Friday, December 26, 2025
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Pullela Gopichand Birthday: बैडमिंटन के द्रोणाचार्य पुलेला गोपीचंद का 52वां जन्मदिन, जानिए उनके जीवन की अनसुनी बातें

भारत में जब भी बैडमिंटन का नाम का नाम लिया जाता है, तो पुलेला गोपीचंद का नाम सबसे पहले लिया जाता है। भारत में खेल को अंतरराष्ट्रीय लेवल पर अगल पहचान दिलाने वाले दिग्गज खिलाड़ी आज यानी की 16 नवंबर को अपना 52वां जन्मदिन मना रहे हैं। ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतने वाले भारत के दूसरे खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद खिलाड़ी से ज्यादा बतौर कोच फेमस हैं। पुलेला गोपीचंद को बैडमिंटन को द्रोणाचार्य भी कहा जाता है। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर पुलेला गोपीचंद के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…

जन्म और परिवार

आंध्र प्रदेश का 16 नवंबर 1973 को पुलेला गोपीचंद का जन्म हुआ था। पुलेला गोपीचंद बचपन से क्रिकेटर बनना चाहते थे। स्कूल के दिनों से उनको क्रिकटे का काफी शौक था। लेकिन गोपीचंद के भाई ने उनको बैडमिंटन के लिए प्रेरित किया। क्रिकेट के अलावा वह बैडमिंटन में अच्छे थे। इस कारण गोपीचंद के भाई चाहते थे कि वह अपनी एक पहचान बनाए। अपने बड़े भाई की बात को मानते हुए गोपीचंद ने बैडमिंटन में मेहनत और प्रैक्टिस करना शुरूकर दी। जिसके बाद वह प्रकाश पादुकोण के बीपीएल प्रकाश पादुकोण अकादमी में भी शामिल हुए।
गोपीचंद एक मिडिल क्लास परिवार से ताल्लुक रखते थे। इसके बाद परिवार द्वारा इकट्ठा किए पैसों से वह बैडमिंटन खेलते थे, जिससे वह इस खेल में अपना करियर बना सकें। हालांकि उनके परिवार के लिए पैसों का इंतजाम करना इतना भी आसान नहीं था। उन्होंने उधार के पैसों से बैडमिंटन खरीदकर खेलना शुरूकर दिया था। इसके अलावा उनके पास कई बार स्टेडियम तक जाने के पैसे नहीं होते थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।

कई सम्मान

साल 1996 से लेकर 2000 तक गोपीचंद ने लगातार पांच बार नेशनल चैंपियनशिप जीती है। साल 2001 में उन्होंने ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप जीती और ऐसा करने वाले वह दूसरे खिलाड़ी बने। इससे पहले साल 1980 में प्रकाश पादुकोण ने यह खिताब अपने नाम किया था। गोपीचंद को राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड, अर्जुन अवॉर्ड, पद्मश्री, पद्मभूषण जैसे सम्मान से सम्मानित किया गया है। वहीं साल 2009 में पुलेला गोपीचंद ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड हासिल किया।

ऐसे की अकादमी की शुरूआत

आने वाली पीढ़ी के लिए गोपीचंद ने बैडमिंटन अकादमी खोलने का फैसला लिया। लेकिन उनके पास अकादमी खोलने के पास इतने पैसे नहीं थे। इस कारण उन्होंने साल 2008 में अपना घर गिरवी रखने का फैसला किया और इन पैसों से बैडमिंटन अकादमी की शुरूआत की। इस अकादमी ने देश को कई खिलाड़ी दिए। बता दें कि पीवी सिंधु से लेकर साइना नेहवाल तक कई शानदार खिलाड़ी उनकी अकादमी का हिस्सा बने।
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