वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने अपदस्थ बांग्लादेशी प्रधानमंत्री शेख हसीना को दी गई मौत की सज़ा पर प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सिंघवी ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि यह सज़ा एक ख़तरे की घंटी है और इस बात पर ज़ोर दिया है कि भारत को किसी भी कीमत पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए। सिंघवी ने पूर्व अफ़ग़ान राष्ट्रपति नजीबुल्लाह के भाग्य से तुलना करते हुए कहा कि शेख हसीना सुरक्षा, स्थिरता और सहयोग के मामले में एक दृढ़ सहयोगी रही हैं और भारत को उनसे मुँह नहीं मोड़ना चाहिए।
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78 वर्षीय हसीना पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया गया, क्योंकि जुलाई 2024 में सत्ता से बेदखल होने के बाद से वे भारत में निर्वासित हैं और उन्हें मानवता के विरुद्ध अपराध करने के लिए मृत्युदंड दिया गया। इस बीच, बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को भारत से हसीना और देश के पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को तुरंत प्रत्यर्पित करने की अपील की। बांग्लादेश ने दावा किया कि प्रत्यर्पण संधि के तहत भारत ऐसा करने के लिए बाध्य है।
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अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के फैसले में फरार अभियुक्त शेख हसीना और असदुज्जमां खान कमाल को जल्लाही (जल्लाद) हत्याकांड का दोषी ठहराया गया है और सज़ा सुनाई गई है। अगर कोई भी देश मानवता के विरुद्ध अपराधों के इन दोषियों को शरण देता है, तो यह अत्यंत असहिष्णुतापूर्ण और न्याय के प्रति अवहेलनापूर्ण कृत्य होगा। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि वह इन दोनों दोषियों को तुरंत बांग्लादेशी अधिकारियों को सौंप दे। दोनों देशों के बीच विद्यमान प्रत्यर्पण संधि के अनुसार, यह भारत का भी एक अनिवार्य कर्तव्य है।

