Monday, December 22, 2025
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घर में घुसकर आतंकियों ने जबरदस्ती मांगा खाना, आतंकियों की दुस्साहसिक दस्तक के बाद सुरक्षा बलों ने छेड़ा तलाशी अभियान

जम्मू-कश्मीर में आतंक के साये ने एक बार फिर प्रशासन और सुरक्षा तंत्र को खुली चुनौती दे दी है। हम आपको बता दें कि उधमपुर जिले के मजालता क्षेत्र में आतंकवादियों के दुस्साहस ने यह साफ कर दिया है कि सीमा पार से पोषित आतंकी नेटवर्क अब भी सक्रिय है और स्थानीय इलाकों को अस्थिर करने की साजिश पर लगातार काम चल रहा है। हम आपको बता दें कि शनिवार की शाम उधमपुर के चोरे मोटू गांव में आतंकवादियों ने एक ग्रामीण के घर में घुसकर भोजन की मांग की और फिर पास के घने जंगलों की ओर फरार हो गए। यह घटना सुरक्षा व्यवस्था को परखने और इलाके में डर का माहौल बनाने की सुनियोजित कोशिश मानी जा रही है। सूचना मिलते ही पुलिस और अर्धसैनिक बल हरकत में आए और पूरे वन क्षेत्र की घेराबंदी कर दी गई। रविवार तड़के से कई दिशाओं से सघन तलाशी अभियान शुरू किया गया, जिसमें हर पगडंडी और हर जंगल चौकी को खंगाला जा रहा है।
हम आपको बता दें कि यह वही मजालता इलाका है जहां 15 दिसंबर को सौन गांव में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में एक विशेष अभियान समूह का अधिकारी शहीद हो गया था। उस घटना के बाद से ही माना जा रहा था कि आतंकवादी इस क्षेत्र में छिपे हुए हैं और किसी बड़ी वारदात की फिराक में हैं। इससे पहले 28 अक्टूबर को बसंतगढ़ के ऊपरी इलाकों में भी हथियारबंद संदिग्ध आतंकवादी एक ग्रामीण के घर पहुंचे थे और भोजन की मांग की थी। लगातार हो रही ऐसी घटनाएं यह संकेत दे रही हैं कि आतंकवादी स्थानीय समर्थन और रसद जुटाने की कोशिश में हैं।
इसी बीच जम्मू क्षेत्र में सामने आई दूसरी घटना ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है। जम्मू ग्रामीण के सिधरा इलाके से चीन निर्मित एक टेलीस्कोप बरामद किया गया है, जिसे हथियारों पर लगाया जा सकता है। हैरानी की बात यह है कि यह दूरबीन एक छह वर्षीय बच्चे के पास से मिली। पुलिस और विशेष अभियान समूह इस बात की जांच कर रहे हैं कि यह उपकरण वहां तक कैसे पहुंचा और इसके पीछे कौन सा नेटवर्क काम कर रहा है। यह साफ है कि आधुनिक उपकरणों की मौजूदगी आतंकियों की मंशा को और खतरनाक बनाती है।
उधर सांबा जिले के दियानी गांव से एक युवक को हिरासत में लिया गया है, जिसके मोबाइल में पाकिस्तानी नंबर पाए जाने की बात सामने आई है। पूछताछ में कई अहम सुराग मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां इस कड़ी को उधमपुर की घटनाओं से जोड़कर देख रही हैं।
देखा जाये तो जम्मू कश्मीर में एक ओर जंगलों में आतंकियों की तलाश तेज है तो दूसरी ओर शहर और गांवों में संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। संदेश साफ है कि आतंक के खिलाफ लड़ाई में कोई ढिलाई नहीं बरती जाएगी। लेकिन लगातार सामने आ रही घटनाएं यह भी सवाल खड़ा कर रही हैं कि क्या आतंकियों के मददगार अब भी सिस्टम की आंखों में धूल झोंकने में कामयाब हो रहे हैं।
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