Wednesday, November 19, 2025
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Shaurya Path: Mitra Shakti और Ajeya Warrior Exercise देख दुश्मनों के छूटे पसीने, तेजी से सामरिक ताकत बढ़ा रहा भारत

जब राष्ट्र की सीमाएँ सुरक्षित रखने वाला वीर हाथ अपने पड़ोसियों और मित्र देशों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अभ्यास करता है तो यह केवल युद्ध-कौशल का प्रदर्शन नहीं होता, यह rising India की उस अडिग सैन्य शक्ति का उद्घोष होता है जो वैश्विक मंच पर शांति, संतुलन और सामरिक उत्कृष्टता के नए मानक गढ़ रही है। इसी अदम्य आत्मविश्वास का ध्वज इस समय दो भूभागों पर लहर रहा है— बेलगावी में भारत–श्रीलंका का मित्र शक्ति–2025 अभ्यास और राजस्थान में भारत–ब्रिटेन का अजेया वॉरियर–25 अभ्यास। ये दोनों अभ्यास केवल साझेदारियों के तकनीकी आयाम नहीं, बल्कि भारत के दृढ़ रक्षा-संकल्प, बढ़ते सामरिक वर्चस्व और सैनिकों की अनुशासन-पूर्ण वीरता की संयुक्त गूँज हैं।
हम आपको बता दें कि कर्नाटक के बेलगावी स्थित फ़ॉरेन ट्रेनिंग नोड में भारत और श्रीलंका का संयुक्त सैन्य अभ्यास “मित्र शक्ति–2025” अपने 11वें संस्करण में जारी है। 10 से 23 नवंबर 2025 तक चलने वाले इस अभ्यास में भारतीय सेना के 170 जवान (मुख्यतः राजपूत रेजिमेंट) और श्रीलंका के 135 सैनिक (मुख्यतः गजाबा रेजिमेंट) भाग ले रहे हैं। इसके अतिरिक्त दोनों देशों की वायु सेनाओं के कुल 30 सदस्य भी इसमें शामिल हैं। इस अभ्यास का उद्देश्य संयुक्त रूप से संयुक्त राष्ट्र अध्याय VII के तहत उप-सामरिक अभियानों, विशेषकर आतंकवाद-निरोधक अभियानों का अभ्यास करना है। दोनों दल विभिन्न सामरिक अभियानों— रेड, सर्च एंड डेस्ट्रॉय मिशन, हेलिबोर्न ऑपरेशन, ड्रोन एवं काउंटर-UAS तकनीक, हे‍लिपैड सुरक्षा, और घायल सैनिकों की निकासी में संयुक्त दक्षता प्रदर्शित कर रहे हैं। साथ ही AMAR, कॉम्बैट रिफ्लेक्स शूटिंग और योग जैसे प्रशिक्षण भी अभ्यास का हिस्सा हैं। यह अभ्यास साझा रक्षा सहयोग, परस्पर विश्वास और अंतर-संचालन क्षमता को और गहरा बनाता है।

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दूसरी ओर, राजस्थान के महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में भारत–ब्रिटेन का संयुक्त सैन्य अभ्यास “अजेया वॉरियर–25” आरंभ हो गया है। 17 से 30 नवंबर 2025 तक चलने वाले इस 14-दिवसीय अभ्यास में दोनों देशों की सेनाओं के 240 सैनिक समान संख्या में भाग ले रहे हैं। भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व सिख रेजिमेंट कर रही है। यह अभ्यास भी संयुक्त राष्ट्र के नियम के तहत संचालित किया जा रहा है, जिसमें अर्ध-शहरी परिस्थितियों में आतंकवाद-रोधी अभियानों की योजना, ब्रिगेड स्तर पर संयुक्त मिशन प्लानिंग, इंटीग्रेटेड टैक्टिकल ड्रिल्स, सिमुलेशन-आधारित परिदृश्य और कंपनी-स्तरीय फील्ड ट्रेनिंग का विशेष स्थान है। 2011 से द्विवार्षिक रूप से आयोजित होने वाला यह अभ्यास भारत–यूके रक्षा संबंधों का एक प्रमुख स्तंभ बन चुका है।
देखा जाये तो भारत की सामरिक सोच में पिछले दो दशकों में जो परिवर्तन आया है, वह क्षेत्रीय नेतृत्व और वैश्विक स्थिरता, दोनों की आकांक्षा को व्यक्त करता है। इस परिवर्तन की दो प्रखर मिसालें इस समय देश की दो अलग-अलग धरतियों पर एक साथ आकार ले रही हैं। बेलगावी में भारत–श्रीलंका मित्र शक्ति–2025 और राजस्थान में भारत–ब्रिटेन अजेया वॉरियर–25। ये केवल अभ्यास नहीं, बल्कि भारत की सैन्य कूटनीति का दर्पण हैं। ऐसी कूटनीति जिसमें शक्ति का प्रदर्शन, साझेदारी का विस्तार और पेशेवर उत्कृष्टता का अद्वितीय संगम दिखाई देता है।
मित्र शक्ति–2025 में उप-सामरिक अभियानों पर विशेष ध्यान देना इस बात का संकेत है कि आतंकवाद अब केवल सीमाओं के भीतर की चुनौती नहीं रहा, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता का प्रमुख प्रश्न बन चुका है। हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री मार्गों की सुरक्षा, उभरती गैर-राज्यीय चुनौतियाँ तथा रणनीतिक प्रतिस्पर्धा ने भारत–श्रीलंका सहयोग को और महत्वपूर्ण बना दिया है। इस अभ्यास की खासियत यह है कि इसमें दोनों सेनाएँ जमीन से लेकर आकाश तक, ड्रोन तकनीक, हेलिबोर्न ऑपरेशन, काउंटर-UAS, सभी नवीन आयामों में साथ काम कर रही हैं।
राजपूत रेजिमेंट और गजाबा रेजिमेंट का संयुक्त प्रशिक्षण भारतीय और श्रीलंकाई सेनाओं के साहस और अनुशासन की विरासत को एक साथ लाता है। यह साझेदारी स्पष्ट करती है कि भारत क्षेत्रीय शांति को केवल शब्दों में नहीं, बल्कि साझेदार राष्ट्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ाने में विश्वास रखता है।
वहीं अजेया वॉरियर–25 भारत की सैन्य कूटनीति का दूसरा महत्वपूर्ण स्तम्भ है। ब्रिटेन के साथ यह अभ्यास न केवल तकनीकी और सामरिक श्रेष्ठता का आदान-प्रदान करता है, बल्कि दोनों सेनाओं के पेशेवर संबंधों को और गहरा करता है। अर्ध-शहरी परिस्थितियों में आतंकवाद-रोधी अभियानों का अभ्यास आज की दुनिया में अत्यंत प्रासंगिक है— जहाँ संघर्ष अक्सर शहरों, कस्बों और नागरिक आबादी के बीच घटित होते हैं। सिख रेजिमेंट और ब्रिटिश सैनिकों का संयुक्त प्रशिक्षण, संयुक्त मिशन प्लानिंग और सिमुलेशन-आधारित परिदृश्य इस बात का प्रमाण हैं कि भारत आधुनिक युद्धकला को वैश्विक तरीकों से सुसंगत रखने का संकल्प रखता है। यह अभ्यास यह भी दिखाता है कि भारत केवल आस-पड़ोस तक सीमित नहीं, बल्कि यूरोप और वैश्विक शक्तियों के साथ शांति, स्थिरता और बहुपक्षीय सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से उन्नत स्तर पर रक्षा सहयोग बढ़ा रहा है।
इन दोनों अभ्यासों की सबसे बड़ी शक्ति हैं भारतीय सैनिक। राजपूत, सिख और अन्य रेजिमेंटों के जवान केवल अपनी तकनीकी दक्षता ही नहीं, बल्कि अपने अदम्य साहस और अनुशासन से दुनिया को यह संदेश देते हैं कि भारत की सुरक्षा–दृष्टि ठोस, सक्षम और विश्वसनीय है। चाहे बेलगावी की धरती पर आतंकवाद-रोधी अभियानों का अभ्यास हो या राजस्थान के रेगिस्तान में अंतरराष्ट्रीय सहयोग की बुनियाद को मजबूत करना हो, भारतीय सैनिक अपनी क्षमता, धैर्य और चातुर्य से इन अभियानों को वास्तविक अनुभवों के समान चुनौतीपूर्ण बना देते हैं। यही शौर्य भारत की रक्षा-संरचना की रीढ़ है और यही हमारी सैन्य कूटनीति का नैतिक बल है।
बहरहाल, मित्र शक्ति–2025 और अजेया वॉरियर–25 दो दिशाओं में चल रहे अभ्यास प्रतीत होते हैं, परंतु उनका उद्देश्य एक है— भारत की सामरिक क्षमता का विस्तार और वैश्विक शांति में प्रभावी योगदान। ये अभ्यास न केवल आतंकवाद-रोधी अभियानों की संयुक्त दक्षता बढ़ाते हैं, बल्कि भारत की इंटरऑपरेबिलिटी, तकनीकी श्रेष्ठता और बहुपक्षीय सुरक्षा ढाँचे में सक्रिय भूमिका को भी सुदृढ़ करते हैं। कुल मिलाकर देखें तो भारत की सेना केवल सीमाओं की रक्षा करने वाली शक्ति नहीं है; वह कूटनीति, शांति और वैश्विक स्थिरता का विश्वसनीय स्तंभ भी है। और इस समय, बेलगावी से लेकर महाजन तक, यह स्तंभ पहले की तुलना में कहीं अधिक दृढ़, सक्षम और आत्मविश्वासी रूप में खड़ा दिखाई देता है।
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