राजधानी दिल्ली में सोमवार शाम हुए कार धमाके की घटना के बाद हालात की समीक्षा करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की और अधिकारियों को निर्देश दिया कि इस कृत्य के हर एक अपराधी को खोजकर सख्त सज़ा दी जाए। उन्होंने एक्स (X) पर पोस्ट करते हुए कहा, “दिल्ली कार ब्लास्ट पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की। इस घटना के हर दोषी को पकड़ने का निर्देश दिया है। हमारी एजेंसियां किसी को नहीं छोड़ेंगी।”
वहीं भूटान दौरे पर मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि “इस घटना के दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।” उन्होंने बताया कि उन्होंने रात भर एजेंसियों से संपर्क बनाए रखा और जांच की पूरी निगरानी की। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा। साथ ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई और कहा कि जांच एजेंसियाँ तेज़ी से काम कर रही हैं और “किसी भी दोषी को छोड़ा नहीं जाएगा।”
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दूसरी ओर, जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उत्तर प्रदेश की महिला डॉक्टर डॉ. शाहीन सईद इस आतंकी साजिश की अहम कड़ी के रूप में उभरी है। वह फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़ी हुई थी और उसे पाकिस्तान-स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के महिला भर्ती प्रकोष्ठ “जमात-उल-मोमिनात” की स्थापना का दायित्व सौंपा गया था। हम आपको बता दें कि डॉ. शाहीन के साथ तीन अन्य डॉक्टरों समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनसे करीब 2,900 किलोग्राम विस्फोटक पदार्थ (जिसमें अमोनियम नाइट्रेट भी शामिल है) जब्त किया गया है।
पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि डॉ. उमर नबी, जो पुलवामा के लेथपोरा क्षेत्र के निवासी थे, वह वही व्यक्ति थे जो धमाके के वक्त कार चला रहे थे। माना जा रहा है कि शाहीन सईद और उनके साथियों की गिरफ्तारी की खबर मिलने के बाद उमर ने आत्मघाती विस्फोट कर दिया। डॉ. उमर भी अल-फलाह यूनिवर्सिटी से संबद्ध था। वाहन में अमोनियम नाइट्रेट, ईंधन और डेटोनेटर पाए गए हैं, जिससे आत्मघाती हमले की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता।
दूसरी ओर, एनआईए, दिल्ली पुलिस और खुफिया एजेंसियाँ संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं। दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोलचा ने बताया कि गृह मंत्रालय को लगातार रिपोर्ट दी जा रही है। वहीं जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उमर नबी की डीएनए पहचान के लिए उनकी माँ का सैंपल लिया है। एक अन्य आरोपी तारीक, जो कार की आपूर्ति में शामिल था, उसको हिरासत में लिया गया है। इस बीच, दिल्ली को हाई अलर्ट पर रखा गया है, सभी प्रवेश द्वारों और ट्रांज़िट हब पर जांच बढ़ा दी गई है। लाल किला मेट्रो स्टेशन बंद कर दिया गया है और आसपास यातायात को डायवर्ट किया गया है।
देखा जाये तो दिल्ली के दिल में हुआ यह धमाका केवल एक “सुरक्षा चूक” नहीं, बल्कि भारत की आंतरिक सुरक्षा को चुनौती देने वाली नई किस्म की आतंकी रणनीति का संकेत है। व्हाइट कॉलर टेरर नेटवर्क यानी शिक्षित, प्रोफेशनल और सामाजिक रूप से सम्मानित लोग जब आतंकवाद के औजार बन जाते हैं, तो यह सुरक्षा एजेंसियों के लिए सबसे कठिन मोर्चा बन जाता है। डॉक्टरों और विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षित वर्ग का इस साजिश में शामिल होना यह दर्शाता है कि कट्टरपंथी संगठन अब हथियारों से ज़्यादा ब्रेनवॉशिंग और साइकोलॉजिकल रिक्रूटमेंट पर ज़ोर दे रहे हैं। यह नेटवर्क न केवल सीमाओं के पार से संचालित होता है बल्कि भारत के शहरी बौद्धिक तंत्र में भी अपनी जड़ें फैलाने की कोशिश करता है।
सरकार और एजेंसियों के लिए यह समय है कि वे केवल हथियारबंद आतंकवाद पर नहीं, बल्कि “सॉफ्ट रेडिकलाइज़ेशन” पर भी कठोर कार्रवाई करें। विश्वविद्यालयों, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म और पेशेवर संस्थानों में छिपे ऐसे तत्वों पर निगरानी अनिवार्य है। लाल किला विस्फोट ने एक बार फिर याद दिलाया है कि दिल्ली की सुरक्षा केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि राष्ट्रव्यापी खुफिया और वैचारिक सतर्कता की मांग करती है।

