Friday, October 17, 2025
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America के टैरिफ की धज्जियां उड़ा रहा भारत, चीन से बंपर माल की खरीदारी

अमेरिका ने सोचा था कि ऊंचे टैरिफ लगाकार चीन को किनारे लगा दिया जाएगा। लेकिन नतीजा क्या निकला, चीन ने रास्ता बदला और अमेरिका की नींद उड़ा दी। चीन और भारत के बीच अब अरबों डॉलर का व्यापार का नया रिकॉर्ड बन रहा। अमेरिका की टैरिफ धमकियों के बीच ये खेल पूरी तरह से पलट गया। ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले महीने चीन से भारत का आयात 12.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इतिहास का सबसे बड़ा आंकड़ा और सबसे बड़ा कारण एप्पल का आईफोन प्रोडक्शन है। अब आप सोच रहे होंगे कि आईफोन का प्रोडक्शन भारत में शिफ्ट हो रहा था इससे चीन को कैसे फायदा पहुंच रहा। तो आपको बता दें कि भारत में फोन की एसेंबलिंग तो हो रही है लेकिन चिप्स और पुर्जे, मशीनरी अभी चीन से ही आ रही है। 

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सिर्फ जुलाई 2025 में चीन ने भारत को 1 अरब डॉलर के कंप्यूटर चिप्ल भेजे। इसके अलावा अरबों डॉलर के फोन और इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स भारतीय फैक्ट्रियों तक पहुंचे। यानी एप्पल की मेड इन इंडिया कहानी के पीछे भी मेड इन चाइना का तड़का लगा हुआ है। ये रिकॉर्ड ब्रेकिंग व्यापार उस वक्त हो रहा है जब अमेरिका ने चीन और भारत पर हाई टैरिफ लगा रखे हैं। ट्रंप प्रशासन ने सोचा कि टैरिफ बढ़ाओ और चीन-भारत की कमर टूट जाएगी। अमेरिका जीत जाएगा। लेकिन चीन ने अपनी रणनीति बदली। भारत के साथ उतर गया। भारत, अफ्रीका और साउथ ईस्ट एशिया जैसा नया मार्केट पकड़ चुका है। यूरोप में भी नया ग्राहक ढूढ़ लिया है। 

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अमेरिका तक पहुँच सीमित होने के साथ, चीनी निर्माताओं ने दिखा दिया है कि वे पीछे नहीं हटेंगे। जेपी मॉर्गन के मुख्य भारतीय अर्थशास्त्री साजिद चिनॉय ने ईटी नाउ को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि वैश्विक व्यापार गतिशीलता में तीव्र बदलाव के कारण उभरते बाजारों के लिए कठिन समय आ गया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि बढ़ते अमेरिकी टैरिफ, अत्यधिक चीनी क्षमता और तेज़ स्वचालन का मिश्रण विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के विकास मॉडल को नया रूप दे सकता है।

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अमेरिका तक पहुँच सीमित होने के साथ, चीनी निर्माताओं ने दिखा दिया है कि वे पीछे नहीं हटेंगे।चिनॉय ने कहा कि उभरते बाजारों से शुरुआत करना अच्छा है क्योंकि वैश्विक स्तर पर जो कुछ हो रहा है, उसका असली खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ेगा। हम 1930 के दशक के बाद से सबसे ऊँचे टैरिफ स्तरों की ओर बढ़ रहे हैं, और प्रभावी अमेरिकी दर 17-18% तक बढ़ सकती है।
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