दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार को इंडिया गेट पर हुए विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में गिरफ्तार तीन लोगों की ज़मानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। पुलिस ने ज़मानत याचिकाओं का विरोध किया। छात्रों समेत इन प्रदर्शनकारियों को कथित तौर पर देश विरोधी नारे लगाने और पुलिसकर्मियों पर मिर्च स्प्रे का इस्तेमाल करने के आरोप में हिरासत में लिया गया था। पुलिस ने ज़मानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि मादवी हिड़मा का नाम एक पोस्टर और नारों पर था। कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। अदालत सोमवार को अपना फैसला सुनाएगी।
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प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट (जेएमएफसी) अरिदमन सिंह चीमा ने श्री इलकिया, तान्या श्रीवास्तव और काजल की याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने श्रेष्ठ मुकुंद, प्रकाश कुमार गुप्ता, विष्णु तिवारी, समीर फैयस, अहान अरुण गुप्ता और अन्य की ज़मानत याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत गुरुवार को इन याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाएगी। बहस के दौरान, वकील निजाम पाशा ने तर्क दिया कि सभी आरोपी छात्र हैं। उनकी परीक्षाएँ हैं।
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दूसरी ओर, दिल्ली पुलिस ने कहा कि इलाकिया भगत सिंह छात्र एकता मंच की सदस्य हैं। वह हैदराबाद में आरएसयू के कार्यक्रम में थीं। विरोध प्रदर्शन में वह पोस्टर पकड़े हुए थीं। वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि हैदराबाद का कार्यक्रम 10 महीने पहले हुआ था। इसका वीडियो लंबे समय से इंटरनेट पर मौजूद था। इस वीडियो के लिए इलाकिया को अब हिरासत में क्यों रखा जाना चाहिए? अदालत ने पूछा कि क्या आप मान रहे हैं कि वह कार्यक्रम में मौजूद थीं? वकील पाशा ने कहा कि मैं आरोपों को सच मान रहा हूँ। मैं इस तथ्य पर विवाद कर रहा हूँ। मैं न तो इसे स्वीकार कर रहा हूँ और न ही इससे इनकार कर रहा हूँ। यह उचित समय पर किया जाएगा।

