विवादास्पद पुणे भूमि घोटाले की चल रही जाँच ने उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार को बड़ी राहत दी है। अनियमितताओं की जाँच के लिए गठित उच्च-स्तरीय मुथे समिति ने अप्रत्यक्ष रूप से पार्थ पवार को क्लीन चिट दे दी है। हालाँकि समिति की रिपोर्ट में बड़ी खामियों की पहचान की गई है और तीन लोगों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है। इनमें अमाडिया कंपनी के निदेशक दिग्विजय पाटिल, उप-पंजीयक रवींद्र तारु और शीतल तेजवानी शामिल हैं। लेकिन पार्थ पवार का नाम एफआईआर या रिपोर्ट में नहीं है, जिससे उन्हें सीधे आरोपों से बचाया जा रहा है।
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पुणे जमीन घोटाले की जांच के लिए राज्य सरकार ने 3 समितियों का गठन किया है। इनमें से मुठे समिति को सप्ताह भर में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा गया था। मुठे समिति ने अपनी रिपोर्ट विभागीय आयुक्त को सौंप दी। सूत्रों की मानें, तो इसमें डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का जिक्र नहीं है। रिपोर्ट में बताया है कि जमीन खरीदी के लिए की गई रजिस्ट्री में पार्थ पवार का उल्लेख नहीं है। यानी एक तरह से पार्थ को क्लीनचिट दे दी गई है। वहीं, जमीन धांधली मामले में पार्थ पर अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई है। उनके ममेरे भाई दिग्विजय पाटील पर केस दर्ज किया गया है।
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कैबिनेट बैठक का शिंदे गुट के मंत्रियों ने किया बहिष्कार
महाराष्ट्र में महायुति सरकार के भीतर मंगलवार को तह सियासी घमासान मच गया, जब सीएम देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक का शिवसेना (शिंदे) के अधिकांश मंत्रियों ने बहिष्कार कर दिया। हालांकि, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठक में मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक, शिंदे गुट की नाराजगी का कारण उसके नेताओं और विरोधियों का भाजपा में शामिल होना बताया जा रहा है। इसके साथ ही मंत्रियों ने फंड वितरण में कथित असमानता का भी आरोप लगाया है। वहीं, शिंदे गुट के मंत्री प्रताप सरनाईक ने कहा कि परिवार में झगड़े होते रहते हैं।

