दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) नेता संजय सिंह, कार्यकर्ता नीरज शर्मा और अधिवक्ता मोहम्मद इरशाद द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता से संबंधित न्यायालय के पिछले आदेशों में से एक को चुनौती देने वाली याचिका दायर करने में हुई देरी पर प्रकाश डाला।
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याचिका पर सुनवाई करते हुए, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका दायर करने में हुई देरी पर चिंता जताई और दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) से तीन सप्ताह के भीतर देरी की माफी पर आपत्तियां दर्ज करने को कहा। साथ ही, अपीलकर्ता को आपत्तियों पर जवाब दाखिल करने की अनुमति भी दी। इस मामले पर अदालत में जनवरी में आगे सुनवाई होगी। याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ द्वारा पारित आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि शैक्षणिक रिकॉर्ड व्यक्तिगत जानकारी होती है, यहां तक कि सार्वजनिक पद पर आसीन लोगों के लिए भी, और इसलिए, उन्हें प्रकट करने में कोई सर्वोपरि सार्वजनिक हित नहीं है।
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न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की एकल पीठ ने पहले दिए आदेश में कहा यह तथ्य कि मांगी गई जानकारी एक सार्वजनिक व्यक्ति से संबंधित है, सार्वजनिक कर्तव्यों से असंबद्ध व्यक्तिगत डेटा पर गोपनीयता/गोपनीयता के अधिकार को समाप्त नहीं करता है। यद्यपि न्यायालय ने कहा कि सार्वजनिक पद धारण करने के लिए एक विशिष्ट शैक्षणिक योग्यता आवश्यक हो सकती है, तथापि न्यायालय ने आगे कहा कि प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता के खुलासे से कोई जनहित नहीं जुड़ा है।

