संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का भाषण एक बार फिर विवादों में रहा। उन्होंने यूक्रेन युद्ध पर दुनिया को कठघरे में खड़ा किया भारत, चीन और यूरोप को खुलकर ललकारा कि वे रूस से तेल खरीदकर युद्ध को चला रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने नाटो को लेकर भी बड़ा सवाल उठा दिया। खासतौर पर नाटो देशों को जमकर खरी खोटी सुनाई। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाषण देने के लिए ट्रंप पहुंचे उससे पहले उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। एक्सीलेटर बीच में बंद हो गया। टेलीप्रॉम्टर चलते चलते रूक गया। हालांकि किसी तरह जब भाषण देने पहुंचे तो उन्होंने यूएन पर ही सवाल खड़े कर दिए। यूएन की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए और भारत-चीन का भी जिक्र किया।
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खराब एक्सीलेटर, खराब टेलीप्रॉम्पटर
यूएनजीए के मंच पर ट्रंप ने विश्व नेताओं से कहा कि मुझे बिना टेलीप्रॉम्प्टर के यह भाषण देने में कोई आपत्ति नहीं है, क्योंकि टेलीप्रॉम्प्टर काम नहीं कर रहा है। फिर उन्होंने मज़ाक में कहा कि मैं बस इतना कह सकता हूँ कि जो भी इस टेलीप्रॉम्प्टर को चला रहा है, वह बड़ी मुसीबत में है। कुछ ही मिनटों में उन्हें छपे हुए नोट्स पढ़ते हुए देखा गया। ट्रंप ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र से मुझे ये दो चीज़ें मिलीं: एक ख़राब एस्केलेटर और एक ख़राब टेलीप्रॉम्प्टर। बहुत-बहुत शुक्रिया।
भारत-पाक समेत 7 जंग रुकवाने का दावा
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत-पाक समेत 7 जंग रुकवाने का दावा किया। राष्ट्रपति पद के अपने दूसरे कार्यकाल में पहली बार इस महासभा में बोल रहे ट्रंप ने यूएन पर तंज कसते हुए कहा कि ये 7 जंग रुकवाने की जिम्मेदारी उसकी थी, लेकिन मैंने ये सभी जंग खत्म कराई। ट्रंप ने माना कि यूक्रेन जंग खत्म कराना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने इस जंग में भारत और चीन पर रूस को फंड करने का आरोप लगाया। ट्रंप ने कहा कि चीन और भारत रूसी तेल खरीदकर यूक्रेन जंग में प्राइमरी फंड रेजर हैं। ट्रंप ने कहा कि नाटो देशों ने रूस के एनर्जी प्रॉडक्ट्स पर ज्यादा रोक नहीं लगाई है, यह शर्मनाक है। वे अपने ही खिलाफ युद्ध की फंडिंग कर रहे हैं।
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भारत-चीन जंग को कर रहे फंडिंग
ट्रम्प ने भारत और चीन को भी रूस से तेल खरीदने के लिए जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार, यदि ये देश आर्थिक दबाव नहीं डालेंगे तो युद्ध खत्म नहीं होगा। ट्रम्प ने खुद को शांति का सूत्रधार बताते हुए दावा किया कि उन्होंने कई युद्ध खत्म कराए। न्होंने संयुक्त राष्ट्र की कार्यक्षमता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सिर्फ ‘सख्त शब्दों वाले पत्र’ लिखता है।