रूस के राष्ट्रपति व्लादमीर पुतिन इस साल दिसंबर महीने में भारत का दौरा करें। यह दौरा इसलिए बड़ा होने वाला है क्योंकि यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों की नाराजगी के बावजूद रूसी राष्ट्रपति भारत आने वाले हैं। आपको बता दें दिसंबर में भारत रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन है और इसी की तैयारी को लेकर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर मॉस्को पहुंचे। मॉस्को में जयशंकर ने रूसी विदेश मंत्री सरगई लावो से मुलाकात की है। लेकिन इन सब के बीच एक बड़ा खेल हो गया है। दरअसल, यूक्रेन ने जंग के लिए एक नई आर्मी बनाने का ऐलान कर दिया है जिसके लिए वो दुनिया भर से साथ मांग रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूक्रेन ने अब ड्रोन आर्मी बनाने का फैसला ले लिया है ताकि वह युद्ध में अपने दुश्मन से और भी ज्यादा मजबूती से लड़ सके। इस बात की जानकारी यूक्रेन के विदेश मंत्री एंड्री सीबिया ने सोशल मीडिया एक्स पर दी। यूक्रेन के विदेश मंत्री ने यूक्रेन के समर्थकों से ड्रोन उत्पादन में और उसके प्रोडक्शन को और भी ज्यादा बढ़ाने के लिए मदद की मांग रखी है।
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यूक्रेन के विदेश मंत्री ने पोस्ट करते हुए लिखा कि आधुनिक हथियारों की दौड़ परमाणु हथियारों के बारे में नहीं यह लाखों सस्ते ड्रोन के बारे में है। जो लोग उत्पादन को तेजी से बढ़ा सकते हैं वे शांति सुनिश्चित करेंगे। इसके लिए यूक्रेन के रक्षा उद्योग के लिए पर्याप्त धन की मदद चाहिए। अगर यूक्रेन को ड्रोन बनाने के लिए पर्याप्त धन मिले तो हम अगले साल 2 करोड़ ड्रोन तक तैयार कर सकते हैं। हालांकि इस पोस्ट में कहीं भी यह साफ नहीं लिखा गया कि ड्रोन बनाने के लिए यूक्रेन ने किन-किन देशों से मदद मांगी है। देखना यह होगा कि यूक्रेन की ड्रोन बनाने वाली इस डील के लिए कौन से देश सामने आते हैं। क्या यूक्रेन भारत से इसके लिए मदद मांग सकते हैं।
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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता का एक कारक रहे हैं और इनका विकास और विकास न केवल दोनों देशों के पारस्परिक हित में है, बल्कि विश्व के हित में भी है। रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ अपनी बैठक के दौरान, जयशंकर ने कहा कि दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में कई द्विपक्षीय समझौतों, पहलों और परियोजनाओं पर चर्चा चल रही है। “मैं फिर से मिलने के इस अवसर का स्वागत करता हूँ और हमारी नियमित बातचीत – जैसा कि आपने इस वर्ष अब तक छह बार उल्लेख किया है – हमारे द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय, वैश्विक और बहुपक्षीय मुद्दों पर दृष्टिकोण साझा करने में बहुत मददगार रही है। मेरे लिए यह विशेष अवसर और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हम 23वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए राष्ट्रपति पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी कर रहे हैं।
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जयशंकर ने कहा कि दोनों देश जटिल वैश्विक स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान करेंगे, उस खुलेपन के साथ जो हमेशा से हमारे संबंधों की विशेषता रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व और अफ़ग़ानिस्तान जैसे मुद्दे शामिल हैं। भारत शांति स्थापना की दिशा में हाल के प्रयासों का समर्थन करता है। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष इस लक्ष्य की ओर रचनात्मक रूप से बढ़ेंगे। संघर्ष का शीघ्र अंत और स्थायी शांति सुनिश्चित करना पूरे अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के हित में है।

