बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश में जारी भारी अराजकता के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस पर तीखा हमला बोला है। हसीना ने दावा किया कि जिस छात्र विद्रोह के कारण उन्हें सत्ता छोड़नी पड़ी, वह वास्तव में कट्टरपंथियों द्वारा रची गई एक सोची-समझी बगावत थी।
शेख हसीना ने अपने बयान में क्या कहा?
हसीना ने न्यूज 18 से बातचीत में आरोप लगाया कि मुहम्मद यूनुस उन अपराधियों को ‘जुलाई के योद्धा’ बताकर सम्मानित कर रहे हैं, जिन्होंने खून-खराबा किया। उन्होंने कहा कि यूनुस ने जांच रोककर चरमपंथियों को कैबिनेट में जगह दी है।
हसीना के मुताबिक, यह कोई शांतिपूर्ण आंदोलन नहीं बल्कि एक हिंसक भीड़ थी, जिसने पुलिस थानों को जलाया और देश की संपत्ति नष्ट की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश छोड़ना एक कठिन फैसला था, लेकिन उन्होंने और अधिक खून-खराबा रोकने और लोगों की जान बचाने के लिए ऐसा किया।
हसीना ने मांग की कि ‘अवामी लीग’ पर से अवैध प्रतिबंध हटाए जाएं और देश में संवैधानिक शासन बहाल कर निष्पक्ष चुनाव कराए जाएं।
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बांग्लादेश में जारी हिंसा का दौर
बांग्लादेश में स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद कई शहरों में हिंसा भड़क उठी है। हादी के संगठन ‘इंकलाब मंच’ ने इसके लिए यूनुस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। इस हिंसा की आग में दो हिंदू युवकों दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल की बेरहमी से हत्या कर दी गई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई है।
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बांग्लादेश के बदलते राजनीतिक समीकरण
पूर्व पीएम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान 17 साल बाद लंदन से ढाका लौट आए हैं। उनकी पार्टी को आगामी चुनावों में सबसे आगे माना जा रहा है। बांग्लादेश में फरवरी 2026 में संसदीय चुनाव होने हैं। हालांकि, शेख हसीना की पार्टी ‘अवामी लीग’ ने फिलहाल इन चुनावों के बहिष्कार का ऐलान किया है।

