह किया। इस पर पीठ ने कहा कि कृपया सुनिश्चित करें कि मामले आगे बढ़ें। अगली तारीख का इंतज़ार न करें। यह बहुत महत्वपूर्ण है। अदालत अल्पसंख्यक समन्वय समिति के संयोजक होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता मुजाहिद नफीस की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि “एनसीएम के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सभी पांच सदस्यों की नियुक्ति करने में सरकार की घोर विफलता के कारण एनसीएम पूरी तरह से और व्यवस्थित रूप से अक्षम हो गई है। याचिका में दावा किया गया है कि कार्यपालिका की इस लापरवाही ने भारत के अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों के संरक्षण और कल्याण के लिए संसद के एक अधिनियम द्वारा गठित एक महत्वपूर्ण वैधानिक निकाय को पूरी तरह से निष्क्रिय और नेतृत्वविहीन बना दिया है।
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याचिका में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के माध्यम से केंद्र को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम के अनुसार एनसीएम के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पांच सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने और पूरी करने का निर्देश देने की मांग की गई है। याचिका में नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से अधिमानतः अदालत के आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर पूरा करने की भी मांग की गई है।