रूस ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पश्चिमी दबावों के आगे झुकने वाला नहीं है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की है कि रूस ने अपने परमाणु-संचालित जल-ड्रोन ‘Poseidon’ का सफल परीक्षण किया है। यह ड्रोन परमाणु ऊर्जा से संचालित एक स्वायत्त जलयान है, जो गहराई में जाकर अभूतपूर्व गति से यात्रा कर सकता है। पुतिन के अनुसार, “इसे किसी भी मौजूदा रक्षा प्रणाली द्वारा रोका नहीं जा सकता।” यह घोषणा उस समय आई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के पहले किए गए “Burevestnik” मिसाइल परीक्षण की आलोचना की थी और पुतिन को यूक्रेन युद्ध समाप्त करने पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी थी।
देखा जाये तो रूस द्वारा ‘Poseidon’ का परीक्षण मात्र एक तकनीकी उपलब्धि नहीं, बल्कि यह एक शक्तिशाली रणनीतिक संकेत है। पुतिन ने इसे रूस की “अगली पीढ़ी की रणनीतिक प्रतिरोध क्षमता” के रूप में प्रस्तुत किया है। यह ड्रोन, जो ‘Sarmat’ अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल से भी अधिक विनाशकारी बताया जा रहा है, परमाणु शक्ति के संतुलन में नया अध्याय जोड़ता है। विशेष रूप से तब, जब यूक्रेन युद्ध के चलते रूस पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों और कूटनीतिक अलगाव से जूझ रहा है, यह परीक्षण उसके “अजेय” प्रतिरोध की घोषणा के रूप में देखा जा सकता है।
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हम आपको बता दें कि ‘Poseidon’ को एक स्वायत्त जलमग्न परमाणु ड्रोन के रूप में डिजाइन किया गया है, जो अत्यधिक गहराई और गति से चलकर दुश्मन के तटीय शहरों या नौसैनिक ठिकानों पर विनाशकारी हमला कर सकता है। इसकी सबसे भयावह संभावना यह है कि यह पारंपरिक मिसाइल रक्षा प्रणालियों को पूरी तरह निष्क्रिय कर देता है। पुतिन ने कहा है कि इसकी मारक क्षमता रूस की किसी भी मौजूदा प्रणाली से कहीं अधिक है— यह कथन अपने आप में अमेरिकी प्रभुत्व को चुनौती देता है।
दूसरी ओर, ट्रम्प ने पुतिन की इस घोषणा पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि रूस को युद्ध समाप्त करने पर ध्यान देना चाहिए, “जो एक सप्ताह में खत्म होना चाहिए था, अब चौथे वर्ष में प्रवेश कर चुका है।” किंतु उनके शब्दों के पीछे छिपा अर्थ कहीं अधिक गहरा है। ट्रम्प ने स्वयं घोषणा की कि उन्होंने अमेरिकी “Department of War” को परमाणु हथियार परीक्षण पुनः आरंभ करने का आदेश दिया है। उनका दावा है कि अमेरिका के पास “दुनिया में सबसे अधिक और सर्वाधिक आधुनिक” परमाणु हथियार हैं, जिनका नवीनीकरण उनके प्रथम कार्यकाल में हुआ था।
इस घोषणा से स्पष्ट है कि अमेरिका अब खुले तौर पर रूस की परमाणु महत्वाकांक्षा को सीधी चुनौती देने की तैयारी में है। यह कदम 1996 की Comprehensive Nuclear-Test-Ban Treaty (CTBT) की भावना की विपरीत दिशा में जाता है और वैश्विक निरस्त्रीकरण की प्रक्रिया को गंभीर झटका दे सकता है। ट्रम्प का यह बयान कि “अन्य देशों के परीक्षणों के कारण हमें भी बराबरी करनी होगी,” वस्तुतः एक नये परमाणु शीत युद्ध की शुरुआत का संकेत है।
देखा जाये तो रूस और अमेरिका के बीच यह तकनीकी प्रतिस्पर्धा अब केवल हथियारों की संख्या तक सीमित नहीं है, बल्कि “प्रौद्योगिकीय अप्रत्याश्यता” तक फैल चुकी है। ‘Poseidon’ और ‘Burevestnik’ जैसे हथियार न केवल परमाणु हमले की क्षमता बढ़ाते हैं, बल्कि युद्ध की अवरोधन-योग्यता की अवधारणा को ही ध्वस्त करते हैं। इसका सीधा अर्थ है कि भविष्य के किसी भी टकराव में “पहला प्रहार करने वाला” पक्ष लगभग अजेय रहेगा— यह सिद्धांत ही वैश्विक स्थिरता को सबसे अधिक अस्थिर बनाता है।
इस परीक्षण का एक और आयाम यह है कि चीन भी इस प्रतिस्पर्धा से दूर नहीं रह सकता। ट्रम्प के शब्दों में “चीन अभी तीसरे स्थान पर है, लेकिन पाँच वर्षों में बराबरी पर आ जाएगा।” इसका तात्पर्य यह है कि आने वाले दशक में तीन महाशक्तियों— अमेरिका, रूस और चीन के बीच परमाणु हथियारों की नई त्रिपक्षीय होड़ शुरू हो सकती है। यह परिदृश्य न केवल सैन्य तनाव को बढ़ाएगा, बल्कि नॉन-प्रोलिफरेशन यानी परमाणु अप्रसार संधि की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाएगा।
देखा जाये तो रूस का यह परीक्षण वस्तुतः पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच अपने सैन्य आत्मविश्वास का प्रदर्शन है। यह पुतिन के लिए घरेलू राजनीति में भी उपयोगी है— एक ऐसे नेता के रूप में जो “मदर रूस” की शक्ति को पुनः स्थापित कर रहा है। दूसरी ओर, ट्रम्प की प्रतिक्रिया उनके चुनावी राजनीतिक उद्देश्य से भी जुड़ी दिखती है। वह अपने मतदाताओं को यह दिखाना चाहते हैं कि अमेरिका “कभी पीछे नहीं रहेगा” और उनकी नीतियाँ अमेरिकी शक्ति को पुनर्जीवित कर सकती हैं।
देखा जाये तो ‘Poseidon’ का परीक्षण हमें यह याद दिलाता है कि विज्ञान और शक्ति की दौड़ अभी भी “नियंत्रण” से बाहर जा सकती है। रूस का यह कदम, अमेरिका की प्रतिक्रिया और चीन की संभावित प्रतिस्पर्धा, ये तीनों मिलकर 21वीं सदी के नये शीत युद्ध की पृष्ठभूमि तैयार कर रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय यदि समय रहते परमाणु हथियारों के नये परीक्षणों पर अंकुश नहीं लगाता, तो यह तकनीकी प्रतिस्पर्धा वैश्विक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकती है।
बहरहाल, मानवता के लिए सबसे बड़ी विडंबना यही है कि परमाणु शक्ति जितनी “सुरक्षा” का भ्रम देती है, उतनी ही “विनाश” की संभावना भी लेकर आती है। ‘Poseidon’ के परीक्षण ने हमें यह याद दिला दिया है कि शांति की गारंटी हथियारों की संख्या में नहीं, बल्कि समझ और संयम में निहित है।

