Wednesday, November 19, 2025
spot_img
Homeराष्ट्रीयAl-Falah University के मालिक Jawad Siddiqui को ED की हिरासत में भेजा...

Al-Falah University के मालिक Jawad Siddiqui को ED की हिरासत में भेजा गया, महाघोटालेबाज ने मचा रखी थी लूट

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तार अल-फलाह समूह के चेयरमैन जवाद अहमद सिद्दीकी को 415 करोड़ रुपये की ठगी, झूठी मान्यता, शेल कंपनियों के ज़रिये धन शोधन और परिवारिक संस्थाओं को करोड़ों का लाभ पहुंचाने के आरोप में 13 दिन की हिरासत में भेज दिया गया है। हम आपको बता दें कि यह वही समूह है जिसके फरीदाबाद स्थित मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लाल किला कार ब्लास्ट के आत्मघाती हमलावर और उसके सहयोगी काम कर रहे थे। ईडी ने 19 परिसरों पर छापों में 48 लाख रुपये नकद, डिजिटल सबूत, फर्जी अनुबंधों के दस्तावेज़ और संदिग्ध लेनदेन के कई प्रमाण बरामद किए हैं।
अगर किसी को अब भी लगता है कि अल-फलाह विश्वविद्यालय में शिक्षा दी जा रही थी तो उसे ईडी द्वारा लगाये गये आरोपों पर नजर डालनी चाहिए। अल-फलाह विश्वविद्यालय में शिक्षा नहीं, बल्कि ‘डिग्री के बदले धन वसूली’ की एक संगठित मशीनरी चल रही थी और इसका सिरा सीधा पहुंचता है— जवाद सिद्दीकी तक। यह वह व्यक्ति है जिसने ट्रस्ट, विश्वविद्यालय, अस्पताल से लेकर शेल कंपनियों तक एक ऐसा जाल बिछाया था जिसमें छात्रों का भविष्य, अभिभावकों की कमाई और सरकारी मानकों की विश्वसनीयता, सब कुछ फंसकर दम तोड़ रहा था।

इसे भी पढ़ें: ED की रडार पर कैसे आया अल फलाह यूनिवर्सिटी का फाउंडर? 415 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा

जहां तक 415 करोड़ रुपये की रकम की बात है तो आपको बता दें कि ईडी ने बताया है कि यह ज़बरदस्ती, झूठे दावों और फर्जी मान्यताओं के आधार पर वसूली गई। जिस विश्वविद्यालय की UGC मान्यता पर ही सवाल था, जिसने NAAC की स्थिति गलत पेश की, वह हर साल राजस्व में “भारी उछाल” दिखा रहा था। 24 करोड़ से 80 करोड़ की छलांग और वह भी बिना बुनियादी मान्यता के! क्या यह किसी को दिखता नहीं था? क्या यह व्यवस्था में छेद का फायदा उठाने की सबसे बेशर्म मिसाल नहीं है?
जवाद सिद्दीकी के खिलाफ आरोप सिर्फ वित्तीय नहीं हैं। इनके गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े निहितार्थ भी हैं। वह संस्थान, जिसके अस्पताल में लाल किला विस्फोट मामले का आत्मघाती हमलावर कार्यरत था, वह आज करोड़ों की वित्तीय हेराफेरी के केंद्र में पाया जा रहा है। यह संयोग नहीं, बल्कि संकेत है कि किस तरह अनियंत्रित निजी संस्थान देश की सुरक्षा तक के लिए जोखिम बन रहे हैं।
साथ ही अल-फलाह ट्रस्ट द्वारा दी गई निर्माण और कैटरिंग के ठेकों की लिस्ट पढ़कर आप हैरान रह जाएंगे कि किस बेशर्मी से सारा खेल आगे बढ़ाया जा रहा था। ईडी के मुताबिक, ठेके पत्नी, बेटों, रिश्तेदारों की कंपनियों को दिये गये साथ ही धन शोधन परिवार-नियंत्रित शेल कंपनियों के जरिए किया गया और सभी निर्णय खुद जवाद सिद्दीकी ने लिये। यह “ट्रस्ट” कम और परिवार-नियंत्रित धन-संग्रहण तंत्र ज्यादा लगता है। ट्रस्ट की संपत्तियों का आकार लगातार बढ़ रहा था, लेकिन वित्तीय स्थिति आय के मुकाबले मेल नहीं खाती। इसकी एक ही वजह है— पैसा घुमाने की कला और पकड़े जाने तक बेधड़क कार्य करने का आत्मविश्वास।
ईडी ने कोर्ट में साफ कहा है कि सिद्दीकी के करीबी रिश्तेदार खाड़ी देशों में बसे हैं, विदेश में वित्तीय कनेक्शन मौजूद हैं और उसके पास भारत छोड़ने के लिए “कई कारण” हैं। यह बात अपने आप में सवाल उठाती है कि क्या इतने वर्षों से यह व्यक्ति अपने साम्राज्य को सिर्फ शिक्षा के नाम पर चला रहा था, या इसके जरिए विदेशों तक फैले आतंकी नेटवर्क को पॉवर दे रहा था? भारत में शिक्षा धोखाधड़ी के मामलों में आमतौर पर आरोपी छोटे कोचिंग संचालक या स्थानीय स्कूल निकलते हैं। लेकिन यहां बात एक पूरे विशाल विश्वविद्यालय समूह की है, जो तीन दशक से अपना साम्राज्य मोटी कमाई पर खड़ा कर रहा था।
देखा जाये तो अल-फलाह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं है। यह भारत में निजी विश्वविद्यालयों और ट्रस्टों की उन कमजोरियों का आईना है जिनसे देश की बड़ी आबादी पीड़ित है। झूठी मान्यता, फर्जी दस्तावेज़, डिग्री के बदले मोटी फीस और छात्रों का कैरियर चौपट करने का जो उद्योग चल रहा है उसे खत्म किये जाने की जरूरत है। वैसे यह भी सही है कि ऐसे मामले तभी संभव होते हैं जब सिस्टम की आंखें बंद हों, या बंद कर दी गई हों।
बहरहाल, जवाद सिद्दीकी की गिरफ्तारी शुरूआत है। अभी तो जांच ‘प्रारम्भिक’ चरण में बताई जा रही है। यदि यह मामला पूरी तरह खुला, तो भारत की शिक्षा दुनिया का एक बड़ा और गंदा काला अध्याय सामने आएगा।
RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments