Sunday, December 28, 2025
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1984 में निर्दोष सिखों का नरसंहार, पुलिस मूकदर्शक बनी रही; पुरी बोले- याद करो वो भयावह दिन

केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने शुक्रवार को सिख समुदाय के खिलाफ 1984 की हिंसा की भयावहता को याद करते हुए कहा कि यह हिंसा हौज खास स्थित उनके घर के पास हुई थी। पुरी ने बताया कि उनके माता-पिता, जो डीडीए फ्लैट में रहते थे, को उनके दोस्त ने समय रहते बचा लिया था। पुरी ने एक्स पर लिखा, “मेरी सिख संगत के अन्य सभी सदस्यों की तरह यह हिंसा भी मेरे घर के पास हुई थी। मैं उस समय जिनेवा में तैनात एक युवा प्रथम सचिव था और अपने माता-पिता, जो एसएफएस, हौज खास स्थित डीडीए फ्लैट में रहते थे, की सुरक्षा और भलाई को लेकर बेहद चिंतित था। दिल्ली और कई अन्य शहरों में अकल्पनीय हिंसा भड़कने के बावजूद, मेरे हिंदू दोस्त ने समय रहते उन्हें बचा लिया और खान मार्केट स्थित मेरे दादा-दादी के घर की पहली मंजिल पर ले गए।”
 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए, पुरी ने कहा कि समावेशी विकास और शांति के युग को महत्व देना चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भारत अपने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखता है और बिना किसी भेदभाव के सभी के लिए विकास सुनिश्चित करता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज समय है कि हम उस हिंसा को क्रोध और गुस्से के साथ याद करें, साथ ही पीड़ितों को श्रद्धांजलि दें और उनके पीछे छोड़े गए परिवारों की पीड़ा और दर्द के प्रति सहानुभूति व्यक्त करें। यह समय है कि हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में समावेशी विकास और शांति के उस युग को महत्व दें जिसमें हम रह रहे हैं। आज भारत न केवल अपने अल्पसंख्यकों को सुरक्षित रखता है, बल्कि बिना किसी पूर्वाग्रह या भेदभाव के सबका साथ, सबका विकास भी सुनिश्चित करता है।
उन्होंने कहा कि मैं आज भी 1984 के उन दिनों को याद करके सिहर उठता हूँ जब असहाय और निर्दोष सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का बिना सोचे-समझे नरसंहार किया गया था, और उनकी संपत्तियों और पूजा स्थलों को कांग्रेस नेताओं और उनके साथियों द्वारा निर्देशित और नेतृत्व वाली हत्यारी भीड़ द्वारा लूट लिया गया था। यह सब इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या का ‘बदला’ लेने के नाम पर किया गया था। पुरी ने 1984 में सिख समुदाय के खिलाफ हिंसा के दौरान पुलिस की निष्क्रियता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें “मूकदर्शक” बनकर खड़े रहने के लिए “मजबूर” किया गया था।
 

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उन्होंने कहा कि यह वह समय था जब पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रहने को मजबूर थी, जबकि सिखों को उनके घरों, वाहनों और गुरुद्वारों से बाहर निकाला जा रहा था और ज़िंदा जलाया जा रहा था। राज्य की मशीनरी पूरी तरह से पलट गई थी। रक्षक ही अपराधी बन गए थे। पुरी ने आरोप लगाया कि सिखों की संपत्तियों की पहचान के लिए मतदाता सूचियों का इस्तेमाल किया गया और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर नरसंहार का “खुला समर्थन” करने का आरोप लगाया।
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