2005 और 2006 के बीच, दिल्ली से बमुश्किल एक घंटे की दूरी पर स्थित नोएडा के निठारी में कई महीनों तक एक के बाद एक कई महिलाएँ और बच्चे गायब होते रहे। जाँच में नालियों में कंकाल मिलने और बलात्कार, हत्या और शव-शोषण के आरोपों से जुड़ी एक भयावह कहानी सामने आई। निठारी के बंगले डी-5 में दोनों रहने वालों – मकान मालिक मोनिंदर सिंह पंढेर और उनके नौकर सुरिंदर कोली को गिरफ्तार कर लिया गया। हालाँकि, अब दोनों को बरी कर दिया गया है और एक ही सवाल अनुत्तरित रह गया कि बच्चों की हत्या किसने की? पंढेर ने गिरफ्तारी के बाद अपने जीवन में उथल-पुथल देखी और सभी मामलों में बरी होने से पहले लगभग 17 साल जेल में बिताए। अब एक इंटरव्यू में पंढेर ने रहस्य, लापता बच्चों, कोली के व्यवहार और अन्य सनसनीखेज आरोपों के बारे में सब कुछ बया किया है।
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सह-आरोपी करार दिए गए पंढेर ने दावा किया कि मीडिया उन्माद, जनता के दबाव और जाँच एजेंसियों की चूक ने देश के सबसे खौफनाक सिलसिलेवार हत्याओं में से एक की जाँच को पटरी से उतार दिया। इस घटना को विक्रांत मैसी अभिनीत फिल्म ‘सेक्टर 36’ में कैद किया गया है। पंढेर ने कहा कि हत्याओं में उसकी कोई भूमिका नहीं है और सीबीआई ने कभी भी उसके खिलाफ किसी हत्या या बलात्कार के मामले में आरोपपत्र दाखिल नहीं किया। पंढेर ने कहा तो फिर ज़िम्मेदार कौन है? क्या पुलिस ज़िम्मेदार है? क्या मैं ज़िम्मेदार हूँ? क्या कोई और ज़िम्मेदार है? बहुत से लोग ज़िम्मेदार हैं। अगर जाँच सही होती, तो सच सामने आ जाता। पंढेर ने कहा कि उनका मानना है कि जाँच 110% मीडिया के दबाव से प्रभावित थी और समानांतर कहानियों ने जाँच दल को पूरी तरह गुमराह किया। उन्होंने दावा किया कि मुझसे वही सवाल पूछे गए जो हर सुबह अखबारों में छपते थे। पंढेर ने कहा कि एस्कॉर्ट वाली कहानी सच है और वो जो और जो आप कहते हो पार्टी, वो गलत है। सिर्फ एक ही पार्टी इस घर में हुई है और वो मैं नहीं था। मेरा जन्मदिन था। एक 2 लड़कियां जो मेरे काफी करीब थी। उनको मेरे घर में एक तो सुकून मिलता था. सबसे पहली बात घर खाली है। खाना उनको मिलता था. खाना बनाने के लिए नौकर था।
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2005 और 2006 के बीच, निठारी से कई बच्चे, ज़्यादातर छोटी लड़कियाँ, लापता हो गईं। बाद में उनके कंकाल पंधेर के घर, डी-5 के पीछे एक नाले से बरामद किए गए।पंढेर ने दावा किया कि बच्चों के लापता होने की खबरें 2006 में मामला सामने आने के बाद ही सामने आईं। उन्होंने कहा कि ज़्यादातर लापता बच्चों को आखिरी बार डी-1 से डी-6 घरों के आसपास और कभी-कभी निठारी पुल के पार देखा गया था। यह स्पष्ट रूप से डी-5 तक ही सीमित नहीं था। पंढेर ने यह भी दावा किया कि वह अपने व्यवसाय के कारण सप्ताह में केवल कुछ दिन ही निठारी स्थित अपने घर पर रुकते थे। उन्होंने दावा किया कि मामले के उजागर होने से महीनों पहले ही, उनके घर के बाहर एक पुलिस चौकी तैनात कर दी गई थी।

