Tuesday, December 30, 2025
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Dehradun में ‘चाइनीज़’ कहकर की गई छात्र की हत्या: अंजेल चकमा की मौत पर देशव्यापी उबाल, कार्रवाई की मांग

देहरादून में 9 दिसंबर की वह रात एक होनहार छात्र और उसके परिवार के लिए ज़िंदगी बदल देने वाली साबित हुई। एमबीए के अंतिम वर्ष का छात्र अंजेल चकमा, जो अपने करियर की नई शुरुआत के सपने देख रहा था, नस्लीय हिंसा का शिकार होकर दुनिया से चला गया।
बता दें कि 24 वर्षीय अंजेल चकमा अपने छोटे भाई माइकल के साथ बाहर था, तभी कुछ युवकों ने उनसे बहस शुरू की। आरोप है कि इस दौरान उन्हें “चीनी” और “मोमो” जैसे नस्लीय शब्द कहे गए। मौजूद जानकारी के अनुसार, जब दोनों भाइयों ने खुद को भारतीय और त्रिपुरा का निवासी बताया, तब भी हमलावर नहीं रुके। बात बढ़ी और झगड़े के दौरान अंजेल पर चाकू से हमला कर दिया गया।
गंभीर रूप से घायल अंजेल को अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां शुरुआत में हालत स्थिर बताई गई, लेकिन 17 दिन बाद 26 दिसंबर को उसकी मौत हो गई। इस घटना ने न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया।
पुलिस के मुताबिक, इस मामले में पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि एक आरोपी अब भी फरार है। बताया जा रहा है कि आरोपी नेपाल मूल का है और उसकी तलाश के लिए पुलिस टीमें लगाई गई हैं। वहीं, परिजनों का आरोप है कि घटना के बाद एफआईआर दर्ज करने में भी देरी की गई, जिसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं।
गौरतलब है कि अंजेल चकमा त्रिपुरा के उन युवाओं में थे जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देख रहे थे। उन्होंने शिक्षा ऋण लेकर उत्तराखंड में पढ़ाई की थी और एक फ्रेंच मल्टीनेशनल कंपनी में प्लेसमेंट भी हासिल कर लिया था। विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार, वह पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी बेहद सक्रिय थे और फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी थे।
इस घटना के बाद त्रिपुरा में विरोध प्रदर्शन हुए हैं। मुख्यमंत्री माणिक साहा ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से बात कर कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिया है। वहीं, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने भी इसे नस्लीय हिंसा बताते हुए कड़ी निंदा की है।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा है कि यह घटना एक चेतावनी है और कैंपस में पूर्वोत्तर के छात्रों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
गौरतलब है कि इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या देश के अलग-अलग हिस्सों से आने वाले युवाओं को समान सुरक्षा और सम्मान मिल पा रहा है या नहीं। अंजेल चकमा की मौत सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि सामाजिक सोच पर भी एक गंभीर सवाल छोड़ गई है।
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