हाल ही में लघु उद्योग भारती और इंडिया एक्सपोज़िशन मार्ट द्वारा बेंगलुरु में 7वें इंडिया मैन्युफैक्चरिंग शो 2025 (IMS 2025) का आयोजन किया गया। जिसमें देश के विभिन्न राज्यों और 220 MSMEs के 450 से अधिक प्रदर्शकोंने भाग लिया। बेंगलुरु में आयोजित इस शो का उद्घाटन भारत सरकार के रक्षामंत्री राजनाथ सिंहजी ने किया। तीन दिवसीय शो में केंद्रीय ऊर्जामंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय MSME और श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, इसरो के अध्यक्ष वी. नारायण, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) के अध्यक्ष समीर वी. कामत भी उपस्थित थे। भारत विनिर्माण शो 2025 का उद्देश्य एयरोस्पेस और रक्षा इंजीनियरिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, वैश्विक साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देना था, जिसके अनुरूप प्रदर्शकों ने एयरोस्पेस और रक्षा, स्वचालन और रोबोटिक्स, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स आदि के क्षेत्र में नवाचारों का प्रदर्शन किया।
गुजरात के प्रसिद्ध उद्योगपति एवं समाजसेवी मगनभाई पटेल द्वारा स्थापित इंजीनियरिंग उत्पाद, डेयरी मशीनरी एवं फ्लेक्सिब्ल प्रिंटिंग मशीनरी बनानेवाली अहमदाबाद की अग्रणी कंपनी जतिन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज,शाम इंडस्ट्रीज और औद्योगिक वाल्व बनानेवाली फ्लोस्टर इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेडने भी भाग लिया था जिसमे कंपनी का प्रतिनिधित्व डेयरी विभाग के मार्केटिंग मैनेजर राकेशभाई भेसदड़ियाने किया,जो एक मिकेनिकल इंजीनियर हैं और जिन्हें भारतीय डेयरी मिल्क फेडरेशन, दक्षिण एवं कर्नाटक मिल्क फेडरेशन, केरल मिल्क फेडरेशन और तमिलनाडु मिल्क फेडरेशन में 15 वर्षों का कार्य अनुभव है,वर्तमान में, वे जतिन ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज में डेयरी टेक्नोलॉजिस्ट के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने और उनकी टीम ने इसमें भाग लिया और इसे एक अध्ययन रिपोर्ट के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि हम सरकार और विभिन्न NGOS के साथ मिलकर काम करेंगे तो देश के सुदूर क्षेत्रों के लोगों का विकास होगा, साथ ही देश के डेयरी उद्योग, कृषि, लघु-सूक्ष्म-कुटीर-खादी ग्रामोद्योग और पशुपालन क्षेत्रों में रोजगार सृजन होगा, ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा और देश में निश्चित रूप से परिणामोन्मुखी कार्य होंगे।
देश में चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो, हम सभी को देश के सुदूरतम क्षेत्र के नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए मिलकर काम करना होगा। आज देश में सीमा सुरक्षा और घरेलू सुरक्षा को लेकर कई समस्याएं हैं,लेकिन अगर हम आलोचनाओं और नकारात्मक टिप्पणियों से दूर रहकर राष्ट्रहित को ध्यान में रखें और “राष्ट्रप्रथम” की भावना को पोषित करें, तो हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी का विकसित भारत का सपना सचमुच साकार होगा।
इस प्रदर्शनी पर प्रतिक्रिया देते हुए जतिन ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और मेनेजिंग डिरेक्टर मगनभाई पटेलने एक मीडिया इंटरव्यू में कहा कि हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदीजी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंहजीने आत्मनिर्भर भारत के लिए, विशेष रूप से रक्षा क्षेत्र में बहुत प्रोत्साहन दिया है। हम अब धीरे-धीरे उस देश से आगे बढ़े हैं जो पहले अपनी हथियार प्रणालियों और सेंसरों का 70% आयात करता था, जहां हमने पिछले साल अपने घरेलू उद्योग के लिए 90% ऑर्डर दिए थे। हमारे आदरणीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में, आत्मनिर्भर भारत के मिशन के तहत, भारत 2030 तक विनिर्माण के माध्यम से वैश्विक अर्थव्यवस्था में सालाना 500 बिलियन डॉलर जोड़ सकता है, जिसमें भारत की औद्योगिक यात्रा का 33% वर्तमान में रोजगार में योगदान दे रहा है और 45% निर्यात MSME से आ रहा है।आज रक्षाक्षेत्र में लगभग सभी चीजें भारत में आयात की जा रही हैं, लगभग 90% बुलेटप्रूफ जैकेट भारत में बनाई जा रही हैं। केंद्र सरकारने स्थानीय निर्माताओं, विशेषकर MSME के लिए 15,350 रक्षा वस्तुएं आरक्षित की हैं। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का ज़िक्र करते हुए मगनभाई पटेलने कहा कि देश के दुश्मन को पता भी नहीं चला कि कब कार्रवाई हो गई। ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुए ज़्यादातर उपकरण देश के MSME (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) द्वारा बनाए गए थे। देश ने पिछले साल अपनी 70% हथियार प्रणालियां और सेंसर विदेशों से आयात किए थे और 90% ऑर्डर भारतीय उद्योगों ने दिए थे। किसी भी देश के लिए अपनी संप्रभुता बनाए रखने के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करना बहुत ज़रूरी है। आज हम बहुत ही दिलचस्प दौर में जी रहे हैं। हम एकध्रुवीय विश्व से बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ रहे हैं। आज, अगर किसी देश को अपना आर्थिक विकास सुनिश्चित करना है, तो उसे बाहरी और आंतरिक सुरक्षा, दोनों सुनिश्चित करनी होंगी। आप महत्वपूर्ण स्वदेशी तकनीक विकसित करें जिससे देश की रक्षा के लिए ज़रूरी प्रणालियां तैयार हो सकें।
मगनभाई पटेलने आगे कहा कि MSME भारत में कृषि के बाद रोज़गार का दूसरा सबसे बड़ा स्रोत है, जो लगभग 30 करोड़ लोगों को रोज़गार प्रदान करता है। हमें उद्योग जगत विक्रेता के रूप में नहीं, बल्कि साझेदार के रूप में चाहिए। आज, भारत भारी आयात निर्भरता से घरेलू रक्षा उत्पादन की ओर बढ़ रहा है। भारत अब केवल एक विनिर्माण केंद्र नहीं, बल्कि डिज़ाइन और नवाचार का वैश्विक केंद्र बन रहा है।भारत के पास कौशल (Skill),स्केल (Skel) और गति (Speed) जैसे तीन स्तंभ हैं जो इसे अगले दशक में वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना सकते हैं। MSME देश के सकल घरेलू उत्पाद में 30%, विनिर्माण में 45% और निर्यात में 40% का योगदान करते हैं। देश के MSME भारत के विकास में भागीदार हैं और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की कुंजी हैं। इसरो द्वारा हाल ही में प्रक्षेपित संचार उपग्रह CMS-03 की 80% से 85% प्रणालियां भारतीय उद्योगों द्वारा प्रदान की गई थीं। आज इसरो देश में प्रक्षेपण आवृत्ति को 10-12 से बढ़ाकर 50 प्रति वर्ष करने की योजना बना रहा है।
मगनभाई पटेल ने आगे कहा कि आज भारत अपनी आर्थिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर है। अपनी सक्षम नीतियों और वैश्विक विश्वास के माध्यम से, भारत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में दोहरी ताकत रखता है। आज भारत भविष्य के निवेश और सहयोग के लिए एक रणनीतिक गंतव्य के रूप में उभरा है। आज वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता आ रही है और डिजिटल परिवर्तन में तेज़ी आई है, भारत न केवल एक क्षेत्रीय नेता के रूप में, बल्कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में एक केंद्रीय स्तंभ के रूप में उभरने की अच्छी स्थिति में है और यही कारण है कि कई विदेशी देश भारत को दुनिया के अगले विनिर्माण और निवेश केंद्र के रूप में उत्सुकता से देख रहे हैं। आज भारत वैश्विक आवश्यकताओं और मांगों के अनुरूप डिज़ाइन और अनुरूप उत्पाद और सेवाएं प्रदान करने के लिए तैयार है।
मगनभाई पटेलने बेंगलुरु के बारे में भी जानकारी दी और कहा कि बेंगलुरु भारत के सबसे तेज़ी से बढ़ते महानगरों में से एक है। 2023 तक, इस महानगरीय क्षेत्र का अनुमानित सकल घरेलू उत्पाद 359.9 बिलियन डॉलर था और यह भारत के सबसे अधिक उत्पादक महानगरों में से एक है। यह शहर सूचना प्रौद्योगिकी (IT) का एक प्रमुख केंद्र है और लगातार दुनिया के सबसे तेज़ी से बढ़ते प्रौद्योगिकी केंद्रों में शुमार है। इसे “भारत की सिलिकॉन वैली” भी माना जाता है, जो देश में आईटी सेवाओं का सबसे बड़ा केंद्र और निर्यातक है। यह शहर विनिर्माण अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख योगदानकर्ता है और कई सरकारी स्वामित्ववाली विनिर्माण कंपनियों का भी केंद्र है। बेंगलुरु उच्च शिक्षा में राष्ट्रीय महत्व के कई संस्थानों का केंद्र भी है। 1906 में, बेंगलुरु भारत के उन पहले शहरों में से एक बना जहां बिजली पहुंची। भारत के “गार्डन सिटी” के रूप में बेंगलुरु की प्रतिष्ठा 1927 में कृष्णराज वोडेयार-IV के शासनकाल के रजत जयंती समारोह के साथ शुरू हुई। शहर को बेहतर बनाने के लिए पार्कों, सार्वजनिक भवनों और अस्पतालों के निर्माण जैसी कई परियोजनाएं शुरू की गईं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बेंगलुरुने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। महात्मा गांधी ने 1927 और 1934 में इस शहर का दौरा किया और यहां जनसभाओं को संबोधित किया। बेंगलुरु और मुंबई के बीच पहली उड़ान 1940 में शुरू हुई थी। बेंगलुरु हमारे देश का एक प्रमुख शैक्षिक केंद्र भी है और यह देश के कुछ शीर्ष शैक्षणिक संस्थानों का भी घर है। शहर की साक्षरता दर 90.33% है, जो भारत के प्रमुख महानगरीय शहर केंद्रों में दूसरे स्थान पर है। 2011 की राष्ट्रीय जनगणना के अनुसार, बेंगलुरु शहरी क्षेत्र की साक्षरता दर लगभग 87.7% थी। 19वीं सदी के आरंभ तक, बेंगलुरु में शिक्षा मुख्य रूप से धार्मिक नेताओं द्वारा संचालित की जाती थी और केवल उसी धर्म के छात्रों तक ही सीमित थी। 1841 में, लंदन मिशन द्वारा दो स्थानीय भाषावाले स्कूल स्थापित किए गए और 1842 में, मुम्मदी कृष्णराज वोडेयारने वेस्लेयन मिशन के तहत पहला अंग्रेजी स्कूल स्थापित किया, जिसका 1954 तक पांच स्कूलों तक विस्तार हो गया। 1857 में लोक शिक्षा विभाग की स्थापना की गई और शिक्षा को उस समय की भारतीय शिक्षा नीति के अनुसार तैयार किया गया।
मगनभाई पटेलने आगे कहा कि आज देश में तमिलनाडु में हिंदी भाषा का विरोध 1930-1960 के दशक में शुरू हुआ, राष्ट्रीय नेताओं ने हिंदी को भारत की “राष्ट्रभाषा” के रूप में प्रचारित किया। तमिलोंने इसे क्षेत्रीय पहचान और रोजगार के अवसरों के लिए खतरा माना, जिसके कारण 1965 में एक बड़ा हिंदी विरोधी आंदोलन हुआ और डीएमके(DMK),एआईएडीएमके (AIADMK) जैसी क्षेत्रीय द्रविड़ पार्टियों का उदय हुआ। आज आंध्र प्रदेश,कर्नाटक,केरल और पांडिचेरी (केंद्र शासित प्रदेश) के साथ-साथ दक्षिण के अन्य राज्यों के लोगोंने भी सार्वजनिक जीवन में “हिंदी” भाषा को अपनाया है, जिसके कारण वे अन्य राज्यों के लोगों के संपर्क में आ रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वहां MSME और कृषि क्षेत्र का विकास हुआ है,लेकिन चेन्नई, तमिलनाडु के लोग अभी भी हिंदी नहीं बोलते हैं,जिसके परिणामस्वरूप एक संवादहीनता है और ज्यादातर लोग मानते हैं कि यह व्यापार उद्योग के लिए नुकसान है। तमिलनाडु द्वि-भाषा नीति का पालन कर रहा है जिसमें तमिल और अंग्रेजी को प्राथमिकता दी जाती है। वे राज्य में संचालित स्कूलों या केंद्रीय कार्यालयों में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में लागू करने के केंद्र सरकार के फैसले को लागू कर रहे हैं। दबाव का विरोध करता है। आज दुनिया के सभी देशों में उस देश की एक राष्ट्रभाषा और मातृभाषा होती है, लेकिन हमारे देश में “हिंदी” को राष्ट्रभाषा के रूप में मान्यता मिलनी ही चाहिए। आज भी तमिलनाडु में हिंदी का प्रयोग नहीं होता है, जिसके परिणामस्वरूप वहां के गांवों का विकास नहीं हो रहा और कृषि, डेयरी उद्योग, सूक्ष्म कुटीर-खादी ग्रामोद्योग विकसित नहीं हो पा रहे और रोजगारोन्मुखी गतिविधियां भी नहीं हो रही हैं।
मगनभाई पटेलने दक्षिण भ्रमण के अपने अनुभवों के बारे में बताया कि मदुराई में अरविंदो आश्रम द्वारा संचालित लायंस यू.एन.मेहता नेत्र चिकित्सालय के मैनेजिंग ट्रस्टी होने के नाते मुझे आठ दिवसीय नेत्र चिकित्सालय प्रबंधन प्रशिक्षण कार्यक्रम में जाने का अवसर मिला,जिसमें डॉ. शाह और रामचंद्र जोशी भी मेरे साथ शामिल हुए, जहां काउंसलिंग कैसे की जाए,उपकरण क्या होने चाहिए, अस्पताल को कैसे साफ-सुथरा रखा जाए जैसी बातों पर चर्चा हुई। मदुराई में इस नेत्र चिकित्सालय ट्रस्ट की एक इकाई है जहां लगभग 100 बेटियां फोल्डेबल लेंस बनाती हुई पाई गईं। मुझे दक्षिण को पढ़ने का अवसर मिला। दक्षिण के मंगलुरु में सुपारी, काजू और कॉफी का उत्पादन बड़ी मात्रा में हो रहा है। मंगलुरु से लगभग 75% काजू और कॉफी का निर्यात हो रहा है, जबकि कर्नाटक में 7 लाख टन से अधिक सुपारी का उत्पादन हो रहा है इसके अलावा, गुजरात के कच्छ के पटेल कर्नाटक और दक्षिण के अन्य राज्यों में लकड़ी का काम, रियल एस्टेट, कृषि और MSME क्षेत्रों में अपना व्यवसाय शुरू करके दक्षिण के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
आज केंद्र सरकार की नीतियों और माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्रभाई मोदी साहेब के कुशल नेतृत्व में दक्षिण क्षेत्र का बहुत अच्छा विकास हो रहा है। अगर हम हर चीज को नकारात्मक रूप से देखेंगे, तो सब कुछ नकारात्मक ही दिखाई देगा। आज नर्मदा के पानी ने देश में गुजरात और राजस्थान का विकास किया है, यह केंद्र सरकार की नीतियों की बदौलत है। आज इन राज्यों के किसानों की सिंचाई की समस्या नर्मदा के पानी से हल होती दिख रही है, जिससे इन राज्यों के किसान तीनों मौसम में फसल उगा सकते हैं। गुजरात,सौराष्ट्र,कच्छ और उत्तर गुजरात में नर्मदा का पानी हर घर तक पहुंच गया है, जिससे गर्मियों की फसलों और सर्दियों की फसलों को बहुत फायदा हुआ है। इसके साथ ही देश के ग्रामीण इलाकों के लोगों की पेयजल समस्या का भी समाधान हुआ है। इस प्रकार नर्मदा का पानी गुजरात और राजस्थान के लोगों के लिए जीवन रेखा साबित हुआ है। इसी प्रकार, यदि हम कर्नाटक और तमिलनाडु में कावेरी की समस्या का समाधान मिलकर करें, तो इन राज्यों के किसानों, कृषि आधारित उद्योगों और MSME को निश्चित रूप से लाभ मिल सकता है और साथ ही, देश की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। इस प्रकार, यदि प्राकृतिक संसाधनों का सही उपयोग किया जाए, तो देश की अर्थव्यवस्था निश्चित रूप से विकसित होगी।
यहां उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि जब हमारे आदरणीय स्वर्गीय नरसिम्हा रावजी प्रधानमंत्री थे,तब मोंटेकसिंह आहूवालिया भारत सरकार के वित्त सचिव थे और उसके बाद उन्हें प्लानिंग कमिशन का उपाध्यक्ष बनाया गया,जिसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।उस समय लघु उद्योग, कृषि आधारित उद्योग, ग्रामीण विकास पर अध्ययन हेतु एक समूह का गठन किया गया था, जिसका नाम “गुप्ता समिति” रखा गया था। डॉ.एस.पी.गुप्ता साहब प्लानिंग कमिशन के सदस्य थे और उनके अधीन यह समिति गठित की गई थी । उस समय मगनभाई पटेल को सलाहकार समिति में आमंत्रण सदस्य के रूप में लिया गया था। उस समय भारत सरकार के बैंकिंग सचिव श्री.नाथ थे। मगनभाई पटेलने उनके साथ कई बैठकें कीं, जिनमें से एक बैठक चेन्नई-तमिलनाडु के ताज होटल में हुई थी। जिसमें मगनभाई पटेलने टर्म लोन और वर्किंग केपिटल लोन पर 45 मिनट तक मीटिंग को संबोधित किया,जिससे विभिन्न संघों और उद्योगपतियों के लगभग 300 प्रतिनिधि प्रभावित हुए। मगनभाई पटेलने इस बैठक में कहा कि उदारीकरण और वैश्वीकरण की नीति तथा हमारे राष्ट्र में आर्थिक सुधारों के कार्यान्वयन के कारण देश के लघु उद्योग विश्व स्तरीय प्रतिस्पर्धा में आ गए हैं।लघु उद्योगों के विकास में आनेवाली विभिन्न कठिनाइयों को दूर करने के लिए मगनभाई पटेलने कई सुझाव और समाधान सुझाए,जिनका सेमिनार में उपस्थित सभी लोगोंने स्वागत किया। यह मीटिंग तमिलनाडु लघु एवं टाइनी इंडस्ट्रीज़ एसोसिएशन (TANSTIA ) और भारतीय लघु उद्योग संघों का महासंघ (FASII) द्वारा केंद्र सरकार के स्टडी ग्रुप ऑफ़ प्लानिंग कमीशन के सहयोग से आयोजित की गई थी।
मगनभाई पटेलने अंत में कहा कि इस दौरान मुझे दक्षिण के कई राज्यों में जाने का अवसर मिला। ग्रामीण क्षेत्रों में कई उद्योग थे, जिनका मैंने दौरा किया और उनके करीब आया और उनका अध्ययन करने का अवसर मिला। मुझे महिला उद्यमियों, कृषि क्षेत्र, किसान,लघु उद्योग और पशुपालन से लेकर देश के जरुरतमंद व्यक्ति के साथ काम करने का अवसर मिला और आज भी कर रहा हूं, जिसका मुझे आत्मसंतोष है।

