Sunday, December 28, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयनयी परिभाषा से अरावली और अन्य छोटी पहाड़ियां नष्ट हो जाएंगी: Jairam...

नयी परिभाषा से अरावली और अन्य छोटी पहाड़ियां नष्ट हो जाएंगी: Jairam Ramesh

अरावली पर्वतमाला को पुन: परिभाषित किए जाने को लेकर जारी विवाद के बीच कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से रविवार को चार सवाल पूछे और दावा किया कि इस कदम से अरावली सहित कई छोटी पहाड़िया और अन्य भू आकृतियां नष्ट हो जाएंगी।

यादव को लिखे पत्र में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अरावली पहाड़ियों की पुनर्परिको लेकर व्यापक चिंताएं होना स्वाभाविक है, क्योंकि इसके तहत इन्हें 100 मीटर या उससे अधिक की ऊंचाई वाले भू-आकृतियों तक सीमित कर दिया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस संदर्भ में कृपया मुझे आपके विचारार्थ चार विशिष्ट प्रश्न पूछने की अनुमति दें। पहला प्रश्न- क्या यह तथ्य नहीं है कि राजस्थान में 2012 से अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं की परि28 अगस्त 2010 की भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट पर आधारित रही है, जिसमें निम्नलिखित बातें कही गई हैं: सभी इलाके जिनका ढलान तीन डिग्री या उससे अधिक है, उन्हें पहाड़ियों के रूप में निरूपित किया जाएगा।’’

रमेश ने कहा, ‘‘इसके साथ ही ढलान की दिशा में एक समान 100 मीटर चौड़ा बफर जोड़ा जाएगा, ताकि 20 मीटर ऊंचाई की पहाड़ी के अनुरूप संभावित विस्तार को ध्यान में रखा जा सके, जो 20 मीटर के ‘कंटूर इंटरवल’ (समोच्च अंतराल) के बराबर है। इन निरूपित क्षेत्रों के भीतर आने वाले समतल इलाके, गड्ढे और घाटियों भी पहाड़ियों का हिस्सा मानी जाएंगी।’’

उन्होंने दूसरा सवाल किया कि क्या यह सच नहीं है कि भारतीय वन सर्वेक्षण ने 20 सितंबर 2025 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को भेजे गए अपने एक पत्र में यह कहा था- ‘‘अरावली की छोटी पहाड़ी संरचनाएं मरुस्थलीकरण के खिलाफ प्राकृतिक अवरोध के रूप में काम करती हैं, क्योंकि वे भारी रेत कणों को रोकती हैं-इस प्रकार दिल्ली और आसपास के मैदानी इलाको को रेत के तूफानों से बचाती हैं।’’

रमेश ने कहा, ‘‘चूंकि हवा के साथ उड़ने वाली रेत के विरुद्ध किसी अवरोध की सुरक्षा क्षमता सीधे उसकी ऊंचाई के अनुपात में बढ़ती है, इसलिए 10 से 30 मीटर ऊंचाई वाली मामूली पहाड़ियां भी मजबूत प्राकृतिक हवा अवरोधकों के रूप में काम करती हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘तीसरा सवाल- क्या यह तथ्य नहीं है कि उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (सीईसी) ने अपनी सात नवंबर 2025 की रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला था कि राजस्थान में 164 खनन पट्टे उस समय प्रचलित भारतीय वन सर्वेक्षण की परिके अनुसार अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं के अंदर स्थित थीं?’’

रमेश ने कहा, ‘‘चौथा सवाल-क्या यह सच नहीं है कि इस नयी परिसे कई छोटी पहाड़ियां और अन्य भू-आकृतियां नष्ट हो जाएंगी और चार राज्यों में फैली पूरी अरावली पहाड़ियों एवं पर्वतमालाओं की भौगोलिक और पारिस्थितिक अखंडता टूटकर खत्म हो जाएगी?’’

विपक्षी कांग्रेस का दावा है कि अरावली पर्वतमाला की नयी परिके तहत 90 प्रतिशत से अधिक भाग संरक्षित नहीं रहेगा और खनन एवं अन्य गतिविधियों के लिए खुल जाएगा। इस मुद्दे पर विवाद के बाद केंद्र ने राज्यों को निर्देश जारी कर पर्वत शृंखला के भीतर नए खनन पट्टे देने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने को कहा है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments